कल्याण की निजी टिकट एजेंसी में चल रहा था फर्जीवाड़ा
रेलवे बोर्ड के सेंट्रल टिकट चेकिंग एंटीफ्रॉड स्क्वाड ने पकड़ा
कहां था और क्या कर रहा था मुंबई मंडल का एंटीफ्रॉड स्क्वाड?
मुंबई : हाल ही में रेलवे बोर्ड की सेंट्रल टिकट चेकिंग (सीटीसी) एंटीफ्रॉड टीम ने कल्याण रेलवे स्टेशन के बाहर स्थित निजी टिकट बुकिंग एजेंसी में चल रहे बोगस टिकट का फर्जीवाड़ा पकड़ा. अनारक्षित टिकट (यूटीएस) जारी करने का लाइसेंस इस निजी टिकट एजेंसी को जनरल टिकट बुकिंग सिस्टम (जेटीबीएस) के तौर पर मध्य रेलवे, मुंबई मंडल ने जारी किया था. इस फर्जीवाड़े से रेलवे को काफी नुकसान पहुंचाया जा रहा था.
प्राप्त जानकारी के अनुसार रेलवे बोर्ड की सीटीसी एंटीफ्रॉड टीम ने यह फर्जीवाड़ा अपने सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर उजागर किया है. इसके लिए रेलवे बोर्ड की एंटीफ्रॉड टीम मुंबई सबर्बन में उपनगरीय टिकट जारी करने वाले मुंबई मंडल के ऐसे लगभग सभी जेटीबीएस से जारी किए जाने वाले टिकटों पर लंबे समय से नजर रख रही थी.
इसके लिए जब एक दिन रेलवे बोर्ड की एंटीफ्रॉड टीम छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) में विभिन्न यात्रियों के टिकटों की जांच कर रही थी, तभी उसने एक यात्री के पास से मुहर लगा और हाथ से लिखा एक टिकट बरामद किया. जांच करने पर यह टिकट कल्याण की निजी टिकट एजेंसी (जेटीबीएस-97) से जारी किया हुआ पाया गया.
टीम द्वारा अधिक जांच करने पर पता चला कि जेटीबीएस ऑपरेटर द्वारा पहले कल्याण से डोम्बिवली के लिए 5 रुपये का टिकट जारी किया जाता है, मगर इसे स्टॉक पर प्रिंट न करके ब्लैंक निकाल लिया जाता है. इसके बाद उक्त ब्लैंक टिकट, जारी करने एवं गंतव्य, डोम्बिवली से सीएसएमटी दोनों स्टेशनों का नाम हाथ से लिखकर और उसे ओरिजनल टिकट बनाने के लिए उस पर रबर स्टैम्प लगाकर तथा उसे 30 रुपये का रिटर्न टिकट बनाकर यात्री को पकड़ा दिया जाता है.
इस तरह 5 रुपये की जगह 30 रुपये यात्री से लेकर जेटीबीएस मालिक अपनी जेब में रख रहा था और रेलवे को भारी चूना लगा रहा था. रेलवे बोर्ड की एंटीफ्रॉड टीम द्वारा की गई अधिक पूछताछ में जेटीबीएस मालिक और उसके ऑपरेटर ने यह बात स्वीकार की है कि वे अधिक कमाई करने के लिए यह फर्जीवाड़ा कर रहे थे.
सीटीसी एंटीफ्रॉड टीम ने पूरे मामले की गहराई से छानबीन करने के बाद इस फर्जीवाड़े से संबंधित अपनी रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को सौंप दी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार टीम ने अपनी रिपोर्ट में उक्त जेटीबीएस मालिक और उसके ऑपरेटर के विरुद्ध भादवि एवं रेलवे ऐक्ट के तहत गंभीर कार्यवाही करने तथा जेटीबीएस का लाइसेंस रद्द किए जाने की सिफारिश भी की है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार जेटीबीएस का यह फर्जीवाड़ा उजागर करने वाली दिल्ली से आई रेलवे बोर्ड सीटीसी एंटीफ्रॉड की टीम में विवेक सिंघई, हेमंत शर्मा, पी. एस. बघेल और संदीप सी. आदि वरिष्ठ एवं अनुभवी लोग शामिल थे. पता चला है कि जेटीबीएस के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए अब तक रेलवे बोर्ड से यह मामला मध्य रेलवे को फॉरवर्ड नहीं किया गया है.
विश्वसनीय सूत्रों से ‘रेल समाचार’ को मिली जानकारी के अनुसार विभिन्न जेटीबीएस द्वारा बड़ी संख्या में यात्रियों को इस प्रकार के फर्जी या बोगस टिकट जारी करके रेलवे रेवेन्यु को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया जा रहा है, जबकि ऐसे एकाध मामले ही पकड़ में आ पाते हैं.
यहां यह सवाल भी उठता है कि जब मुंबई मंडल सहित मध्य रेलवे मुख्यालय ही नहीं, बल्कि सभी जोनल मुख्यालयों एवं मंडलों में भी ऐसे एंटीफ्रॉड स्क्वाड बनाए गए हैं, तब वह क्या कर रहे हैं? उनकी नजर में या पकड़ में ऐसे फ्रॉड क्यों नहीं आ पाते? कहीं उनकी मिलीभगत अथवा उनकी जानकारी में ही तो यह समस्त फर्जीवाड़ा नहीं चल रहा है? अतः ऐसे सभी मामलों की गहन जांच जरूरी है.