विशेष गाड़ी के नाम पर यात्रियों को उल्लू बना रहा रेल प्रशासन
गाड़ी छूटने और प्रतीक्षा सूची टिकट का पैसा हड़पकर लूटा जा रहा है
विशेष गाड़ियों में अवैध हाकरों का काम कर रहे हैं एसी कोच अटेंडेंट्स
मुंबई : पिछले करीब तीन-चार सालों से रेल प्रशासन द्वारा विशेष गाड़ियों के नाम पर रेल यात्रियों को खुलेआम लूटा जा रहा है, मात्र 25 से 30 प्रतिशत पैसेंजर आक्युपेंसी वाली इन कथित विशेष गाड़ियों में लगभग समस्त यात्री सुविधाओं का घोर आभाव है, तथापि रेल प्रशासन द्वारा इन गाड़ियों में सामान्य यात्री सुविधाएं भी मुहैया नहीं कराई जा रही हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण गाड़ी सं. 04418, हजरत निजामुद्दीन से पुणे वाया कल्याण चलने वाली विशेष गाड़ी है.
यह विशेष गाड़ी कागजों में तो पूरी तरह वातानुकूलित है, लेकिन यात्री सुविधाओं के नाम पर एकदम शून्य है. न तो गाड़ी में पानी है, न ही किसी प्रकार की साफ-सफाई. बार-बार शिकायत करने पर भी कोई सुनवाई नहीं होती. गाड़ी में पेंट्रीकार तो है, लेकिन वह पूरी यात्रा के दौरान बंद रहती है. गाड़ी के रुकने के स्थानों (स्टापेज) में काफी अंतर है, इसलिए यात्रियों को उनके खानपान की मूलभूत जरूरतें भी पूरी नहीं हो पाती हैं. इसके परिणामस्वरूप लगभग सभी एसी कोच अटेंडेंट खुलेआम गाड़ी में सामान बेचते हुए रेल प्रशासन की सरेआम खिल्ली उड़ा रहे हैं.
मंगलवार, 6 मार्च को इस गाड़ी के बी-1 कोच में हजरत निजामुद्दीन से कल्याण की यात्रा करने वाले यात्री दीवान सिंह पाटिल (66) ने ‘रेलवे समाचार’ को बताया कि गाड़ी में कोई सुविधा न होने के बावजूद वरिष्ठ नागरिकों को किराए में कोई छूट नहीं दी जाती है. कोच अटेंडेंट का व्यवहार इतना खराब होता है कि वह यात्रियों को उनको दिए जाने वाले सामान जैसे चादर-तौलिया वगैरह देने में भी परेशान करते हैं. बार-बार मांगने पर भी नैपकिन नहीं देते और कहते हैं यात्री अपने साथ उठा ले जाते हैं, इसलिए हम नहीं देंगे.
उल्लेखनीय है कि रेल प्रशासन के फरमान से यदि किन्हीं कारणों से किसी यात्री की गाड़ी छूट जाती है, तो उसका एक भी पैसा वापस नहीं मिलता है, जबकि उसकी कन्फर्म बर्थ पुनः बेचकर रेलवे द्वारा दोहरा लाभ कमाया जाता है. यहां तक कि प्रतीक्षा सूची टिकट को गाड़ी छूटने के आधे घंटे बाद वापस नहीं करने पर यात्री का सारा पैसा रेल प्रशासन द्वारा हड़प लिया जाता है. यदि बच्चों को बर्थ चाहिए, तो पूरा टिकट लेना पड़ता है, फिर यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं में कटौती क्यों? लाखों रेल यात्रियों का यह सवाल विचारणीय है.
6 मार्च को ही उपरोक्त विशेष गाड़ी में यात्रा करने वाले एक अन्य यात्री सुशील कुमार शर्मा (65) ने बताया कि गाड़ी में कोच अटेंडेंट और अनधिकृत फेरीवाले इस तरह सामान बेचते हैं, जैसे रेल प्रशासन द्वारा उनको गाड़ी में सामान बेचने का अधिकृत लाइसेंस दिया गया है. उन्होंने बताया कि यह लोग खासकर वसई रोड से कल्याण के बीच में बहुत ज्यादा परेशानी पैदा करते हैं, जहां इन अनधिकृत हाकरों की तीखी आवाज से यात्रियों को परेशानी के साथ ही भारी असुरक्षा भी महसूस होती है. परंतु रेल प्रशासन को कई बार शिकायत करने के बावजूद आजतक कुछ नहीं किया गया है.