डीपीसी के बाद जीएम पैनल 2017-18 डीओपीटी को भेजा गया

रतनलाल जाटव को ओपन लाइन के लिए नहीं माना गया फिट

रेलहित में कम, व्यक्तिगत हित में ज्यादा काम कर रहे हैं अधिकारी

सीआरबी को पसंद नहीं है परिणामी पदों पर कोई काबिल अधिकारी

सुरेश त्रिपाठी

जीएम पैनल 2017-18 के लिए योग्य एवं सक्षम अधिकारियोंकी डीपीसी करने के बाद पैनल को डीओपीटी भेज दिया गया है. करीब पंद्रह दिन पहले हुई डीपीसी में बतौर मेंबर चेयरमैन, रेलवे बोर्ड (सीआरबी), मेंबर स्टाफ (एमएस) और सेक्रेटरी/डीओपीटी शामिल थे. रेलवे बोर्ड के विश्वसनीय सूत्रों से ‘रेलवे समाचार’ को प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार पश्चिम रेलवे के मुख्य विद्युत् अभियंता (सीईई) रतनलाल जाटव को डीपीसी में सीआरबी और एमएस द्वारा ओपन लाइन जीएम के लिए फिट नहीं माना गया गया है. जबकि सूत्रों का कहना है कि डीपीसी के तीसरे सदस्य सेक्रेटरी/डीओपीटी की राय सीआरबी एवं एमएस से अलग रतनलाल जाटव के पक्ष में थी.

सूत्रों का कहना है कि सीआरबी और एमएस ने रतनलाल जाटव को जानबूझकर इसलिए ओपन लाइन फिट नहीं दिया है, क्योंकि यदि उन्हें ओपन लाइन फिट दे दिया जाता, तो फिर उनके नीचे राजीव कुमार ओपन लाइन जीएम नहीं बन पाते. सूत्रों ने बताया कि सीआरबी की राय में एमएस ने अपनी राय इसलिए मिला दी, क्योंकि लगभग हर मामले में ऐसा करना एमएस की एक मजबूरी बन गई है. उन्होंने बताया कि डीपीसी ने यदि किसी अधिकारी को ओपन लाइन के लिए फिट नहीं माना है, तो उसे फिर किसी भी मंच पर ज्ञापन देकर ओपन लाइन के लिए फिट नहीं किया जा सकता है. यानि डीपीसी ही इसकी फाइनल अथॉरिटी है. ऐसे में रतनलाल जाटव जीएम तो बन जाएंगे, मगर साइड लाइन में, यानि किसी प्रोडक्शन यूनिट में उन्हें बैठाया जाएगा. वैसे भी वर्तमान में इलेक्ट्रिकल कैडर के 9 जीएम बन चुके हैं. ऐसे में इस साल अब इलेक्ट्रिकल से केवल एक ही जीएम और बन पाएगा.

9 मई को मेट्रो रेलवे, कोलकाता में विश्वेश चौबे, पूर्व रेलवे, कोलकाता में हरिंद्र राव, पश्चिम रेलवे, मुंबई में अनिल के. गुप्ता और आरडीएसओ, लखनऊ में मगरूब हुसैन को महाप्रबंधक बनाए जाने के बाद भी महाप्रबंधक, पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर, डीएलडब्ल्यू, वाराणसी और उत्तर पश्चिम रेलवे, जयपुर के पद खाली रह गए. हालांकि इन पदों की रिक्तियां चालू वित्त वर्ष में हुई हैं. इसके अलावा जीएम/आरसीएफ, कपुरथला का पद 31 मई को खाली हो चुका है, जबकि इस महीने 30 जून को जीएम/पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे/निर्माण का पद खाली होने जा रहा है. इस प्रकार महाप्रबंधक के पांच पद पुनः खाली हैं. तथापि अब तक जीएम पैनल फाइनल नहीं हुआ है. मगर सीआरबी द्वारा नियमों का उल्लंघन लगातार किया जा रहा है. जब रेलमंत्री ने सार्वजनिक रूप से यह घोषित कर दिया था कि अब से किसी जीएम की लेटरल शिफ्टिंग नहीं की जाएगी, तब मेट्रो रेलवे, कोलकाता से एम. सी. चौहान को उत्तर मध्य रेलवे, इलाहाबाद में क्यों, कैसे और किस आधार पर शिफ्ट किया गया? क्या यह भ्रष्टाचार अथवा कदाचार का मामला नहीं है?

इसके अलावा मगरूब हुसैन और विश्वेश चौबे से एम. सी. चौहान किस तरह ज्यादा काबिल हैं? ज्ञातव्य है कि पहले मगरूब हुसैन ने और बाद में विश्वेश चौबे ने मेट्रो रेलवे में जाने से इसीलिए मना किया था. तथापि विश्वेश चौबे को अंततः मेट्रो रेलवे में ही जाना पड़ा, क्योंकि ‘स्टोरकीपर’ को कोई काबिल अधिकारी किसी सही जगह पर नहीं चाहिए. जानकारों का भी यही कहना है कि मगरूब हुसैन और विश्वेश चौबे की तुलना में एम. सी. चौहान को काबिल नहीं माना जा सकता है. स्थिति यह है कि ‘स्टोरकीपर’ की मनमानी के चलते आज पूरी भारतीय रेल में लगभग प्रत्येक कमाऊ और मौके की पोस्ट पर नालायक, नाकाबिल और अक्षम अधिकारी पदस्थ हैं. इन अक्षम अधिकारियों द्वारा रेलहित में कम, व्यक्तिगत हित में ज्यादा काम करने के परिणामस्वरूप ही भारतीय रेल को अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं.