December 18, 2023

पीएम ने दिखाई कन्याकुमारी-वाराणसी तमिल संगमम् ट्रेन को हरी झंडी

प्रधानमंत्री ने किया काशी तमिल संगमम्-2023 का उद्घाटन

तिरुक्कुरल, मणिमेकलाई और अन्य क्लासिक तमिल साहित्य के बहुभाषा और ब्रेल अनुवाद को लाँच किया

“काशी तमिल संगमम् ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत‘ की भावना को आगे बढ़ाता है!”

“काशी और तमिलनाडु के बीच संबंध भावनात्मक और रचनात्मक दोनों हैं!”

“एक राष्ट्र के रूप में भारत की पहचान आध्यात्मिक मान्यताओं में निहित है!”

“हमारी साझा विरासत हमें हमारे संबंधों की गहराई का एहसास कराती है!”

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार, 17 दिसंबर 2023 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी तमिल संगमम्-2023 का उद्घाटन किया। श्री मोदी ने कन्याकुमारी-वाराणसी तमिल संगमम् ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। इस अवसर पर उन्होंने तिरुक्कुरल, मणिमेकलाई और अन्य क्लासिक तमिल साहित्य के बहुभाषा और ब्रेल अनुवाद का शुभारंभ किया। उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देखा। काशी तमिल संगमम् का उद्देश्य तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों का जश्न मनाना, पुष्टि करना और फिर से देश के दो सबसे महत्वपूर्ण और प्राचीन शिक्षा के केन्द्रों के पुराने लिंक खोजना हैं।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने सभी का स्वागत अतिथि के रूप में नहीं बल्कि अपने परिवार के सदस्य के रूप में किया। उन्होंने रेखांकित किया कि तमिलनाडु से काशी पहुंचने का सीधा सा मतलब है भगवान महादेव के एक निवास से दूसरे निवास स्थान यानि मदुरै मीनाक्षी से काशी विशालाक्षी तक की यात्रा करना। तमिलनाडु और काशी के लोगों के बीच अद्वितीय प्रेम और संबंध पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने काशी के नागरिकों के आतिथ्य पर विश्वास व्यक्त किया। भगवान महादेव के आशीर्वाद के साथ-साथ प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रतिभागी काशी की संस्कृति, व्यंजनों और यादों के साथ तमिलनाडु लौटेंगे। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पहली बार तमिल में अपने भाषण के वास्तविक समय के अनुवाद में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग पर भी प्रकाश डाला और भविष्य के कार्यक्रमों में इसके उपयोग को दोहराया।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कन्याकुमारी-वाराणसी तमिल संगमम् ट्रेन को हरी झंडी दिखाई और तिरुक्कुरल, मणिमेकलाई और अन्य क्लासिक तमिल साहित्य के बहु भाषा और ब्रेल अनुवाद का शुभारंभ किया। सुब्रमण्यम भारती का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी-तमिल संगमम् की तरंगें पूरे देश और दुनिया में फैल रही हैं।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि मठों के प्रमुखों, छात्रों, कलाकारों, लेखकों, शिल्पकारों और पेशेवरों सहित लाखों लोग पिछले साल इसकी स्थापना के बाद से काशी तमिल संगमम् का हिस्सा बन गए हैं और यह संवाद और विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक प्रभावी मंच बन गया है। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और आईआईटी, चेन्नई की संयुक्त पहल पर संतोष व्यक्त किया, जहां आईआईटी, चेन्नई विद्या शक्ति पहल के तहत विज्ञान और गणित में वाराणसी के हजारों छात्रों को ऑनलाइन सहायता प्रदान कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये हालिया घटनाक्रम काशी और तमिलनाडु के लोगों के बीच भावनात्मक और रचनात्मक बंधन का प्रमाण हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि “काशी तमिल संगमम् ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत‘ की भावना को आगे बढ़ाता है।” उन्होंने कहा, काशी तेलुगु संगमम् और सौराष्ट्र काशी संगमम् के आयोजन के पीछे यही भावना थी। देश के सभी राजभवनों में अन्य राज्य स्थापना दिवस मनाने की नवीन परंपरा से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को और बल मिला है। पीएम मोदी ने ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत‘ की उसी भावना को दर्शाते हुए आदिनाम संतों की देखरेख में नई संसद में पवित्र सेनगोल की स्थापना को भी याद किया। उन्होंने कहा, ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत‘ की भावना का यह प्रवाह आज हमारे राष्ट्र की आत्मा को प्रभावित कर रहा है।

