कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर हो रही कुछ अनियमितताएं

एक गाड़ी के लिए बार-बार प्लेटफॉर्म बदलकर किया जा रहा है भ्रष्टाचार

प्लेटफॉर्मों पर लगाई गई हैं गुणवत्ताहीन टाइल्स एवं घटिया निर्माण सामग्री

वर्षों से इलाहाबाद की एक ही पार्टी को दिया जा रहा है रैग पिकिंग का ठेका

अनुबंध की शर्तें पूरी न करने वाली निजी साइडिंग पर रेलवे का करोड़ों बकाया

शर्तों को पूरा कराए बिना ‘कानपुर लॉजिस्टिक पार्क’ को दिया पीएफटी का दर्जा

उमेश शर्मा, ब्यूरो प्रमुख/एनसीआर

इलाहाबाद : कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर विभिन्न प्रकार से भ्रष्टाचार किया जा रहा है, परंतु रेल प्रशासन इस पर मौन है. इसकी एक बानगी यह है कि गाड़ी संख्या 12003, लखनऊ-नई दिल्ली स्वर्ण शताब्दी एक्स. का लगभग एक साल पहले तक कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नं. 1 पर आगमन-प्रस्थान निर्धारित था. परंतु परिचालन विभाग की तथाकथित पंक्चुअलिटी सुधारने के नाम पर दी गई गैरजरूरी दलील के कारण इस गाड़ी को प्लेटफॉर्म नं. 7 से चलाया जाने लगा. वीआईपी गाड़ी के हिसाब से उस प्लेटफॉर्म पर लिफ्ट लगाई गई और वीआईपी लाउंज इत्यादि बनाए गए. इस तरह मिल-बांटकर सभी संबंधित महकमों ने कमीशन खाया. इसके बावजूद जब उन सबका पेट नहीं भरा तो उन्होंने इसके लिए अब एक नया तरीका निकाल लिया है.

अब इसका नया तरीका पुनः यह शुरू हुआ है कि अब इस गाड़ी को प्लेटफॉर्म नं. 7 के बजाय प्लेटफॉर्म नं. 9 से चलाने की तैयारी हो रही है. सिर्फ इस प्लेटफॉर्म नं. 9 को बेहतर बनाने के लिए इंजीनियरिंग विभाग ने 60 लाख का स्पेशल बजट बनाया है, जिसे सहर्ष स्वीकार कर लिया गया है. इसके साथ ही 40% का वेरिएशन भी स्वीकार किया गया है. यह भ्रष्टाचार की चरम सीमा है! इतने बड़े घोटाले पर उत्तर मध्य रेलवे का विजिलेंस, एकाउंट्स विभाग सहित सभी संबंधित अधिकारीगण यदि खामोश हैं, तो इसका छुपा कारण आसानी से समझा जा सकता है. कोई यह पूछने वाला नहीं है कि सिर्फ एक गाड़ी को चलाने के लिए इतने प्लेटफॉर्म बदलने का क्या औचित्य है और इस दौरान जो खर्चे हुए हैं, उस नुकसान की भरपाई किससे की जाएगी?