August 15, 2019

मुंबई मंडल में सीएमएस एवं बायोमैट्रिक सिस्टम पूरी तरह फेल

कर्मचारी अपनी मर्जी से कार्यालय पहुंचते हैं और घर चले जाते हैं

लाइन में कार्यरत सभी कर्मचारियों का श्वास परीक्षण कराए जाने की मांग

मुंबई : करोड़ों रुपये सीएमएस और बायोमैट्रिक के लिए खर्च किए गए हैं, लेकिन मुंबई मंडल, मध्य रेलवे में यह सिस्टम शत-प्रतिशत फेल है. यह कहना है मंडल के कई वरिष्ठ रनिंग कर्मचारियों का. उनका कहना है कि कर्मचारी अपनी मर्जी से कार्यालय पहुंचते हैं और घर चले जाते हैं, जबकि पश्चिम रेलवे में बायोमैट्रिक एवं सीएमएस पूरी तरह चालू है. कर्मचारियों का मानना है कि यह मध्य रेल के अधिकारियों का फेलियर है, जो इस पूरी व्यवस्था को सही-सलामत नहीं रख पा रहे हैं. उनका कहना है कि इसके लिए संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए.

कर्मचारियों का कहना है कि मुंबई सबर्बन में कार्यरत मोटरमैन को सीएमएस पर साइन ऑन करने के लिए बाध्य किया गया, वह तो सही है, लेकिन गार्ड्स के लिए इस कानून को क्यों लागू नही किया जाना चाहिए? यह किसी की भी समझ से परे है. प्रशासन के इस सौतेले व्यवहार से लोको रनिंग कर्मचारी बुरी तरह खिन्न हैं.

कई रनिंग कर्मचारियों का कहना है कि पूरे मुंबई मंडल में सीएमएस पर साइन ऑन करने के लिए सहायक चालकों को रखा गया है. जबकि उन्हें जिस कार्य के लिए भर्ती किया गया, उनसे वह काम नहीं लिया जा जा रहा है. इस तरह एक आवश्यक स्टाफ का अपव्यय किया जा रहा है, जबकि मंडल में रनिंग स्टाफ की भारी शार्टेज चल रही है और इस पर रेल प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

उनका यह भी सवाल जायज है कि श्वास परीक्षण (Breathalyzer Test) सभी कर्मचारियों का क्यों नहीं होना चाहिए? केवल लोको रनिंग कर्मचारियों का ही श्वास परीक्षण क्यों होना चाहिए? उनका कहना है कि क्या गार्ड, स्टेशन मास्टर, सिग्नल विभाग, एसएसई/पी-वे, सीएंडडब्ल्यू स्टाफ और सभी ऑपरेटिंग कर्मचारी मादक पदार्थों का सेवन नहीं करते? यह कैसा मापदंड है?