सेक्रेटरी/रे.बो. के पद से रंजनेश सहाय की छुट्टी
रेलमंत्री पीयूष गोयल के आदेश पर हटाए गए रंजनेश सहाय
नई दिल्ली : सेक्रेटरी, रेलवे बोर्ड के पद से रंजनेश सहाय को तुरंत प्रभाव से हटा दिया गया है. रेलवे बोर्ड के संयुक्त सचिव/राजपत्रित एस. के. अग्रवाल द्वारा मंगलवार, 22 जनवरी को जारी आदेश के अनुसार सहाय की जगह अब रेलवे बोर्ड में ही प्रिंसिपल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर/इंफ्रास्ट्रक्चर रहे वरिष्ठ आईआरटीएस अधिकारी सुशांत कुमार मिश्रा को सेक्रेटरी, रेलवे बोर्ड बनाया गया है. रेलवे बोर्ड के विश्वसनीय सूत्रों से ‘रेल समाचार’ को प्राप्त जानकारी के अनुसार सहाय को रेलमंत्री पीयूष गोयल के आदेश पर हटाया गया है. सूत्रों का यह भी कहना है कि सहाय के कामकाज के तौर-तरीकों और रवैये से रेलमंत्री सहज महसूस नहीं कर रहे थे. उनका कहना है कि बतौर सेक्रेटरी, रेलवे बोर्ड रंजनेश सहाय रेल भवन में रेलमंत्री और सीआरबी के बाद तीसरा पॉवर सेंटर बन गए थे.
सूत्रों का यह भी कहना है कि रंजनेश सहाय चूंकि पूर्व सीआरबी की पसंद थे, इसलिए भी रेलमंत्री उन्हें काफी समय से हटाना चाहते थे. परंतु उन्हें रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा का वरदहस्त प्राप्त होने के कारण रेलमंत्री अब तक संकोच कर रहे थे. सूत्रों ने बताया कि मेंबर स्टाफ के मामले में जिस तरह सहाय और पूर्व सीआरबी ने गलत स्टैंड लिया, वह भी रेलमंत्री को रास नहीं आया है. उनका कहना है कि जब सीआरसी की अनुशंसा के बाद कार्मिक मंत्री ने उस पर अपनी सहमति दे दी थी और उसके बाद वित्तमंत्री के रूप में स्वयं उन्होंने (रेलमंत्री) भी इस पर हस्ताक्षर कर दिए थे, तब सेक्रेटरी और पूर्व सीआरबी द्वारा पीएमओ को ओरिजिनल प्रस्ताव भेजने के बजाय उसमें घालमेल करके इस मामले में उनकी छवि खराब करने की कोशिश की गई, जो कि उन्हें सख्त नागवार लगी है.
इसके अलावा सूत्रों का यह भी कहना है कि उनके (रेलमंत्री) मना करने के बावजूद कार्मिक मंत्री को ज्ञापन देने गए कुछ कार्मिक अधिकारियों को जिस तरह असमय ट्रांसफर के बहाने प्रताड़ित करने का प्रयास किया गया, उससे भी रेलमंत्री काफी खफा हैं. इसके साथ ही वह खासतौर पर रंजनेश सहाय से इसलिए भी खफा थे कि उन्होंने बिना उनकी जानकारी के कार्मिक सचिव को पत्र लिखकर उनके ओएसडी की प्रतिनियुक्ति समाप्त करके उन्हें रेल मंत्रालय में तुरंत वापस भेजे जाने को कहा था. उल्लेखनीय है कि रंजनेश सहाय लंबे अर्से से अपनी जुगाड़ और पहुंच की बदौलत रसूखदार पदों पर विराजमान होते रहे हैं, जबकि वह कभी डीआरएम या एचओडी अथवा पीएचओडी भी नहीं रहे. अब उन्हें बड़े बेआबरू होकर रेलवे बोर्ड से निकलना पड़ा है. ऐसे में यही कहा जा सकता है कि समय बड़ा बलवान है, वह शायद यह भूल गए थे.
कैपिटल हेड के बजाय रेवेन्यू हेड से कंप्यूटरों की खरीद
पूर्वोत्तर रेलवे लेखा विभाग द्वारा रेलवे बोर्ड के निर्देश का खुला उल्लंघन
गोरखपुर ब्यूरो : विश्वसनीय सूत्रों से ‘रेल समाचार’ को प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्वोत्तर रेलवे के लेखा विभाग ने हाल ही में कुल 58 कंप्यूटर की खरीद ‘रेवेन्यू हेड’ से रिप्लेसमेंट एकाउंट पर की है, जबकि यह खरीद कैपिटल हेड से की जानी चाहिए थी. सूत्रों का कहना है कि रेलवे बोर्ड ने ‘रेवेन्यू हेड’ पर अनावश्यक बोझ डाले जाने के प्रति सख्त मनाही कर रखी है. ऐसे में पूर्वोत्तर रेलवे लेखा विभाग द्वारा रेवेन्यु हेड पर की गई कंप्यूटरों की यह खरीद किसी गंभीर अनियमितता की ओर इशारा कर रही है. अतः अविलंब इसकी जांच रेलवे बोर्ड विजिलेंस से कराई जानी चाहिए.