PCCM/NER के विरुद्ध दो रेलकर्मियों ने की लिखित शिकायत

खानपान की विभिन्न वस्तुएं मंगाने, न पहुंचाने पर प्रताड़ित करने का लगाया आरोप

एनईआर के लगभग सभी वरिष्ठ वाणिज्य सुपरवाइजर पीसीसीएम की मांगों से हुए तंग

राजनीतिक संरक्षण प्राप्त पीसीसीएम पर कार्यवाही करने में अक्षम हो रहा रेल प्रशासन?

विजय शंकर, ब्यूरो प्रमुख/एनईआर

गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे के प्रमुख मुख्य वाणिज्य प्रबंधक (पीसीसीएम) आलोक सिंह अपनी कदाचारपूर्ण हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं, जबकि वह अपनी ऐसी निम्न-स्तरीय हरकतों के चलते पहले से ही विवादों में बने हुए हैं. लगभग 30 सालों से पूर्वोत्तर रेलवे में ही खूंटा गाड़कर जमे हुए आलोक सिंह सैलून के नियम विरुद्ध इस्तेमाल, वीपीयू काटकर और सैलून लगाकर फर्जी यात्रा करने, विवादास्पद मांग पूरी न होने पर पीडीडब्ल्यू आपूर्ति करने वाली फर्मों की अनुमति रद्द कर देने आदि-इत्यादि विवादास्पद गतिविधियों के चलते लगातार विवादों में हैं. इन तमाम विवादों में अब उनके विरुद्ध दो रेलकर्मियों द्वारा हाल ही में महाप्रबंधक को की गई दो लिखित शिकायतें भी जुड़ गई हैं, जिनमें दोनों रेलकर्मियों ने उन पर विभिन्न प्रकार की खानपान वस्तुएं, अन्य प्रसाधन सामग्री इत्यादि मंगाने, और न दिए जाने अथवा न पहुंचाए जाने पर प्रताड़ित करने तथा जाती-सूचक शब्दों से अपमानित करने के कई आरोप लगाए हैं. दोनों शिकायतों की प्रतियों सहित इससे संबंधित अन्य सबूत भी ‘रेल समाचार’ के पास सुरक्षित हैं.

महाप्रबंधक/पूर्वोत्तर रेलवे को संबोधित पहली लिखित शिकायत 22 अप्रैल को लखनऊ जंक्शन स्टेशन पर पदस्थ मुख्य खानपान निरीक्षक (सीसीआई) लालजी प्रसाद द्वारा की गई है. उन्होंने अपनी यह शिकायत डीआरएम/लखनऊ कार्यालय में 25 अप्रैल को रिसीव कराकर उचित माध्यम से महाप्रबंधक को भेजी थी. शिकायत में कहा गया है कि ‘पीसीसीएम महोदय प्रायः प्रार्थी से कुछ न कुछ सामान की मांग करते रहते हैं तथा जब कभी प्रार्थी अपनी असमर्थता व्यक्त करता है, तो उसे जाति-सूचक शब्दों से अपमानित करने और स्थानांतरण का भय दिखाकर डराने, धमकाने एवं प्रताड़ित करने की कोशिश की जाती है, जिससे कि मैं निरंतर पीसीसीएम महोदय की मांग पूरी करता रहूं. पीसीसीएम महोदय के इस व्यवहार के कारण प्रार्थी एवं मेरा पूरा परिवार मानसिक रूप से परेशान एवं उलझन में रहता है तथा कार्य-स्थल और घर पर हमेशा तनाव बना रहता है, जिसका असर परिवार के माहौल और बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है.’

सीसीआई/एलजेएन लालजी प्रसाद ने शिकायत में आगे लिखा है कि ‘प्रार्थी बहुत दिनों से पीसीसीएम महोदय की प्रताड़ना सहते-सहते अब और अधिक बर्दास्त करने की स्थिति में अपने को असमर्थ पा रहा है. इसलिए प्रार्थी महाप्रबंधक महोदय से निवेदन करता है कि महोदय आवश्यक कार्यवाही करके पीसीसीएम महोदय की मांग पूरी न करने के कारण प्रार्थी को स्थानांतरण का भय एवं जाति-सूचक शब्दों से निरंतर अपमानित करने वाली प्रताड़ना से मुक्ति दिलाने की कृपा करें, ताकि प्रार्थी सुकून से अपनी ड्यूटी और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके.’

