पश्चिम रेलवे: संवेदनशील पदों पर लंबे समय से बैठे हैं लेखाकर्मी

Western Railway Head Quarters, Churchgate, Mumbai.

फील्ड स्टाफ से ऑफिस स्टाफ की अदला-बदली करके भ्रष्टाचार पर लगाम कसी जाए

एक ही कार्यालय में कुर्सियों की अदला-बदली करके स्टाफ को भ्रष्टाचार करने से रोकना अत्यंत मुश्किल है! निर्धारित समय पर आवधिक स्थानांतरण सुनिश्चित किए जाएं! इसमें रेल संगठनों के हस्तक्षेप को सरकारी काम में बाधा डालने के अपराध के समकक्ष माना जाए!

पश्चिम रेलवे के एफए एंड सीएओ (एस एंड सी) ऑफिस, चर्चगेट, मुंबई में अधिकांश लेखा स्टाफ लंबे समय से संवेदनशील पदों पर विराजमान है। जो लेखा कर्मचारी संवेदनशील पदों पर हैं, उनको 4 साल से भी ऊपर हो गए हैं।

इसमें कांट्रैक्टर्स के बिल पास करने और फाइनेंस सेक्शन में सारे प्रस्तावों की वेटिंग करने वाले कर्मचारी अपनी जगह पर लंबे समय से जमे हुए हैं।

इनके साथ ऑफिसर भी मिले हुए हैं। इसीलिए उनका निर्धारित समय पर आवधिक स्थानांतरण (पीरियोडिकल ट्रांसफर) नहीं किया जाता है। इसके अलावा जो एक्जीक्यूटिव ऑफिस में हैं, उनका भी यही हाल है।

बताते हैं कि पश्चिम रेलवे एकाउंट्स ऑफिस में भ्रष्टाचार इतना ज्यादा बढ़ गया है कि जिनके घरों में फेमिली के लोग कोरोना संक्रमित हैं, लेकिन वह ऑफिस में बिल पास करने आ जाते हैं। इसके लिए उन पर दबाव तो डाला ही जाता है, लेकिन इसमें कमीशन के लिए उनका भी हित जुड़ा होता है।

जानकारों का कहना है कि कांट्रैक्टर को अपने पेमेंट से मतलब होता है, चाहे जिसे कोरोना हो या न हो। इसके लिए वर्क्स एकाउंटेंट्स की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि बिल पास करवाने में उसकी मुख्य भूमिका होती है।

उनका कहना है कि इसी वजह से पश्चिम रेलवे के एकाउंट्स ऑफिस में भी कोरोना का कहर सतत जारी है। जानकारों का कहना है कि बीएमसी और रेल प्रशासन को ऐसी गतिविधियां करने वालों को अविलंब रोकना चाहिए।

उनका यह भी कहना है कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए न्यूनतम स्तर पर यही किया जा सकता है कि एक ही कार्यालय में कार्यरत कार्मिकों की आपस में कुर्सियां बदलने के बजाय फील्ड स्टाफ से ऑफिस स्टाफ की अदला-बदली की जानी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि सभी रेलों में जोनल एवं मंडल मुख्यालयों में कार्यरत सभी राजपत्रित एवं अराजपत्रित कर्मचारियों के आवधिक स्थानांतरण सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सीनियर डिप्टी जनरल मैनेजर एवं चीफ विजिलेंस ऑफीसर (एसडीजीएम/सीवीओ) की होती है, जो कि वे उचित तरीके से नहीं निभा पाते हैं, क्योंकि उन्हें रेल आवास आवंटित करने जैसे फालतू काम सौंपे गए हैं, जो कि कोई एडीजीएम स्तर का अधिकारी भी कर सकता है।

उन्होंने बताया कि They work as they wish शीर्षक के अंतर्गत 1 मार्च 2021 को कानाफूसी.कॉम द्वारा प्रकाशित खबर का संज्ञान लेते हुए पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक आलोक कंसल ने उक्त विषय जांच और कार्रवाई के लिए विजिलेंस को सौंपा था, परंतु विजिलेंस ने अब तक उस पर क्या कदम उठाया, यह किसी को भी पता नहीं है।

उन्होंने कहा कि “जबकि सर्वप्रथम जिन लेखाकर्मियों का ट्रांसफर होने के बाद भी वे न सिर्फ पुराने पदों पर ही कार्यरत हैं, बल्कि दूसरों को आवंटित कार्य भी उन्होंने अपने खाते में जुड़वा लिया था, उन्हें तत्काल वहां से हटाने के बाद निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की जानी चाहिए थी। चूंकि विजिलेंस द्वारा ऐसा कुछ नहीं किया गया, इसलिए उक्त पदों पर बैठे लेखाकर्मी बदस्तूर भ्रष्टाचार और बिल पासिंग में लगे हुए हैं।

उन्होंने जीएम आलोक कंसल से अपेक्षा की है कि वे उपरोक्त विषय पर तुरंत संज्ञान लेकर यथाशीघ्र उचित कार्रवाई सुनिश्चित करें।

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