रेलमंत्री के नाम पर हो रहा है टेंडर्स क्राइटेरिया में घालमेल!

समान कार्य के लिए समान योग्यता वाले कांट्रेक्टर योग्य नहीं?

खास फर्म को फेवर करने के लिए दिल्ली मंडल ने बनाई क्राइटेरिया

सीमित प्रतिस्पर्धा के चलते रेलवे को हो रहा करोड़ों-अरबों का नुकसान

सुरेश त्रिपाठी

एक तरफ रेलवे बोर्ड द्वारा जहां सभी जोनल रेलों और मंडलों में कांट्रेक्ट पर रोलिंग स्टॉक सहित अन्य रेल संपत्तियों के रख-रखाव हेतु समान कार्य के लिए समान योग्यता मानदंड (सिमिलर एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया) सुनिश्चित की गई है, वहीं दूसरी तरफ रेलवे बोर्ड की नाक के नीचे ही दिल्ली मंडल, उत्तर रेलवे द्वारा इस मामले में अलग ही राग अलापा जा रहा है. ‘रेल समाचार’ द्वारा इस संबंध में की गई पूछताछ के बाद दिखावे के लिए प्रकाशित टेंडर रद्द करके पुनः टेंडर जारी तो किया गया, परंतु उसकी ‘एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया’ में पुनः घालमेल कर दिया गया. इस बारे में जब अन्य जोनल रेलों का हवाला देते हुए फिर से दरयाफ्त किया गया, तो संबंधित अधिकारियों का कहना था कि यह रेलमंत्री का प्रोजेक्ट है, इसलिए अब इसमें और ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता.

उल्लेखनीय है कि दिल्ली मंडल, उत्तर रेलवे ने राजधानी/शताब्दी टाइप एलएचबी कोचों में पुराने टाइप की लाइट्स निकालकर उनकी जगह नए टाइप की एलईडी लाइट्स लगाने का टेंडर (नं. 30-इलेक्ट्रिकल/13टी-कोचिंग-2018-19, एवं टेंडर नं. 30-इलेक्ट्रिकल/15टी-कोचिंग-2018-19) जारी किया गया था. परंतु इस टेंडर में कॉन्ट्रैक्टर्स और फर्मों की एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में कुछ ऐसा घालमेल किया गया कि यह ‘वर्क्स टेंडर’ के बजाय ‘सप्लाई टेंडर’ हो जाता है. इसके कार्य का नाम इस प्रकार था- Removal of existing light fitting along with their electrical connection & retro fitment of LED light fitting with necessary modification and electrical connection etc in all the LHB Rajdhani type AC Coaches of Chg/Depot HNZM.

दिल्ली मंडल के 26 दिसंबर एवं 31 दिसंबर 2018 को खुलने वाले उक्त दोनों टेंडर्स की ‘डेफिनीशन ऑफ सिमिलर वर्क’ एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया पहले इस प्रकार से थी- “The firm quoting the tender should be RCF/ICF approved source as per their latest list of approval for Energy Efficient LED Based Luminaire Units for Passenger Coaches confirming to RDSO/PE/SPEC/TL/0091-2016 (Rev “1”) or latest, having done the work of supply of light fittings of TL/SGAC/EOG AC Coaches in RCF/ICF/Any Zonal Railways.”

उपरोक्त ‘डेफिनीशन ऑफ सिमिलर वर्क’ एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया पर ‘मार्वेल इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट्स प्रा.लि.’ नामक फर्म ने यह कहते हुए अपना लिखित ज्ञापन दिल्ली मंडल के सीनियर डीईई/कोचिंग को दिया था, कि जिस ओईएम कंपनी ने उसे अपना अधिकृत डीलर नियुक्त किया है, वह ऐसे किसी टेंडर में सीधे भाग नहीं लेती है और उसे इस प्रकार के कार्य करने का कोई अनुभव भी नहीं है, परंतु उक्त टेंडर की कंडीशन के अनुसार वह (मार्वेल) खुद भी इससे बाहर हो रही है, जिसे ऐसे कार्यों को करने का व्यापक अनुभव प्राप्त है. इसके अलावा ’रेल समाचार’ द्वारा की गई पूछताछ के बाद उपरोक्त टेंडर रद्द करके पुनः जारी किया गया. परंतु इस बार न सिर्फ कार्य के नाम में विस्तार किया गया, बल्कि इसकी एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में भी बदलाव कर दिया गया, मगर नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात ही रहा.

देखें- मंगलवार, 29 जनवरी 2019 को खुलने वाले उपरोक्त दोनों सुधारित टेंडर्स (नं. 30-इलेक्ट्रिकल/15टीआर-कोचिंग-2018-19 एवं टेंडर नं. 30-इलेक्ट्रिकल/13टीआर-कोचिंग-2018-19) के कार्य का नाम और डिफिनेशन ऑफ सिमिलर वर्क-

“Name of Work: Removal of existing light fitting along with their electrical connection & retro fitment of LED. Berth reading, light fitting with necessary modification and electrical connection as per RDSO/PE/SPEC/TL/0091-2016 (Rev “1”) in LHB AC Coaches of Rajdhani/Shatabdi Trains.”