October 6, 2019

रेलवे को बेचने की साजिश कर रही सरकार श्रमिक विरोधी है -शिवगोपाल मिश्रा

लखनऊ में चारबाग रेलवे स्टेशन के सामने तेजस एक्सप्रेस की विरोध रैली को संबोधित करते हुए एआईआरएफ/एनआरएमयू के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा.

भारतीय रेल की पहली ‘कॉर्पोरेट ट्रेन’ के खिलाफ रेलकर्मियों का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन

लखनऊ : भारत सरकार द्वारा रेलवे के निजीकरण को प्रोत्साहित करते हुए लखनऊ से नई दिल्ली के बीच शुक्रवार, 4 अक्टूबर को पहली कॉर्पोरेट (प्राईवेट) ट्रेन ‘तेजस एक्सप्रेस’ का संचालन किए जाने से नाराज ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) के आह्वान पर नार्दर्न रेलवे मेंस यूनियन (एनआरएमयू) और पूर्वोत्तर रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के नेतृत्व में हजारों रेलकर्मियों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया.
फेडरेशन के विरोध की वजह से डरे रेल और जिला प्रशासन ने पूरे रेलवे स्टेशन परिक्षेत्र को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया. इतना ही नहीं यूनियन दफ्तर के बाहर भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती कर अवरोध लगा दिए गए. रेल कर्मचारियों की नाराजगी से डरे रेल प्रशासन ने किसी तरह भारी सुरक्षा में इस ट्रेन को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हरी झंडी दिखवाकर रवाना किया.
ट्रेन रवाना होने से पहले फेडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा की अगुवाई में एक प्रतिनिधि मंडल चेयरमैन रेलवे बोर्ड (सीआरबी) वी. के. यादव से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा और साथ ही सीआरबी से कहा कि रेल मंत्रालय कर्मचारियों से टकराव का रास्ता छोड़े और ट्रेनों का संचालन रेल कर्मचारियों को ही करने दिया जाए.
पहली तेजस ट्रेन को लखनऊ से उ.प्र. के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना करना था. इस बीच ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन ने विरोध प्रदर्शन का ऐलान कर दिया और कहा कि सरकार इस ट्रेन के माध्यम से निजीकरण का रास्ता खोलने जा रही है, फेडरेशन को यह कतई मंजूर नहीं है. विरोध की आवाज जब लखनऊ में गूंजी तो दिल्ली तक इसकी आहट पहुंची. गुरूवार से उत्तर प्रदेश शासन के बड़े अधिकारी लगातार शिवगोपाल मिश्रा से मिलकर विरोध प्रदर्शन को वापस लेने की मांग करते रहे.
इस पर महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने उन्हें बहुत स्पष्ट शब्दों में बता दिया कि वर्तमान केंद्र सरकार श्रमिक विरोधी है और भारतीय रेल को बेचने की साजिश कर रही है, ऐसे में विरोध प्रदर्शन को वापस लेने का कोई सवाल ही नहीं उठता. विरोध प्रदर्शन की खबर के बाद चेयरमैन, रेलवे बोर्ड वी. के. यादव ने महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा से बात की और कहा कि वे तेजस की शुरुआत के मौके पर लखनऊ में रहेंगे, हम पूरे मामले पर फेडरेशन से बात करने को तैयार हैं.
रेल प्रशासन ने सुबह ही एआईआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा की अगुवाई वाले प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात की और कहा कि कोई भी बड़ा फैसला यूनियन की सलाह मशवरे के बिना नहीं किया जाएगा. तेजस के बारे में सीआरबी ने कहा कि इस ट्रेन में ड्राईवर, गार्ड, स्टेशन मास्टर, मेंटीनेंस सभी कुछ रेल कर्मचारी ही करेंगे, चूंकि ये प्रीमियम ट्रेन है, इसलिए इसमें आईआरसीटीसी को शामिल किया गया है. उन्होंने आग्रह किया कि मुख्यमंत्री आज रेलवे के मेहमान हैं, इसलिए विरोध का रास्ता छोड़कर आयोजन में शामिल होना चाहिए. इस पर शिवगोपाल मिश्रा ने इस आयोजन में शामिल होने से इनकार करते हुए कहा कि हम अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे, लेकिन आयोजन में कोई व्यवधान पैदा नहीं करेंगे. तय हुआ कि जल्दी ही दिल्ली में एक बैठक कर पूरे मामले पर विस्तार से बात होगी.
लखनऊ में उत्तर रेलवे के ऑफिसर्स रेस्ट हाउस में चेयरमैन, रेलवे बोर्ड वी. के. यादव के साथ ट्रेनों के निजीकरण पर चर्चा करते हुए एआईआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा, नरमू के महामंत्री के. एल. गुप्ता एवं अन्य.
विरोध प्रदर्शन स्थल पर महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने रेल कर्मचारियों को संबोधित किया और कहा कि एकजुट होकर अपनी ताकत को दिखाने का यही समय है. उन्होंने कहा कि यदि हमें भारतीय रेल के वजूद को बचाए रखना है, तो एक बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहना होगा, सरकार की नीयत साफ नहीं है, भारतीय रेल को कमजोर करने की एक सुनियोजित साजिश चल रही है. उन्होंने कहा कि अगर हम तेजस ट्रेन के आधुनिक कोच बना सकते हैं, तो इसका संचालन भी कुशलतापूर्वक कर सकते हैं. उनका कहना था कि अभी तो यह शुरुआत है, रेल मंत्रालय ने ऐलान किया है कि ऐसी ही 150 और ट्रेनें चलाने का सरकार का इरादा है. फेडरेशन का मानना है कि ये छुपे रास्ते से निजीकरण की कोशिश है, जिसे हमें एकजुट होकर कामयाब नहीं होने देना है.
उन्होंने कहा कि सरकार की 100 दिन की कार्य-योजना से ही साफ हो गया कि उसकी नीयत साफ नहीं है. अब हमें तय करना है कि सरकार के मंसूबे को पूरा होने दें, या फिर संघर्ष का रास्ता अपनाते हुए अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ें. उन्होंने युवाओं और महिलाओं का आह्वान किया कि उन्हें अभी भारतीय रेल में काफी साल नौकरी करनी है, इसलिए होने वाले आंदोलन के लिए उन्हें सबसे आगे रहना होगा. कॉम. मिश्रा ने कहा कि जो हालात हैं, उसमें अब भारतीय रेल का चक्का जाम करना ही एकमात्र विकल्प रह गया है. हम सरकार से बात कर रहे है, लेकिन जब हमें लगेगा कि अब बातचीत से कोई रास्ता नहीं निकलने वाला है, तो चक्का जाम करना ही होगा.
इस सभा को एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री के. एल. गुप्ता, अध्यक्ष बसंत चतुर्वेदी और एनआरएमयू के मंडल मंत्री आर. के. पांडेय ने भी संबोधित किया. इस मौके पर सभी नेताओं ने शिवगोपाल मिश्रा को आश्वस्त किया कि फेडरेशन का आदेश मिलते ही उनके जोन और मंडल में रेल का चक्का पूरी तरह जाम हो जाएगा. यहां रेल कर्मचारी सरकार की नीतियों से बिल्कुल सहमत नहीं हैं. इस विरोध प्रदर्शन में एनआरएमयू के उपाध्यक्ष एस. यू. शाह, आर. ए. मीना, कोषाध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव, मंडल मंत्री उपेन्द्र सिंह, शैलेन्द्र सिंह और अरुण गोपाल मिश्रा सहित बड़ी संख्या में रेलकर्मी मौजूद थे.
उधर तेजस ट्रेन के दिल्ली पहुंचने पर दिल्ली मंडल के रेल कर्मचारियों ने गाजियाबाद और दिल्ली में भी भारी विरोध किया. इस दौरान महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा के अलावा अध्यक्ष एस. के. त्यागी, जोनल महामंत्री एल. एन. पाठक, मंडल मंत्री अनूप शर्मा एवं अन्य वरिष्ठ नेतागण मौजूद थे.

