सीबीआई ने दर्ज की रेल अधिकारियों और आउट एजेंसी के विरुद्ध एफआईआर
फर्टिलाइजर की आपूर्ति में कोताही और घोटाले के लिए आउट एजेंसी जिम्मेदार
घोटाले के लिए रेलवे और आउट एजेंसी दोनों समान रूप से जिम्मेदार -किसान सभा
नौगाम, श्रीनगर : सीबीआई/एसीबी की श्रीनगर स्थित यूनिट ने ‘सोर्स इनफर्मेशन’ के आधार पर गुरूवार, 17 जनवरी को ऊधमपुर स्थित ‘रेलवे आउट एजेंसी’ मनोज जी एंड कंपनी एवं इसके कर्ताधर्ता राजेश ओबेराय सहित कुछ अज्ञात रेल अधिकारियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 120-बी, 409, 420 आरपीसी सहित 5(2), 5(1)(सी) एंड (डी) जेएंडके पीसी ऐक्ट, 2006 इत्यादि धाराओं के अंतर्गत एफआईआर दर्ज की है. एफआईआर के अनुसार मनोज जी एंड कंपनी, राजेश ओबेराय एवं अज्ञात रेल अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने करोड़ों रुपये की फर्टिलाइजर की आपूर्ति में घालमेल करके भारी घोटाला किया है.
उल्लेखनीय है कि देश के विभिन्न भागों से मालगाड़ियों के माध्यम से श्रीनगर पहुंचाई जाने वाली फर्टिलाइजर को रेलवे प्लेटफार्म से डिलीवरी पॉइंट तक पहुंचाने की जिम्मेदारी रेलवे की है, जिसके लिए रेलवे ने आउट एजेंसी के तौर पर मनोज जी एंड कंपनी को नियुक्त किया था. मगर इस आउट एजेंसी ने उत्तर रेलवे और रेलवे बोर्ड के उच्च अधिकारियों की मिलीभगत से श्रीनगर के किसानों एवं फल उत्पादकों तक समय से कभी-भी फर्टिलाइजर की आपूर्ति नहीं की. रेलवे ने जब इस आउट एजेंसी को हटाने और उसका कांट्रेक्ट रद्द करने की कोशिश की, तो कंपनी रेलवे के विरुद्ध अदालत में चली गई. यह मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है, जिसके चलते जम्मू एवं कश्मीर के सैकड़ों फल उत्पादक किसानों की फसलें बरबाद हो रही हैं.
ज्ञातव्य है कि गुजरात स्थित कांदला संयंत्र में इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड द्वारा उत्पादित/निर्मित फर्टिलाइजर को सब्सिडाइज्ड रेट पर कश्मीर घाटी के फल उत्पादकों एवं अन्य किसानों तक पहुंचाने के लिए रेलवे ट्रांसपोर्टिंग एजेंसी है. रेलवे यह फर्टिलाइजर कांदला से ऊधमपुर तक पहुंचाती है. इसके बाद ऊधमपुर रेलवे स्टेशन से घाटी में विभिन्न डिलीवरी पॉइंट तक यह फर्टिलाइजर पहुंचाने की अपनी जिम्मेदारी रेलवे ने आउट एजेंसी नियुक्त करके मनोज जी एंड कंपनी को सौंपी थी. सीबीआई को अपने स्रोतों से जानकारी मिली है कि वित्तवर्ष 2017-18 के दौरान करीब 1000 मीट्रिक टन फर्टिलाइजर गंतव्य (डिलीवरी पॉइंट्स) तक पहुंचा ही नहीं है.
सीबीआई का मानना है कि यह घालमेल निजी ठेकेदार (आउट एजेंसी) के साथ कुछ अज्ञात रेल अधिकारियों की मिलीभगत और साजिश से संभव हुआ है. हालांकि ‘रेल समाचार’ से बात करते हुए जम्मू एंड कश्मीर किसान सभा के प्रमुख पदाधिकारियों का आरोप है कि इस घोटाले के लिए रेलवे और आउट एजेंसी दोनों समान रूप से जिम्मेदार हैं.