पूर्व मध्य रेलवे-दानापुर मंडल: “License to Kill”
मंत्री जी, तोड़-फोड़ का बहाना बनाकर रेल के दीमकों की रेल सिस्टम को तोड़ने की मंशा को पहचानिए!
भगवान भरोसे भारतीय रेल में आपका स्वागत है। यह यात्रा आपकी अंतिम यात्रा हो सकती है, इसलिए आप अपने परिजनों को अपनी यात्रा की पूर्व सूचना देकर रखें, ताकि आपकी पार्थिव देह को खोजने/पाने और आपके अंतिम संस्कार में भाग्यशाली परिजनों को कम से कम परेशानी हो, क्योंकि सुरक्षित और समय पर गाड़ियों का परिचालन भारतीय रेल में अब एक कल्पना मात्र बनकर रह गया है। अगर आपको इन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा है, तो आईए न एक बार आप नीरो शर्मा (सरकारी रूप से दिवंगत) के “बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपैइया” वाली “Ek Caste Railway” – #ECR अर्थात् पूर्व मध्य रेल में घूमने!
हम दावे के साथ कह रहे हैं कि अगर आप समय पर सही-सलामत अंग-भंग हुए बिना अपने गंतव्य पर पहुँच जाते हैं, तो मानकर चलिए कि परमपिता परमेश्वर की आप पर साक्षात् दया-दृष्टि है। नहीं तो भ्रष्टाचार और निकम्मी व्यवस्था का जीता-जागता उदाहरण ईसी रेलवे का कोई माई-बाप नहीं है। सत्ता के नशे में चूर यहाँ के अधिकांश भ्रष्ट और निकम्मे अधिकारी किसी भी समय यमराज का दूत बनकर आपके प्राण और शरीर के बीच का सम्बन्ध खत्म कर सकते हैं I “License to Kill” सबसे सटीक शब्द है आज के दानापुर मंडल के कार्य करने के तौर-तरीके को समझने के लिए!
सबसे शर्मनाक बात यह है कि नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस की भीषण दुर्घटना को एक महीना पूरा होने जा रहा है, लेकिन निर्दोष यात्रियों की हत्या के लिए जिम्मेदार पूर्व मध्य रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। “रेलसमाचार” को विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि एक-दो लोग पैसे के दम पर और जाति के नाम पर अपने बचने की जुगत में लगे हैं, और इसमें उनका सहयोग कर रही है रेलवे की “सुधीर-दृष्टि” से कलुषित व्यवस्था!
खबर है कि #CRS रिपोर्ट में भी #Mechanical और #Civil इंजीनियरिंग के बीच लोका-लोकी कर मामला ऐसा निकालना है जिससे न तो सही कारण सामने लाया जाएगा और न ही मुख्य दोषियों का कुछ खास बिगड़ पाएगा। ये ऑफिसर इतने मनबढ़ हैं कि दारू पार्टी में निर्लज्जता से मजाक उड़ाते हुए कहते है- “#ECR पर मंत्री जी की विशेष कृपा रही है यह या तो हम जानते हैं या ऊपर वाला! यहाँ मैडम सीआरबी का भी कुछ वश नहीं चल पाएगा!”
क्या कारण है कि इतने समय के बाद भी स्पष्ट रूप से सिद्ध इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही, जिसके कारण इस भीषण दुर्घटना में कई निर्दोष लोगों ने अपनी जान गवां दी, लेकिन विभाग के सम्बंधित अधिकारियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई? भ्रष्टाचार और निकम्मेपन की भेंट चढ़ी इस घटना को भी तोड़-फोड़ (#sabotage) बनाने का पूरा खेल दोषियों को बचाने और रेल व्यवस्था की कमियों को नकारने की एक सोची-समझी साजिश चल रही है। बालासोर के बाद यह हृदय-विदारक दुर्घटना पूरी तरह से इंजीनियरिंग विभाग के उच्च अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार का नतीजा है।
रेलमंत्री जी, रेत में गर्दन छिपा लेने से पाप नहीं छुपता और कितने निर्दोष लोगों की बलि ली जाएगी गलत निर्णयों को सही साबित करने के लिए! व्यवस्था की सबसे बड़ी गलती यह है कि सुधीर कुमार जैसे धूर्त और फरेबी के इशारों पर नाचते हुए रेलवे का बेडा गर्क किया जा रहा है, और उससे भी दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि जिस जनता ने माननीय नरेन्द्र मोदी जी को चुनकर प्रधानमंत्री बनाया, उसकी ही जान ली जा रही है! बालासोर, रघुनाथपुर और कंटकापल्ली जैसे हादसों से न केवल मुँह फेरा जा रहा हैं, बल्कि इन हादसों के असली कारणों को नकारकर कपोल-कल्पित कारणों पर कथित जाँच का प्रहसन कर जनता और देश को गुमराह किया जा रहा हैं, और दोषियों को साफ बक्शा जा रहा है!