तेजस की महिला क्रू-मेंबर्स को देखकर यात्रियों की प्रतिक्रिया


पहली कॉर्पोरेट ट्रेन ‘तेजस एक्सप्रेस’ के ऑन-बोर्ड क्रू-मेंबर्स (खासतौर पर कैटरिंग) को देखकर लोगों को ‘सूर्यवंशम’ फिल्म में ठाकुर भानुप्रताप सिंह के नाम चलाई गई बस के सीन की याद ताजा हो गई, जिसमें ‘कंडक्टर’ के रूप में पहली बार लोगों को एक स्मार्ट महिला देखने को मिल रही थी और अत्यंत ग्लैमरस महिला कंडक्टर को देखकर लोग घर जाने के बजाय बस में ही घूमते रहते थे. उनकी प्रतिक्रिया भी यही थी कि यह सरकार लोगों को ऊपर से सब कुछ बढ़िया-बढ़िया दिखाकर दिग्भ्रमित कर रही है, जबकि अंदर से सब कुछ खोखला है. कुछ लोगों का यह भी कहना था कि फोटो-शोपिंग और विज्ञापनबाजी के माध्यम से न सिर्फ सरकारी सेवाओं पर लीपापोती की जा रही है, बल्कि देश की पूरी अर्थव्यवस्था पर भी इसी तरह पानी फेर दिया गया है.