डब्ल्यूएचओ के निर्देशानुसार री-एंगेज्ड सीआरबाई को भी हटाया जाना चाहिए
रेलवे बोर्ड के निर्देश के बावजूद अब तक नहीं हटाए गए री-एंगेज्ड सेवानिवृत्त कर्मचारी
उत्तर मध्य रेलवे सहित कई अन्य जोनल रेलों को नहीं है कोई परवाह, आदेश जारी करके सो जाता है रेलवे बोर्ड!
कोविड-19 संक्रमण के खतरे को देखते हुए रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) द्वारा 60+ वर्ष से ज्यादा उम्र के री-एंगेज्ड सेवानिवृत्त रेल कर्मचारियों की सेवा समाप्ति के संबंध में दिए गए निर्देशों का अनुपालन सभी जोनल रेलों में अब तक सुनिश्चित नहीं किया गया है।
हालांकि ज्यादातर जोनल रेलों द्वारा इस प्रकार के कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी हैं। तथापि उत्तर रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे, मध्य रेलवे और दक्षिण रेलवे जैसी कुछ जोनल रेलों ने पूरी ढिठाई के साथ अब तक बोर्ड के निर्देश पर अमल नहीं किया है।
इसी क्रम में मंडल रेल प्रबंधक, प्रयागराज, उत्तर मध्य रेलवे द्वारा 5 मई 2020 को सभी ब्रांच अधिकारियों को उनके अधीन कार्यरत समस्त री-एंगेज स्टाफ की सेवाएं तत्काल प्रभाव से, अर्थात उसी दिन 05 मई, 2020 से ही समाप्ति करने का आदेश दिया गया था।
लेकिन प्राप्त ताजा जानकारी के अनुसार डीआरएम के उक्त आदेश का अनुपालन प्रयागराज मंडल में अब तक किसी भी ब्रांच अफसर द्वारा नहीं किया गया है। परिणामस्वरूप उक्त सभी कर्मचारी प्रयागराज मंडल में अभी भी लगातार ड्यूटी पर हैं।
जबकि विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि सीनियर डीपीओ द्वारा सभी री-एंगेज्ड स्टाफ को हटा दिए जाने की सूचना मंडल मुख्यालय (डीआरएम) सहित जोनल मुख्यालय को भी भेज दी गई थी। यानि झूठी जानकारी भेजी गई।
ऐसे में सवाल यह है कि क्या ब्रांच अधिकारी अपने आपको डीआरएम से भी बड़ा समझते हैं? या फिर उन्हें सूचनार्थ की झूठी प्रति भेजकर निश्चिन्त हो गए? मई, 2020 का वेतन यदि उक्त कर्मचारियों द्वारा क्लेम किया जाता है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा – सीनियर डीपीओ या सीनियर डीएफएम?
इस पर कुछ कर्मचारियों का कहना था कि यही कारण है कि “जब कोई अनियमितता का उदाहरण देने की नौबत आती है, तो भारतीय रेल में प्रयागराज मंडल का नाम सबसे पहले लिया जाता है।”
इस सबके बावजूद दक्षिण रेलवे और मध्य रेलवे में अभी तक सभी री-एंगेज्ड स्टाफ काम पर है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार ६० साल से ज्यादा उम्र के लोगों को कोरोना वाइरस से सबसे अधिक खतरा है। तथापि रेल मंत्रालय इन दिशा-निर्देशों का उचित अनुपालन सुनिश्चित नहीं कर रहा है।
रेल कर्मचारियों और अधिकारियों का तो यह भी कहना है कि “चेयरमैन, रेलवे बोर्ड (सीआरबाई) भी तो री-एंगेज्ड हैं, नियमानुसार और उनकी नाकामियों को देखते हुए उन्हें भी तो हटाया जाना चाहिए।”
बहरहाल, सिर्फ आदेश-निर्देश जारी करना ही नहीं, बल्कि उनका अनुपालन करवाने की जिम्मेदारी भी सरकार, रेलवे बोर्ड सहित जोनल मुख्यालयों की भी है।