ओ. पी. सिंह ने उ.म.रे. के नए प्रमुख मुख्य अभियंता का पदभार संभाला
इलाहाबाद ब्यूरो : भारतीय रेल इंजीनियरिंग सेवा वर्ष 1983 बैच के अधिकारी ओ. पी. सिंहने 19 मार्च को उत्तर मध्य रेलवे के प्रमुख मुख्य इंजीनियर (पीसीई) का पदभार ग्रहण कर लिया. इससे पूर्व वह वरिष्ठ उप महाप्रबंधक, पश्चिम मध्य रेलवे, जबलपुर के पद पर कार्यरत थे. श्री आईआईटी, रुढ़की से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक ओ. पी. सिंह, डीएमआरसी में मुख्य इंजीनियर, मुख्य सतर्कता अधिकारी, मुख्य परियोजना प्रबंधक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं.पीपीपी मॉडल पर हाई स्पीड मेट्रो एक्सप्रेस लाइन प्रोजेक्ट लागू करने सहित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, नई दिल्ली में टर्मिनल-1 से टर्मिनल-3 तक रोड टनल परियोजना के निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उन्होंने ‘दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लाइन्स-पीपीपी परियोजना को लागू करने का एक अनुभव’ शीर्षक नामक एक पुस्तक भी लिखी है.
हवाई अड्डों के लिए उच्च गति रेल लिंक, रेल एवं मेट्रो प्रणाली, निर्माण तकनीक एवं मशीनरी, भूमि का व्यावसायिक उपभोग, मंडल रेल प्रबंधक के कुशल नेतृत्व कार्यक्रम इत्यादि से संबंधित अध्ययन हेतु उन्होंने अब तक 10 देशों का दौरा किया है. श्री सिंह ने मध्य रेलवे में मंडल रेल प्रबंधक, नागपुर के पद पर कार्य के दौरान आय एवं लोडिंग, कर्मचारी कल्याण, ग्राहक संतुष्टि एवं सिस्टम सुधार जैसे अनेकों उल्लेखनीय कार्य किए हैं.
उ.म.रे. के इलाहाबाद, मथुरा एवं झांसी स्टेशनों का होगा पुनर्विकास
इलाहाबाद ब्यूरो : उत्तर मध्य रेलवे के तीन महत्वपूर्ण स्टेशनों – इलाहाबाद, मथुरा एवं झांसी – को पुनर्विकसित करके इसकी यात्री सुविधाओं को नए स्तर तक अपग्रेड किया जाएगा. रेलवे बोर्ड से प्राप्त निर्देशों के अनुसार भारतीय रेल के 70 स्टेशनों को पुनर्विकसित किया जाना है. ये स्टेशन ‘भारतीय रेल स्टेशन विकास प्राधिकारण’ द्वारा पुनर्विकसित किए जाने वाले पूर्व घोषित 600 स्टेशनो के अतिरिक्त हैं और इनको अपने क्षेत्राधिकार के अनुरूप संबंधित क्षेत्रीय रेलों द्वारा विकसित किया जाएगा. क्षेत्रीय रेलवे स्तर पर विकसित किए जाने वाले 70 स्टेशनों में उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद, मथुरा एवं झांसी स्टेशन भी शामिल हैं.
पुनर्विकास कार्य 20 मुख्य बिंदुओं को ध्यान में रखकर किया जाएगा, जो कि निम्नवत हैं-
1. स्टेनलेस स्टील की बेंचो का प्रावधान.
2. मोबाइल फोनों के लिए चार्जिंग प्वाइंट.
3. व्हीलचेयर की जानकारी उपलब्ध कराना.
4. मॉड्यूलर कैटेरिंग कियोस्कों का प्रावधान.
5. बुकिंग एरिया एवं आगमन परिक्षेत्र में सुधार.
6. स्टेशन भवन के प्रवेश (इमारत का मुख्य द्वारा) में सुधार.
7. स्टेशन अधीक्षक/स्टेशन मास्टर/उप स्टेशन अधीक्षक के कमरों से सुधार.
8. कूड़े को व्यवस्थित तरीके से एकत्रित करना एवं उसका निस्तारण करना.
9. आवश्यकता के अनुरूप एवं बेहतर स्वच्छता हेतु वाशेबल एप्रन का निर्माण.
10. दिव्यांगों के लिए स्पर्श टाइल्स, स्टैंडर्ड मॉड्यूलर संकेत आदि का प्रावधान.
11. लिफ्ट एवं स्केलेटर के प्रावधान के साथ-साथ पुलों के चौड़ीकरण का प्रावधान.
12. ग्रेनाइट (फ्लेम बर्न्ट) और वैक्यूम डिवाटर्ड कंक्रीट से प्लेटफार्म की सतह में सुधार.
13. यातायात को आवागमन के अनुकूल बनाने के दृष्टिगत सर्कुलेटिंग एरिया में सुधार.
14. एनएसजी1/एनएसजी2 स्टेशन पर पेड एक्जीक्यूटिव लाउन्ज (रिफ्रेशमेंट सहित) की सुविधा.
15. सभी क्षेत्रों में बेहतर प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए एलईडी लाइटों का प्रावधान.
16. कुछ स्टेशनों के पास अपने जिंगल्स भी हो जो कि पब्लिक एनाउंसमेंट के बीच में बजाया जाए.
17. ट्रेस पासिंग को रोकने एवं नियंत्रण बनाए रखने के दृष्टिगत सीमावर्ती दीवार/बाड़ों का प्रावधान.
18. महाप्रबंधक/मंडल रेल प्रबंधक द्वारा किसी अन्य आवश्यक आइटम को भी संज्ञान में लिया जा सकता है.
19. एनएसजी1/एनएसजी2 स्टेशन पर प्लेटफार्म के अनुसार उपलब्ध सभी सुविधाओं की स्थिति को दर्शाता स्टेशन का मानचित्र.
20. माड्यूलर वाटर कियोस्क और वॉटर एटीएमों के प्रावधान के साथ-साथ मौजूदा वेटिंग हॉल, वेटिंग रूम, रिटायरिंग रूम, शौचालयों आदि में सुधार। प्लेटफार्म की लम्बाई के अनुसार हर समय पीने योग्य पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना.
इस विषय पर बोलते हुए महाप्रबंधक, उत्तर मध्य रेलवे एम. सी. चौहान ने कहा कि इन स्टेशनों के अपग्रेडेशन को तत्काल प्रभाव से किया जाएगा. इन चिन्हित स्टेशनों पर कार्यो को दिसम्बर 2018 तक पूरा कर लिया जाएगा. इनमें बिना किसी अनावश्यक निर्माण के परिवर्तन लाने पर बल रहेगा. इसके लिए मंडल रेल प्रबंधक समग्र आर्किटेक्चरल योजना के लिए आर्किटेक्चरल कंसलटेंट नियुक्त करेंगे. इसके लिए स्थानीय स्टेक होल्डरों से फीडबैक एवं विचार भी लिए जाएंगे. रेलवे बोर्ड के अधिकारियों की विशेष टीम भी मंडल रेल प्रबंधकों के साथ सहयोग हेतु जुड़ेगी. औसतन प्रत्येक स्टेशन पर प्रस्तावित सुधारों के लिए 15 से 20 करोड़ रुपये की लागत आएगी.