सच्चाई को स्वीकारिये मंत्री महोदय, नहीं तो ये बात मातहतों को बता दी जाए कि और कितने निर्दोष लोगों की बलि चाहिए रक्त-पिपासु व्यवस्था के अहं को शांत करने के लिए, क्योंकि आपके रेल अधिकारी हर समय तैयार हैं लोगों की जान लेने के लिए! बालासोर की घटना के बाद दोषी अधिकारियों के प्रति आपकी सहानभूति और बर्खास्तगी की जगह रिटायरमेंट के समय लाखों का ट्रांसफर ग्रांट देना भ्रष्ट अधिकारियों के लिए संजीवनी का काम कर गया। उसी निरंकुशता का भयावह परिणाम है रघुनाथपुर की घटना! और अब विशाखापट्टनम-रायगड़ा के बीच कंटकापल्ली में रविवार, 29 अक्टूबर को हुआ एक और हादसा!
भले ही घटना में मृत लोगों की संख्या मंत्री महोदय के घटनास्थल के दौरे के प्रोटोकॉल के हिसाब से पर्याप्त नहीं थी, लेकिन आपको बता दें कि यह घटना भारतीय रेल की भीषणतम दुर्घटनाओं में से एक है, पूरी की पूरी रेलगाड़ी का हाई स्पीड में बेपटरी हो जाना कोई साधारण घटना नहीं है, जैसा कि रेल के दीमकों ने आपको बताया होगा! आप इससे होने वाले जान-माल के नुकसान का आकलन भी नहीं कर सकते थे। आपकी कुर्सी जाते-जाते बच गई। रेलवे के निरंकुश अधिकारियों ने आपकी नौकरी से बर्खास्तगी की पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन शायद आपकी कुर्सी को अभी कुछ और निर्दोष लोगों की बलि चाहिए! वह मिल रही है!
रघुनाथपुर की घटना सरासर और स्पष्ट रूप से हत्या का मामला है। अगर पार्टी प्रेशर में इसको #sabotage का रंग देना भी है तो इसके दोषी दानापुर मंडल के इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारी हैं। लगता है कि ये अधिकारी प्रधानमंत्री और रेलमंत्री को चुनौती दे रहें है कि हिम्मत है तो कुछ करके दिखाओ! माननीय मोदी जी ये आपकी व्यवस्था सुधारने की गारंटी को मटियामेट करके आपको खुली चुनौती दे रहे है, कि रेल में आपकी गारंटी नहीं चलेगी और इस चुनौती को बल देती है पैसे और जाति आधारित पूर्व मध्य रेलवे की पंगु व्यवस्था!
बालासोर की घटना के बाद रेलवे बोर्ड और रेलमंत्री की दोषी अधिकारियों को दण्डित करने के मामले में दर्शाई गई उदारता ने रघुनाथपुर और अब कंटकापल्ली की घटना को अंजाम दिया है। इस बीच और भी कई घटनाएँ हो चुकी हैं। बालासोर में आभासी गलती वालों को टाँगा गया, जबकि असली दोषियों पर कायदे से कोई ऐसी कार्रवाई नहीं हुई जिससे एक संदेश जाता। बालासोर की घटना को पाँच महीने हो गए, कोई भी दूसरा ऐंगल अभी तक नहीं पता चला, और जो मुख्य कारण था – उसके लिए किसी भी सीनियर अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई का न होना रेलवे के भ्रष्ट अधिकारियों को #License to Kill की अथॉरिटी दे रखा है!
पूरा #ईसीआर जोन महाअहंकारी #नीरोशर्मा के रंगीन-मिजाज बेटे की रंगरेलियों के इंतजाम में मशगूल था। मंडल रेल प्रबंधक “अमृत भारत स्कैम” में #कमीशन रूपी #अमृत का पान कर रहे थे और इसका खामियाजा भुगता नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे निर्दोष यात्रियों ने!
