उच्च रेल अधिकारियों की गरिमा को नष्ट करने पर उतारू रेलमंत्री
जीएम/डीआरएम को करने पड़ रहे हैं अपनी गरिमा के विपरीत कार्य
रेल राजस्व को हो रहे करोड़ों रुपये के नुकसान के लिए सरकार जिम्मेदार
मुंबई : तमाम दिखावेबाजी, शोशेबाजी और फोटो-शॉपिंग के बाद ऐसा लगता है कि अपनी और ज्यादा काबिलियत दर्शाने के उद्देश्य से रेलमंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे के जीएम/डीआरएम सहित तमाम विभाग प्रमुखों, यानि उच्च प्रशासनिक वेतनमान (एचएजी) स्तर के रेल अधिकारियों को भी रेलवे के बुनियादी और ढ़ांचागत विकास कार्यों से हटाकर तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी रेलकर्मियों के कार्य करने में लगा दिया है. शायद यही वजह रही होगी कि शुक्रवार, 4 जनवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक देवेंद्र कुमार शर्मा और मंडल रेल प्रबंधक, मुंबई मंडल एस. के. जैन टिकट चेकिंग करवाते हुए प्लेटफार्म पर खड़े नजर आए.
फोटो परिचय : मुंबई सीएसएमटी पर शुक्रवार, 4 जनवरी को टिकट चेकिंग की मॉनिटरिंग करते हुए प्लेटफार्म पर खड़े दिखाई दे रहे हैं मध्य रेलवे के महाप्रबंधक देवेंद्र कुमार शर्मा. उनके साथ मंडल रेल प्रबंधक, मुंबई मंडल एस. के. जैन भी दिखाई दे रहे हैं.
हालांकि उक्त दोनों उच्च अधिकारियों की मौजूदगी और देखरेख में पकड़े गए बेटिकट एवं अनुचित टिकरधारी यात्रियों से एक दिन में सिर्फ मुंबई सीएसएमटी पर ही दंड स्वरूप लगभग 3 लाख रुपये की वसूली की गई. मगर अंग्रेजी मीडिया ने इस आंकड़े को सरकार की हर मामले को बढ़ा-चढ़ाकर दर्शाने (सर्वसामान्य के लिए अकल्पनीय) की नीति के अनुरूप सोशल मीडिया पर ‘0.3 मिलियन रुपये की वसूली’ लिखा. जबकि वहीं पर उन्होंने यह नहीं लिखा कि रेलमंत्री को चाहिए कि जीएम/डीआरएम जैसे उच्च रेल अधिकारियों को ऐसे फालतू कार्यों में झोंककर और उनकी क्षमता, प्रतिभा एवं गरिमा का अपमान करते हुए रेलवे के बुनियादी और ढ़ांचागत विकास कार्यों की गति शिथिल करने के बजाय टिकट चेकिंग स्टाफ के कम से कम स्वीकृत पदों के अनुरूप रिक्तियों की भरपाई की जाए.
जबकि इस मुद्दे पर कुछ यूनियन पदाधिकारियों सहित कई वरिष्ठ रेलकर्मियों ने ‘रेल समाचार’ द्वारा पूछी गई उनकी प्रतिक्रिया के जवाब में कहा कि टिकट चेकिंग सहित लगभग हर कैडर में वर्षों से खाली पड़े हजारों रिक्त पदों को भरने के बजाय रेलमंत्री द्वारा हजारों-लाखों भर्तियां करने की सिर्फ दिखावेबाजी और घोषणाएं की जा रही हैं. इसके साथ ही बुनियादी एवं योजनागत विकास कार्य करने वाले उच्च अधिकारियों को उनके पद की गरिमा के विपरीत कार्यों में लगाकर न सिर्फ निर्धारित समय पर गाड़ियां चलाने, माल-ढुलाई करने के रेलवे के मुख्य कार्य से जन-मानस का ध्यान भटकाया जा रहा है, बल्कि इस प्रकार से उच्च रेल अधिकारियों की क्षमता और काबिलियत को दरकिनार करके उनकी गरिमा को भी नष्ट किया किया जा रहा है.
हालांकि यूनियन पदाधिकारियों का यह भी कहना था कि जीएम और डीआरएम जैसे उच्च अधिकारियों को अपने सामने – अपने साथ खड़ा देखकर स्टाफ का मनोबल और उसके काम करने का उत्साह काफी बढ़ जाता है. तथापि यह सारी कवायद न सिर्फ अनुचित है, बल्कि स्टाफ की कमी के चलते और बेटिकट यात्रियों की बढ़ती संख्या से रेल राजस्व को हो रहे करोड़ों-अरबों रुपये के नुकसान के लिए सरकार जिम्मेदार है. इस मौके के बहाने यूनियन पदाधिकारियों ने रेलकर्मियों की मानी गई विभिन्न मांगों पर भी सरकार की वादाखिलाफी और रेल प्रशासन की अन्य तमाम कमियों का उल्लेख भी किया है.