पीसीसीएम/पूर्वोत्तर रेलवे आलोक सिंह के विरुद्ध महाप्रबंधक/पूर्वोत्तर रेलवे को इसी प्रकार की दूसरी लिखित शिकायत करनैलगंज रेलवे स्टेशन पर बतौर वाणिज्य अधीक्षक कार्यरत जगन्नाथ रविदास ने 29 अप्रैल को भेजी है. उन्होंने अपनी शिकायत में लिखा है कि ‘प्रार्थी, महोदय के संज्ञान में लाना चाहता है कि दि. 22.02.2019 को करनैलगंज स्टेशन के वार्षिक निरीक्षण के दौरान प्रार्थी के गले में रिबन से बंधी हुई नेम-प्लेट होनी चाहिए थी, परंतु अचानक कहीं खो जाने के कारण प्रार्थी ने अपनी जेब पर स्वहस्तलिखित नेम-प्लेट लगा रखी थी, जिसे देखकर पीसीसीएम गुस्से में आ गए तथा अपभ्रंश शब्दों में असंवैधानिक भाषा का प्रयोग करने लगे. प्रार्थी ने इस भूल के लिए श्रीमान के समक्ष हाथ-पैर भी जोड़ा, परंतु सुनने में आ रहा है कि श्रीमान जी का गुस्सा अभी तक शांत नहीं हुआ है और वे प्रार्थी का अंतर-मंडलीय स्थानांतरण करना चाहते हैं. ज्ञात हो, उक्त अवसर पर एम. पी. सिंह, सवाप्र-2, पूर्वोत्तर रेलवे, लखनऊ भी उपस्थित थे.’

जगन्नाथ ने अपनी लिखित शिकायत में आगे लिखा है कि ‘पीसीसीएम महोदय के इस व्यवहार से प्रार्थी एवं समस्त परिवार मानसिक रूप से परेशान और उलझन में रह रहा है तथा कार्य-स्थल एवं आवास पर मानसिक तनाव रहता है, जिसका दुष्प्रभाव बच्चों की पढ़ाई और प्रार्थी के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. अतः श्रीमान से निवेदन है कि प्रार्थी को उचित न्याय दिलाने की कृपा की जाए.’

उपरोक्त दोनों शिकायतों के संबंध में इस प्रतिनिधि ने पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे महाप्रबंधक के सचिव धर्मेश खरे से संपर्क करके जब यह जानने की कोशिश की कि उक्त शिकायतों पर महाप्रबंधक ने अब तक क्या कदम उठाया है, तो श्री खरे का कहना था कि ‘महाप्रबंधक को फिलहाल लालजी प्रसाद की ही एक शिकायत प्राप्त हुई है, जिसे आवश्यक जांच के लिए संबंधित सक्षम अधिकारी को भेजा गया है. जांच के बाद आवश्यक कार्यवाही की जाएगी.’ इसके अलावा उनका यह भी कहना था कि ‘दूसरी शिकायत अब तक महाप्रबंधक के पास नहीं पहुंची है. जब उक्त शिकायत मिल जाएगी, तब उस पर भी आवश्यक जांच के बाद उचित कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी.’

उपरोक्त के अलावा पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय के विश्वसनीय सूत्रों से ‘रेल समाचार’ को प्राप्त हुई अंदरूनी जानकारी के अनुसार कथित कार्यालयीन प्रक्रिया के तहत सीसीआई लालजी प्रसाद की लिखित शिकायत की एक प्रति पीसीसीएम आलोक सिंह को भी दी गई है. सूत्रों का कहना है कि उक्त शिकायत की प्रति मिलने के बाद उन्होंने लालजी प्रसाद को विशेष रूप से बुक करके गोरखपुर बुलाया और समझा-बुझाकर उससे समझौता कर लिया है. सूत्रों का यह भी कहना है कि राजनीतिक पहुंच की धौंस और प्रशासनिक दबाव की यही प्रक्रिया वह वाणिज्य अधीक्षक जगन्नाथ रविदास के साथ भी अपना सकते हैं. सूत्रों ने कहा कि अपनी-अपनी जगह बने रहने का अभयदान पाकर दोनों वाणिज्य कर्मचारी दबाव में आकर अपनी शिकायतें भी वापस ले लें, तो कोई बड़ी बात नहीं होगी, क्योंकि पूर्वोत्तर रेलवे में इस तरह की ‘ब्लैकमेलिंग’ कोई नई बात भी नहीं रह गई है.

तथापि, जानकारों का कहना है कि भ्रष्टाचार और कदाचार के विभिन्न आरोपों तथा उपरोक्त दोनों लिखित शिकायतों के बाद भी यदि रेल प्रशासन पीसीसीएम/पूर्वोत्तर रेलवे आलोक सिंह के खिलाफ मेजर पेनाल्टी चार्जशीट जारी करने के साथ ही उनके इंटर-रेलवे ट्रांसफर सहित विभाग प्रमुख से हटाकर उनकी साइड पोस्टिंग सुनिश्चित नहीं करता है, तो यह माना जाएगा कि रेल प्रशासन खुद ही इस प्रकार के कदाचार और भ्रष्टाचार का पालन-पोषण कर रहा है.

क्रमशः – ‘वीपीयू प्रकरण और कानपुर की फर्जी यात्रा !!’