इस कड़ी में रघुनाथपुर में हुए खूनी-खेल में पूर्व मध्य रेल के इंजीनियरिंग विभाग में पैसे और जात-पात आधारित संरक्षण और भ्रष्टाचार की भूमिका को “रेलसमाचार” निश्चित रूप से उजागर करेगा। “इस दुर्घटना और हत्याकांड का मुख्य आरोपी मंडल का इंजीनियरिंग हेड है, जो कि रेलवे बोर्ड विजिलेंस का पूर्व महाभ्रष्ट हेड #RKJha का स्वजातीय गुर्गा है, जो ए. के. चौधरी पूर्व सीपीडी/आरई, जिसको #CBI ने रंगेहाथ घूस लेते हुए पकड़ा था, के साथ मिलकर आर. के. झा के #Extortion रैकेट को यही चलाता था। जोनल विजिलेंस में रहते हुए आर. के. झा के इशारे पर ठेकेदारों और अधिकारियों को यही निशाना बनाता था, गलत केस में फंसाने की धमकी देकर उगाही करता था और उसका हिस्सा ऊपर आर के झा तक पहुँचाता था, जो इसकी बात नहीं मानता था उसको विजिलेंस केस में फंसा दिया जाता था।” यह कहना है मंडल के कई वरिष्ठ रेलकर्मियों का!
जानकारों का कहना है कि पूर्व मध्य रेलवे के तत्कालीन जोनल इंजीनियरिंग हेड ने आर. के. झा के डर से इस निकम्मे अधिकारी को पैसा वसूली कार्यक्रम में सहयोग के एवज में दानापुर मंडल के इंजीनियरिंग विभाग का हेड बनाया। ट्रैक मामलों में इससे कम जानकारी वाला शायद ही कोई दूसरा अधिकारी पूरी भारतीय रेल में होगा, फिर भी पैसे और जात-पात के नाम पर बिना कोई कार्य के पिछले लगभग तीन साल से अपने वसूली साम्राज्य को बिना डर-भय के चला रहा है। मंडल में कोई भी कार्य, ठेका, बिल, इसको चढ़ावा दिए बिना पूरा नहीं होता है, भले ही उसके कारण रेलवे का कितना ही बड़ा नुकसान हो जाए।
बताते हैं कि स्वजातीय पूर्व मंडल प्रमुख ने इसके कुकृत्यों में इसको पूरा सहयोग और संरक्षण दिया। सुनने में आया था कि #नीरोशर्मा के अंतिम समय में पाप की कमाई के लेन-देन में बेईमानी के कारण इसको दण्डित करने की तैयारी कर ली गयी थी, लेकिन कोई दूसरा वैसा विकल्प नहीं मिलने के कारण और तत्कालीन स्वजातीय मंडल रेल प्रबंधक के ब्लाइंड सपोर्ट और एक्स्ट्रा कमीशन ने इसकी कुर्सी को बचाए रखा। जात-पात और पैसे पर आधारित रेल व्यवस्था का आनंद लेने वाले इस अधिकारी ने नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे निर्दोष यात्रियों को मौत की सजा दी और मंत्री महोदय और चेयरमैन साहिबा को खुली चुनौती दी है कि “अगर हिम्मत है तो मेरे खिलाफ कोई ऐक्शन लेकर दिखाओ!”
एक बात और मंत्री महोदय, आप इसका कुछ बिगाड़ भी नहीं सकते, क्योंकि इसका सुरक्षा कवच आपके आस-पास इर्द-गिर्द रहने वाले कुछ लोग हैं जो किसी भी कीमत पर इसको बचा लेंगे, चाहे इसके लिए इंजीनियरिंग विभाग की गलती को #आतंकवादी घटना का रूप ही क्यों न देना पड़े। रघुनाथपुर की जनता – जिसने अपनी जान पर खेलकर कई लोगों की जान बचाई, क्यों न उस जनता को ही आतंकवादी बताना पड़े, लेकिन इसके जैसे रक्त-पिपासु को कुछ नहीं होने देंगे और इसका खुला उदाहरण है कि #रघुनाथपुर की घटना के लिए इंजीनियरिंग विभाग पूर्ण रूप से जिम्मेदार है, फिर भी लीपा-पोती जारी है। मंत्री महोदय, यहाँ यह भी बताना जरूरी है कि पूर्व मंडल रेल प्रबंधक/दानापुर, जो वर्तमान में पूर्व मध्य रेल का मुख्य संरक्षा अधिकारी है, वह अपने स्वजातीय इस सिविल इंजीनियरिंग अधिकारी को बचाने के लिए अपनी जी-जान लेगा देगा।
