August 21, 2020

मैडम की खब्त से व्यथित हैं रेल अधिकारी और कर्मचारी

GM/WR Alok Kansal & his wife Tanuja Kansal, Chairperson of Woman Welfare Organisation, Western Railway

देश को चलाने वाले साहब रेल हित में और देश हित में एक ‘मां’ की तरह निर्णय कब लेंगे?

व्यथित रेल अधिकारियों और कर्मचारियों ने रेलमंत्री से गुहार लगाई है कि वह मैडम के इस खब्तीपन को सख्ती से रोकें और उनके सामाजिक आचार-व्यवहार की नैतिकता को बचाएं।

रेलकर्मी और अधिकारी, रेलमंत्री से पूछ रहे हैं कि क्या उन्होंने जीएम/प.रे. आलोक कंसल और उनकी पत्नी तनुजा कंसल को रेलवे का ब्रांड अंबेसडर बना दिया है?

या जीएम/प.रे. और उनके सेक्रेटरी, सीपीआरओ से रेलवे की नॉन-फेयर रेवेन्यू (#NFR) की फील्ड में यह कोई अभिनव प्रयोग करवाया जा रहा है?

अथवा इंजीनियरिंग सर्विसेज एग्जाम (#ESE) से आए लोगों की बहुमुखी प्रतिभा और प्रतिभा का प्रभुत्व दिखाने का यह कोई ट्रेलर है, जो “सड़क 2” की अपार असफलता से अप्रभावित होकर अपनी खब्ती मानसिकता की (अ)रचनात्मक और तकनीकी (ना)काबिलियत का सिक्का रेलमंत्री और प्रधानमंत्री के सामने चलाया जा रहा है? जिससे रेल ही नहीं देश के हर विभाग, हर क्षेत्र में और यहां तक कि बॉलीवुड, टॉलीवुड आदि सब जगह ईएसई से चयनित लोग ही काम करें?

“जन्नत” और “जन्नत की हूरों” का बखान सुनें। इस मनहूसियत तथा महामारी के वातावरण में माहौल को थोड़ा हल्का करें और आनंद लें। कृपया इसमें ESE को “जन्नत की हूर” न समझें और न ही रोडमैप को “जन्नत” समझा जाए!

(Disclaimer: इस क्लिप का #ESE और ESE से #IRMS में प्रभुत्व बनाने की फिराक में भारतीय रेल के पंच-प्रपंचियों के #Roadmap का दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है!)

कई रेलकर्मियों और अधिकारियों का कहना है कि पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक, उनके सेक्रेटरी और मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) ने यह साबित कर दिया है कि पश्चिम रेलवे के कारण पूरे बॉलीवुड के एक्टर, डायरेक्टर, लेखक, सिनेमाटोग्राफर, गीतकार, संगीतकार आदि सब का अस्तित्व गम्भीर खतरे में है।

क्योंकि बॉलीवुड, टॉलीवुड भी एक तरह से टेक्निकल इंडस्ट्री ही तो है!?!?! कैमरा, लाइड, साउंड, म्युजिक, रिकॉर्डिंग, एडिटिंग और ऐक्टिंग आदि सब टेक्निकल है! इसलिए फिल्म इंडस्ट्री की गुणवत्ता और सर्वाइवल के लिए ईएसई के मेधावी लोगों के हाथ में पूरी फिल्म इंडस्ट्री की बागडोर होनी चाहिए।

(तब फिल्म इंडस्ट्री को बाहरी फाइनेंसर की भी जरूरत नहीं रह जाएगी। सिर्फ पश्चिम रेलवे के जीएम साहेब जैसे लोग ही न जाने कितने “भरत भाई शाह” जैसों की छुट्टी कर देंगे।)

उनका कहना है कि इस आत्ममुग्ध बदतरीन बेहयाई से लबरेज भौंड़ी फुहड़ता का प्रदर्शन करती वानप्रस्थ आश्रम के अंतिम पड़ाव पर खड़ी महिला और अन्य विभागाध्यक्षों की महिलाओं को देखकर पंडित भीमसेन जोशी जी की पवित्र आत्मा भी अब तो 🥶”दहशत”🥶 में आकर चीत्कार कर रही होगी!

उन्होंने कहा कि “इससे ज्यादा भयावह अपमान उनके लिए कुछ और नहीं हो सकता था।”

ऐसा नहीं है कि इसका दुष्प्रभाव सिर्फ पंडित भीमसेन जोशी की आत्मा पर ही पड़ा होगा, बल्कि रेलवे वालों को भी अब यह दुष्प्रभाव दिखने लगा है।

चर्चा है कि अभी-अभी कुछ दिन पहले निकले सिविल सर्विसेस के परिणाम में चयनित हुए एक लड़के से अपनी लड़की की शादी की बात बहुत अच्छी तरह आगे बढ़ा रहे रेलवे के एक बड़े इंजीनियर साहब (फिलहाल दिल्ली में पदस्थापित) की पत्नी के अति उत्साह ने होने वाले रिश्ते पर पानी फेर दिया।

पता चला है कि इंजीनियर साहब की मैडम ने रेलवे के साहबों की “मेमों” की हनक दिखाने की ललक में जीएम/प.रे. की मैडम की “लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है..” के साथ उनकी और भी कई वीडियो क्लिप्स लड़के की मां को भेज दीं।

परिणामस्वरूप अगले दिन ही उक्त सभ्रांत परिवार के लड़के वालों की तरफ से संदेश आ गया कि “हमें रेलवे वालों के यहां शादी नहीं करनी है।”

बताते हैं कि मान-मनौवल के लिए गए लोगों को लड़के की मां ने साफ कहा कि “हमारे परिवार में दूर-दूर तक कोई रेलवे में नहीं है, तो अब तक हम लोग दूसरों से सुनकर रेलवे वालों के विषय में सिर्फ थोड़ा-बहुत जानते थे, लेकिन यह नहीं जानते थे कि वहां इतने सीनियर लोगो के घरों का ये हाल है। तो जाहिर है बच्चों का संस्कार भी वैसा ही होगा और हमारा तो इकलौता लड़का है, हमें अपना बुढ़ापा खराब नहीं करना है और न ही लड़के की जिंदगी बरबाद करनी है।” यह टका सा जबाब देकर लड़के की मां ने इंजीनियर साहब और उनके साथ गए लोगों को बैरंग वापस कर दिया।

Piyush Goyal, MR

तो रेलमंत्री जी, अब और कितना रेलवे को और रेलवे वालों को जलील करोगे और कराओगे? यह अब आपको तय करना है।

रेल भी देश की इकलौती लाइफलाइन है। इसका कोई समुचित और समानांतर विकल्प अब तक देश में तैयार नहीं हो पाया है।

इसके (1) संस्कार (ओरिजनल फ्रेमवर्क, नैतिकताएं, मूल्य, चरित्र आदि) और (2) उद्देश्य तथा उपादेयता यदि लक्ष्य से भटक गए/खराब हो गए, तो देश का भविष्य चौपट हो जाएगा।

लड़के की मां ने तो अपने परिवार हित में जो भी उचित था, उसके लिए त्वरित निर्णय ले लिया, लेकिन देश को चलाने वाले साहब रेल हित में और देश हित में एक ‘मां’ की तरह निर्णय कब लेंगे?

प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी