कर्मचारियों की विभिन्न मांगों पर एनजेसीए को मिला गृहमंत्री का आश्वासन

एनजेसीए प्रतिनिधि मंडल ने गृहमंत्री राजनाथ को सरकारी वादों की याद दिलाई

केंद्रीय कर्मचारियों की मांगों पर बैठक, एनजेसीए ने किया कड़े संघर्ष की घोषणा

नई दिल्ली : नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ ऐक्शन (एनजेसीए) ने केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की मांगों को लेकर कड़ा संघर्ष और आंदोलन करने की घोषणा की है. इस संबध में एनजेसीए के समन्वयक और एआईआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने ‘रेल समाचार’ को भेजी एक विज्ञप्ति में कहा है कि 8 फरवरी 2019 को गृहमंत्री, भारत सरकार राजनाथ सिंह से उनके निवास पर एनजेसीए का एक प्रतिनिधि मंडल मिला. इस प्रतिनिधि मंडल में उनके अलावा एनजेसीए के अध्यक्ष और एनएफआईआर के महामंत्री डॉ. एम. राघवैया, अध्यक्ष गुमान सिंह के अलावा के. के. एन. कुटटी, अशोक सिंह, एल. एन. पाठक तथा आर. एन. पराशर भी शामिल थे. प्रतिनिधि मंडल ने गृहमंत्री से 30 जून 2016 को उनके निवास पर हुई ‘ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स’ की बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि वायदे के बावजूद न तो केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन बढ़ाया गया है, न ही फिटमेंट फार्मूले में सुधार किया गया है, और न ही नई पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना की बहाली पर कोई ठोस कदम उठाया गया. इन मुद्दों को लकर देश भर के सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है.

कॉम. मिश्रा ने बताया कि हालांकि एनजेसीए ने पूरा धैर्य बनाए रखा है, परंतु सरकार की तरफ से अब तक कोई सकारात्मक कदम न उठाए जाने के कारण केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि एनजेसीए ने अब यह निर्णय लिया है कि यदि सरकार इस बार कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाती है, और कर्मचारियों की समस्याओं का समुचित समाधन नहीं करती है, तो हमें अपने आंदोलन को तुरंत प्रभावी करना होगा.

उन्होंने कहा कि गृहमंत्री ने बहुत धैर्य के साथ प्रतिनिधि मंडल की बातों को सुना और कहा कि नई पेंशन योजना, न्यूनतम वेतन, फिटमेंट फार्मूले में सुधार के लिए प्रधानमंत्री से चर्चा करके वह जल्दी ही कोई उचित समाधान निकलवाने की कोशिश करेंगे. उन्होंने बताया कि इसके बाद जेसीएम कार्यालय में हुई एनजेसीए की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि नई पेंशन योजना के मुद्दे पर 13 मार्च को संसद पर विशाल प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा, जिसमें दिल्ली और आसपास के सरकारी कर्मचारी नई पेंशन योजना का विरोध करेंगे. इसी दिन पूरे भारत में सरकारी कार्यालयों पर पर धरना और प्रदर्शन का भी आयोजन किया जाएगा. कॉम. मिश्रा ने यह भी कहा कि इसी दिन सारे सरकारी कर्मचारी अपनी मांगों को न माने जाने के विरोध में काला फीता बांधकर काम करेंगे और भारत सरकार के प्रति अपना मूक विरोध प्रदर्शित करेंगे.

कॉम. मिश्रा ने आगे कहा कि बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि एनसी-जेसीएम, जो कि सरकारी रवैये के चलते एकदम मृतप्राय हो गई है और इसकी कोई बैठक भी आयोजित नहीं हो रही है, को लेकर 28 मार्च को एनसी-जेसीएम के सभी सदस्य दिनभर जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले चुनाव को देखते हुए जेसीएम ने यह भी निर्णय लिया है कि चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों को पत्र भेजकर नई पेंशन योजना को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना की बहाली करने की के साथ ही उनसे इसे अपने घोशणा पत्र में शामिल करने की भी मांग करेंगे.

राजनाथ सिंह ने दिया एनजेसीए प्रतिनिधि मंडल को भरोसा

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ ऐक्शन के प्रतिनिधि मंडल को भरोसा देते हुए कहा है कि पुरानी पेंशन बहाली के मामले में जल्दी ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करने की कोशिश की जाएगी. उन्होंने यह भरोसा प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व कर रहे एनसी-जेसीएम स्टाफ साइड के सेक्रेटरी शिवगोपाल मिश्रा से बात करते हुए दिया.

पूर्व निर्धारित समय के अनुसार गृहमंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर एनजेसीए के प्रतिनिधि मंडल की बैठक हुई. बैठक में एआईआरएफ महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को याद दिलाते हुए 10 दिन पहले 28 जनवरी को हुई बैठक की चर्चा की. उन्होंने कहा कि रेलमंत्री पीयूष गोयल, जिनके पास फिलहाल वित्त मंत्रालय का भी कार्यभार है, को बताया गया कि एनपीएस को लेकर न सिर्फ रेल कर्मचारियों, बल्कि सभी केंद्रीय कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है. रेलमंत्री को पूरे हालात की जानकारी दी गई है. उन्होंने बताया कि फिलहाल श्री गोयल ने कहा है कि इस मामले में उच्च स्तर पर बात की जाएगी.

महामंत्री कॉम. मिश्रा ने गृहमंत्री को फिर बताया कि पुरानी पेंशन की बहाली की मांग को लेकर देश भर में कर्मचारी आंदोलनरत हैं. राज्य कर्मचारियों के साथ ही बड़ी संख्या में शिक्षक सड़कों पर हैं. ऐसे में अब समय आ गया है कि सरकार पूरे मामले में तुरंत हस्तक्षेप करे और पुरानी पेंशन की बहाली का रास्ता साफ करने के लिए जरूरी कार्रवाई करे. महामंत्री ने उन्हें यह भी याद दिलाया कि अब सरकार के पास नीतिगत निर्णय लेने के लिए समय बहुत कम बचा है. इसलिए इसमें देरी से कर्मचारियों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. बहरहाल गृहमंत्री ने प्रतिनिधि मंडल को आश्वस्त किया कि उनकी कोशिश होगी कि जल्दी ही प्रधानमंत्री से बात कर केंद्रीय कर्मचारियों की भावनाओं से उन्हें न सिर्फ अवगत कराएंगे, बल्कि कर्मचारियों की नाराजगी को दूर करने की भी कोशिश होगी.

प्रतिनिधि मंडल ने न्यूनतम वेतन 26 हजार किए जाने के साथ ही फिटमेंट फार्मूले का मुद्दा भी उठाया. इस मौके पर एनसी-जेसीएम के चेयरमैन और एनएफआईआर के महामंत्री डॉ. एम. राघवैया ने गृहमंत्री के समक्ष जेसीएम की स्टैडिंग कमेटी की नियमित बैठकें न होने का मामला उठाया. उनका कहना था कि भारत सरकार और केंद्रीय कर्मचारियों के बीच टकराव को टालने के लिए यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण फोरम है, लेकिन सालों से इसकी बैठक ही नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि नेशनल काउंसिल की बैठक तो पिछले 10 साल से नहीं हुई है. यह एक गंभीर मामला है. गृहमंत्री ने प्रतिनिधि मंडल की सभी बातों को गौर से सुना और कहा कि सरकार केंद्रीय कर्मचारियों की सभी शिकायतों का समाधान करने का पूरा प्रयास करेगी.