मेंबर स्टाफ पद की बोली लगाने का रास्ता फिर खुला?

रेलवे बोर्ड ने पीएमओ के दिशा-निर्देश को डस्टबिन में डाला

साजिशन किया गया एमएस को इनकैडरमेंट से एक्सकैडरमेंट

आईआरपीएस को एस्टेब्लिशमेंट मामले में अबोध शिशु बताया

अन्य विभागों के साथ-साथ आरबीएसएस की भी है भारी तिकड़म

सुरेश त्रिपाठी

#रेलवे_बोर्ड के अथक प्रयासों से रेल अधिकारियों की #कैडर_रिस्ट्रक्चरिंग पर डीओपीटी, वित्त मंत्रालय और कैबिनेट रिकमेन्डेशन कमेटी (सीआरसी) ने अपनी मुहर लगा दी है. इसके लिए रेलवे बोर्ड ने कैडर रिस्ट्रक्चरिंग के साथ-साथ मेंबर स्टाफ (एमएस) की पोस्ट को इनकैडरमेंट करते हुए यह पद भारतीय रेल कार्मिक सेवा (आईआरपीएस) के अधिकारियों को देने का प्रस्ताव तैयार किया था. यह प्रस्ताव फाइल पर चेयरमैन, रेलवे बोर्ड (सीआरबी) और रेलमंत्री की सहमति (अप्रूवल) के पश्चात तैयार किया गया था, जो प्रस्तावित कैडर रिस्ट्रक्चरिंग के साथ ही होना था. परंतु ‘रेल समाचार’ को अपने विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रेलवे बोर्ड में एक बड़ी साजिश के तहत मेंबर स्टाफ की पोस्ट को इनकैडरमेंट किए जाने के प्रस्ताव को ड्राप करके सिर्फ कैडर रिस्ट्रक्चरिंग वाले प्रस्ताव को ही पीएमओ के अंतिम अप्रूवल के लिए भेजा गया.

उधर #पीएमओ के सूत्रों से ‘रेल समाचार’ को प्राप्त जानकारी के मुताबिक रेलवे बोर्ड से मिले कैडर रिस्ट्रक्चरिंग के प्रस्ताव का अध्ययन करने के बाद पीएमओ ने इसे बैरंग वापस लौटाते हुए रेलवे बोर्ड से वही प्रारंभिक प्रस्ताव भेजने को कहा है, जिसमें कैडर रिस्ट्रक्चरिंग के साथ-साथ मेंबर स्टाफ की पोस्ट आईआरपीएस कैडर को देने की बात कही गई थी और जिस पर पहले ही डीओपीटी, वित्त मंत्रालय और सीआरसी की मान्यता की मुहर लग चुकी थी. परंतु सूत्रों का कहना है कि रेलवे बोर्ड द्वारा अब यह कुतर्क किया जा रहा है कि मेंबर स्टाफ का कार्यभार बहुत ही विविध प्रकार का होता है, जिसके लिए ‘स्पेशल टेलेंट’ की आवश्यकता होती है. इसलिए इस पद को ‘नवजात’ आईआरपीएस अधिकारियों के हाथों में नहीं सौंपा जा सकता है. सूत्रों का कहना है कि ‘स्पेशल टैलेंट’ का कुतर्क इसलिए दिया जा रहा है, क्योंकि इस पर अब तक आरबीएसएस का एकाधिकार है, जो कि आईआरपीएस के आने से टूटने की आशंका है.

सूत्रों का कहना है कि इस प्रस्ताव को बदलने के पीछे अनेकों कयास लगाए जा रहे हैं, कुतर्क दिए जा रहे हैं. इन कयासों और कुतर्कों को बारीकी से समझने के बाद तीन बातें मुख्य रूप से सामने आती हैं, जो कि निम्नलिखित हैं-

1. मेंबर स्टाफ का पद राजनीतिक रूप से भी बहुत संवेदनशील माना गया है, क्योंकि इस पद पर सभी विभागों से अधिकारी नियुक्त हो सकते हैं. इसलिए कोई भी रेलमंत्री इस ‘दुधारू गाय’ का स्वरूप बदलना नहीं चाहेगा. इसका जीता-जागता उदाहरण पिछली सरकार में मेंबर स्टाफ के पद को बेचने के चक्कर में तत्कालीन रेलमंत्री को अपनी कुर्सी गवानी पड़ी थी.

2. मेंबर स्टाफ के पद को इनकैडरमेंट न होने देने के पीछे रेलवे में विभागवाद के चलते अन्य विभागों की भी साजिश हो सकती है, क्योंकि मेंबर स्टाफ के पद को गेट-वे की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा है. शायद इस वजह से खासतौर पर इंजीनियरिंग, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और ट्रैफिक विभागों को इनकैडरमेंट का यह फॉर्मूला हजम नहीं हो रहा होगा.

3. रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) की सबसे कुटिल सेवा मानी जाने वाली ‘रेलवे बोर्ड सेक्रेट्रियेट सर्विस’ (आरबीएसएस) के कूप-मंडूक अधिकारी भी मेंबर स्टाफ की पोस्ट को इनकैडरमेंट किए जाने के पक्ष नहीं हो सकते हैं, क्योंकि आईआरपीएस के मेंबर स्टाफ बनते ही आरबीएसएस के अधिकारी हाशिये पर चले जाएंगे. इस वजह से उनकी मेनीपुलेशन (जोड़तोड़) वाली कु-प्रवृत्ति पर बड़ा अंकुश लगेगा, जिसके परिणामस्वरूप उनका वर्चस्व कम हो जाएगा.

इस पूरे मामले पर ‘रेल समाचार’ का भी यही मानना है कि मेंबर स्टाफ का पद स्टैब्लिशमेंट से संबंधित है और इसकी जानकारी अन्य विभागों की तुलना में कार्मिक विभाग के आईआरपीएस अधिकारियों को ज्यादा होती है. उनका संपूर्ण प्रशिक्षण भी स्टैब्लिशमेंट आधारित होता है. मेंबर स्टाफ के एक्सकैडर होने से रेलवे बोर्ड में मौजूद आरबीएसएस के लोगों ने बड़ी आसानी से नियमों को तोड़-मरोड़कर और उन्हें अपने अनुरूप बनाकर पूरे रेल प्रशासन को ताक पर रख छोड़ा है. इसके अलावा सीआरबी सहित बोर्ड के किसी भी मेंबर और अन्य उच्च अधिकारी की मजाल नहीं है कि वह अपने अनुरूप आरबीएसएस से कोई काम करवा सकें. शायद इससे ज्यादा उन्हें बताने की जरूरत नहीं है. इसलिए ‘रेल समाचार’ की भी यह पुरजोर मांग है कि रेलहित में मेंबर स्टाफ की पोस्ट को अविलंब इनकैडरमेंट करते हुए डीओपीटी, वित्त मंत्रालय और सीआरसी की सिफारिशों को संज्ञान में लेकर यह पद कार्मिक विभाग के आईआरपीएस अधिकारियों को सौंपा जाना चाहिए.