देश हित में विचार करें संस्थाएं!
जाति ! भारत छोड़ो ! (9 अगस्त 1942 भारत छोड़ो क्रांति को याद करते हुए)
प्रश्न सामान्य वर्ग या दलित वर्ग का नहीं है। प्रश्न देश की पीढ़ियों के लिए एक ऐसा देश, एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहां जन्म से मृत्यु तक अपनी जाति न बतानी पड़े।
आजादी के बाद पिछले 75 वर्षों में जाति के यह भेद 75000 गुना बढ़ गए हैं। और इन्हीं सब ने भारत के लोकतंत्र को जाति और धर्म का पर्याय बना दिया है।
इसी जाति और वर्ग के भेद ने देश के हर संस्थान को बर्बाद कर दिया है।
ब्रिटिश शासन ने सती प्रथा बंद की, कानून का राज कायम किया आदि आदि। तो यह हमारे सत्ता के दलाल क्या जाति को भी नहीं खत्म कर सकते हैं?
सत्ता के दलालों में नौकरशाही और धंधेबाज बुद्धिजीवी भी वैसे ही शामिल हो गया है, जैसे तथाकथित राजनीतिक कार्यकर्ता!
नई शिक्षा नीति में मैं चाहता था एक प्रतिज्ञा यह भी हो कि हम 2025 तक जाति प्रथा खत्म कर देंगे और उसका कहीं उल्लेख नहीं होगा!
देश हित में कृपया सभी विचार करें और इस आंदोलन को आगे बढ़ाएं!
#प्रेमपाल_शर्मा, पूर्व संयुक्त सचिव/रेल मंत्रालय, दिल्ली, 10 अगस्त 2021.