जानकारों का कहना है कि इस हत्याकांड का दूसरा मुख्य आरोपी सीनियर सेक्शन इंजीनियर/पी-वे संतोष कुमार है। यह एसएसई/पी-वे पूर्व मध्य रेल में हुए #SLT घोटाले के मास्टरमाइंड का स्वजातीय है, इसे उत्तर रेलवे विजिलेंस के चंगुल से एक प्लानिंग के तहत बचाकर दानापुर मंडल में इसकी पोस्टिंग की गई थी, ताकि बाद में दानापुर मंडल इंजीनियरिंग हेड के मातहत मंडल में इसको इंजीनियरिंग विभाग में प्रमुखता से स्थापित किया जा सके, और लूट की छूट जारी रहे।
इस हत्याकांड का तीसरा आरोपी पूर्व मध्य रेलवे मुख्यालय इंजीनियरिंग विभाग का एक चीफ इंजीनियर भी है, जिसके जिम्मे ट्रैक के रख-रखाव का कार्य है। निर्माण संगठन में रहकर लूट में अपनी योग्यता सिद्ध करने के बाद मास्टरमाइंड ने इसे ट्रैक मामलों का हेड बनवाया। वहां इसने लूट की छूट जारी रखी। इसने लगभग सारे ठेकेदारों से कमीशन बाँध रखा है, यह सर्वज्ञात है। अभी हाल ही में “रेलसमाचार” ने #PWI/दानापुर के यहाँ ठेके का काम विभागीय स्टाफ से कराने की खबर प्रकाशित की थी, इससे पहले भी दानापुर मंडल में रेल उतारने में घोर लापरवाही हुई थी, लेकिन पूर्व मंडल प्रमुख और इस इंजीनियरिंग अधिकारी ने पैसे और जात-पात के नाम पर पूरे मामले को दबा दिया था।
मंत्री महोदय, इस घटना के जिम्मेदार सीनियर अधिकारियों को बिना समय गंवाए अविलम्ब सेवा से बर्खास्त किया जाए, ताकि बालासोर और रघुनाथपुर जैसे हत्याकांडों की पुनरावृति को रोका जा सके। मंत्री जी, आपकी दृष्टि में 8-10 लोगों की जान की कोई कीमत भले ही न हो, रेलवे के सैकड़ों करोड़ रुपये के नुकसान की कोई कीमत भी नहीं हो, लेकिन उपरोक्त दोषी अधिकारियों को बचाने के चक्कर में खानापूर्ति के लिए किसी निर्दोष कर्मचारी को सूली पर मत टांग दीजिएगा। मंत्री जी, तोड़-फोड़ (#sabotage) का बहाना बनाकर रेल के दीमकों की रेल सिस्टम को तोड़ने की मंशा को पहचानिए!
रेलमंत्री जी, “रेलसमाचार” और “रेलव्हिस्पर्स” दोनों बार-बार आपको आगाह कर रहे हैं कि रेल के दीमकों की जड़ों में कीटनाशक डालकर पुख्ता #रोटेशन के जरिए इनका समूल नाश करिए। अभी भी समय है, आर. के. झा जैसे आस्तीन के सापों को कुचल दीजिये, इसको सेवा से बर्खास्त करके एक नया उदाहरण प्रस्तुत करिए, ताकि आने वाले समय में न तो कोई आर. के. झा पैदा हो सके, और न ही कोई दानापुर मंडल के इंजीनियरिंग हेड जैसे को पैदा कर पाए। अगर आपको बालासोर और रघुनाथपुर जैसे हत्याकांड रोकने हैं तो दोषी अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से नौकरी से बर्खास्त करें। इन हत्यारों का केवल ट्रांसफर/पोस्टिंग करने से कुछ न होगा। फिर कोई आर. के. झा का गुर्गा या फिर मास्टरमाइंड का कोई चेला निर्दोष यात्रियों की जान नहीं ले पाएगा।
मंत्री महोदय, भगवIन न करे कि ऐसी कोई अनहोनी आपके पार्टी शाषित राज्य में न हो, नहीं तो #sabotage का बहाना वहां काम नहीं करेगा। इसलिए आपसे अनुरोध है कि इंजीनियरिंग विभाग के दोषी अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त कर उन पर गैर-इरादतन हत्या का मुकदमा चलाया जाए। अभी वास्तव में आपको परशुराम का अवतार लेने की आवश्यकता है, ताकि आप दुष्ट, भ्रष्ट और दोषी अधिकारियों का समूल नाश कर सकें! अब देरी किसी दूसरी दुर्घटना को आमंत्रण देगी! हर बार भगवान आपकी सहायता के लिए नहीं आएँगे! क्रमशः जारी..