​प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि भारत की विविधता को आध्यात्मिक चेतना में ढाला गया है, जैसा कि महान पांडियन राजा पराक्रम पांडियन ने कहा था, जिन्होंने कहा था कि भारत का हर पानी गंगाजल है, और देश का हर भौगोलिक स्थान काशी है। उस समय पर विचार करते हुए जब उत्तरी भारत में आस्था के केंद्रों पर लगातार विदेशी आक्रान्ताओ द्वारा हमला किया जा रहा था, प्रधानमंत्री ने तेनकाशी और शिवकाशी मंदिरों के निर्माण के साथ काशी की विरासत को जीवित रखने के राजा पराक्रम पांडियन के प्रयासों पर प्रकाश डाला। श्री मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले गणमान्य व्यक्तियों के भारत की विविधता के प्रति आकर्षण को भी याद किया।

​प्रधानमंत्री ने कहा कि अन्य देशों में राष्ट्र को राजनीतिक आधार पर परिभाषित किया गया है, जबकि भारत का निर्माण एक राष्ट्र के रूप में आध्यात्मिक मान्यताओं से हुआ है। पीएम मोदी ने कहा, भारत को आदि शंकराचार्य और रामांनुजम जैसे संतों ने एकीकृत किया है। प्रधानमंत्री ने आदिनाम संतों की शिवस्थानों की यात्राओं की भूमिका को भी याद किया। श्री मोदी ने कहा, ‘इन यात्राओं के कारण ही भारत एक राष्ट्र के रूप में शाश्वत और अटल बना हुआ है।‘

​प्रधानमंत्री मोदी ने प्राचीन परंपराओं के प्रति देश के युवाओं की बढ़ती रुचि पर संतोष व्यक्त किया, क्योंकि उन्होंने देखा कि तमिलनाडु से बड़ी संख्या में लोग, छात्र और युवा काशी, प्रयाग, अयोध्या और अन्य तीर्थ स्थलों की यात्रा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अयोध्या में भगवान राम के दर्शन, जिन्होंने भगवान महादेव के साथ-साथ रामेश्वरम की स्थापना की, दिव्य है‘ यह देखते हुए कि काशी तमिल संगमम् में भाग लेने वाले लोगों की अयोध्या यात्रा के लिए भी विशेष व्यवस्था की जा रही है।

प्रधानमंत्री ने एक-दूसरे की संस्कृति को जानने की आवश्यकता पर जोर दिया, क्योंकि इससे विश्वास बढ़ता है और संबंध विकसित होते हैं। दो महान मंदिरो के शहर, काशी और मदुरै का उदाहरण देते हुए, श्री मोदी ने कहा कि तमिल साहित्य, वागई और गंगई (गंगा) दोनों के बारे में बात करता है। उन्होंने कहा, “जब हमें इस विरासत के बारे में पता चलता है तो हमें अपने संबंधों की गहराई का एहसास होता है।”

​प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि काशी-तमिल संगमम् का संगम भारत की विरासत को सशक्त बनाता रहेगा, और एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत करेगा। संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने काशी आने वालों के लिए सुखद प्रवास की आशा की और प्रसिद्ध गायक श्रीराम को अपने प्रदर्शन से सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. एल मुरुगन सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।