चार महाप्रबंधकों की पोस्टिंग, टी.पी.सिंह की लेटरल शिफ्टिंग

जीएम पोस्टिंग्स में देरी से प्रभावित होते हैं प्रशासनिक एवं विकास कार्य

नई दिल्ली : अपॉइंटमेंट कमेटी ऑफ कैबिनेट (एसीसी) द्वारा सोमवार, 4 फरवरी को डीपीसी की अप्रूवल के बाद रेल मत्रालय (रेलवे बोर्ड) ने चार महाप्रबंधकों की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए हैं. छुट्टी पर होने के कारण विद्या भूषण को छोड़कर बाकी तीनों वरिष्ठ अधिकारियों ने पदस्थापना आदेश जारी होने के तत्काल बाद अपना पदभार ग्रहण कर लिया है.

रेलवे बोर्ड द्वारा जारी आदेश के अनुसार टी. पी. सिंह को उत्तर पश्चिम रेलवे, जयपुर के महाप्रबंधक पद से ट्रांसफर करके उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक पद पर पदस्थापित किया गया है. उल्लेखनीय है कि विश्वेश चौबे की 1 नवंबर 2018 को रेलवे बोर्ड में मेंबर इंजीनियरिंग के पद पर पदस्थापना के बाद से टी. पी. सिंह ही उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे थे.

हालांकि बताते है कि टी. पी. सिंह इस लेटरल शिफ्टिंग के लिए तैयार नहीं थे, क्योंकि वह उ.प.रे. में कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे थे. परंतु रेल प्रशासन की इच्छा का सम्मान करते हुए उन्होंने उत्तर रेलवे के जीएम का स्थाई पदभार स्वीकार कर लिया है.

इसके अलावा उत्तर रेलवे में अपर महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत रेल राजेश तिवारी (आईआरएसईई) को टी. पी. सिंह की जगह उत्तर पश्चिम रेलवे का महाप्रबंधक बनाया गया है. इसके साथ ही एसीसी ने राजेश तिवारी से सीनियर सुधीर कुमार (आईआरएसईई) को नॉन-फंक्शनल जीएम ग्रेड मंजूर किया है.

पूर्व मध्य रेलवे के अपर महाप्रबंधक रहे विद्या भूषण (आईआरएसएमई) को पूर्व तट रेलवे, भुवनेश्वर के महाप्रबंधक पद पर नियुक्त किया गया है. यह पद 30 नवंबर 2018 को उमेश सिंह के रिटायरमेंट के बाद खाली हुआ था. फिलहाल श्री भूषण के छुट्टी पर होने तक पूर्व तट रेलवे का अतिरिक्त कार्यभार दक्षिण पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक पी. एस. मिश्रा को सौंपा गया है.

पश्चिम रेलवे के अपर महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत आर. जैन(आईआरएसएमई) को इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ), चेन्नई के महाप्रबंधक का पदभार सौंपा गया है. यह पद सुधांशु मणि के 31 दिसंबर 2018 को सेवानिवृत्त होने के बाद 1 जनवरी 2019 से खाली था.

इसके साथ ही डायरेक्टर, इंडियन रेलवे इंस्टिट्यूट ऑफ मैकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (आईआरआईएमईई) के पद पर कार्यरत रहेगजानन माल्या (आईआरएसएमई) को दक्षिण मध्य रेलवे, सिकंदराबाद का महाप्रबंधक बनाया गया है. यह पद विनोद कुमार यादव को 1 जनवरी 2019 को चेयरमैन, रेलवे बोर्ड बनाए जाने के बाद रिक्त हुआ था.

उत्तर पश्चिम रेलवे, पूर्व तट रेलवे, आईसीएफ और दक्षिण मध्य रेलवे के महाप्रबंधकों के तौर पर हुई उपरोक्त चारों नियुक्तियां, आनंद देव (आईआरएसईई), पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे द्वारा गुवाहाटी कैट के समक्ष दाखिल याचिका सं. 168/2018 और डी. के. सोनकारिया (आईआरएसएमई), उत्तर मध्य रेलवे द्वारा इलाहाबाद कैट के समक्ष दाखिल याचिका सं. 1093/2018 तथा एम. के. गुप्ता (आईआरएसई), पश्चिम रेलवे द्वारा मुंबई कैट के सामने विचाराधीन याचिका सं. 469/2018 के अंतिम निष्कर्ष के मद्देनजर फिलहाल तदर्थ आधार पर की गई हैं.

जानकारों का कहना है कि वर्तमान जीएम पैनल-2018-19 से संभवतः यह अंतिम नियुक्तियां हैं. तथापि उनका कहना है कि जीएम पैनल में मौजूद योग्य वरिष्ठ अधिकारियों के होते हुए भी तीन-तीन, चार-चार महीनों तक महाप्रबंधकों की पोस्टिंग को लटकाकर रखने और निर्णय लेने में देरी करने का मतलब संबंधित अधिकारियों का आर्थिक और मानसिक नुकसान करना होता है. इसके अलावा उनका यह भी कहना है कि इसके लिए यदि उपरोक्त मामलों के अदालतों में विचाराधीन होने का कारण माना जाए, तो भी जो काम तीन-चार महीने बाद अब किया गया है, वह तीन-चार महीने पहले भी किया जा सकता था. अतः प्रशासन का यह कारण मान्य नहीं किया जा सकता है.

उनका कहना है कि महाप्रबंधक स्तर की नियुक्तियों, जो कि अब अमूमन राजनीतिक नियुक्तियां मानी जाने लगी हैं, में इस प्रकार की देरी किए जाने से जारी रेलवे प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग और यात्री सुविधाओं से संबंधित अन्य कार्यों सहित जोनल स्तर पर प्रशासनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है. इससे रेलवे का न सिर्फ विकास कार्य प्रभावित होता है, बल्कि संबंधित अधिकारियों का कार्य करने और करवाने का जज्बा भी बुरी तरह लड़खड़ा जाता है. अतः जब तक कोई बड़ी संवैधानिक अथवा न्यायिक अड़चन न हो, तब तक रेल प्रशासन को इस प्रकार की उच्च नियुक्तियों में सामान्यतः देरी नहीं करनी चाहिए.