आधुनिकतम तकनीकों से एसेट रिलायलबिलिटी बढ़ी
राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष की स्थापना
मानवीय कार्य पर निर्भरता को कम करने का प्रयास
वर्ष 2016-17 में 1503 मानवरहित समपारों को समाप्त किया गया
ट्रेन प्रोटेक्शन वार्निग सिस्टम एवं ट्रेन कोलीजन एवॉयडेंस सिस्टम का प्रयोग
इलाहाबाद ब्यूरो : भारतीय रेल अपने सम्मानित यात्रियों को संरक्षित एवं सुरक्षित रेल यातायात सुलभ कराने के लिए कृत-संकल्प है. इसके लिए रेल प्रशासन निरंतर प्रयासरत है तथा आधुनिकतम तकनीकों के माध्यम से एसेट रिलायलबिलिटी (संपत्तियों की विश्वसनीयता) बढ़ाने एवं मानव पर निर्भरता को कम करने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं. वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में एक लाख करोड़ रुपए की राशि से पांच वर्ष में राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष की स्थापना की घोषणा की गई. इसके तहत वर्ष 2017-18 के दौरान 20 हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है.
भारतीय रेल में आधुनिक तकनीक को अपनाने के क्रम में ट्रेन प्रोटेक्शन वार्निग सिस्टम (टीपीडब्ल्यूएस) एवं ट्रेन कोलीजन एवॉयडेंस सिस्टम (टीसीएएस) प्रारम्भिक रूप से लागू किया जा रहा है. ट्रेन प्रोटेक्शन वार्निग सिस्टम को भारतीय रेल के उपनगरीय एवं अतिघनत्व वाले रेल मार्गों पर लगभग 3330 रूट किमी. रेल मार्ग पर स्थापित किया जा रहा है एवं चालू वर्ष 2017-18 के लिए स्वीकृत कार्यों में ट्रेन कोलीजन एवॉयडेंस सिस्टम को 1427 रूट किमी. रेल मार्ग के लिए स्वीकृत किया गया है.
उत्तर मध्य रेलवे के दोनों ट्रंक रूटों पर गाजियाबाद से कानपुर और कानपुर से मुगलसराय तथा आगरा से ग्वालियर खंडों पर ट्रेन प्रोटेक्शन वार्निग सिस्टम की स्थापना का कार्य लगभग 447 करोड़ की लागत से प्रगति पर है. इससे पहले हजरत निजामुददीन से आगरा तक के रेल मार्ग पर इसको सफलतापूर्वक स्थापित कर लिया गया है.
इसके अतिरिक्त सवारी रेल डिब्बों को अधिक संरक्षित बनाने के क्रम में सभी परंपरागत आईसीएफ डिब्बों को एलएचबी डिब्बों से परिवर्तित किया जा रहा है. इसके तहत ही वर्ष 2016-17 के दौरान इलाहाबाद-नई दिल्ली प्रयागराज एक्स. सहित संपूर्ण भारतीय रेल में कुल 34 जोड़ी गाड़ियों में आधुनिक सुविधाओं वाले एलएचबी रेकों को लगाया गया है. इसके लिए 42 एलएचबी रेकों का प्रयोग किया जा रहा है.
इसके साथ ही रेल पटरियों को संरक्षित बनाने के उद्देश्य से विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं. इसमें प्री-स्ट्रेस्ड कंकरीट स्लीपरों का प्रयोग, 260/130 लंबाई के लंबे रेल पैनल, ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम का प्रयोग प्रारंभ किया गया है. इसके अतिरिक्त अल्ट्रासोनिक ब्रोकेन रेल डिटेक्शन प्रणाली का ट्रायल उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद मंडल के बमरौली-भरवारी सेक्शन में प्रारंभ कर दिया गया है.
रेल समपारों पर होने वाली दुर्घटनाएं रेलवे के लिए बहुत बड़ी चुनौती हैं. इस उद्देश्य से सभी रेलमार्गों से मानव रहित समपारों को समाप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं. वर्ष 2016-17 के दौरान अब तक के सर्वाधिक मानव रहित समपारों को समाप्त करते हुए कुल 1503 समपारों को समाप्त कर दिया गया है. इसके अतिरिक्त 1306 सड़क ऊपरी पुलों एवं सब-वे का निर्माण कार्य पूरा किया गया है. यह भी अब तक की सर्वोच्च उपलब्धि है. इसके साथ ही 484 मानवयुक्त समपार भी हटाए गए हैं.
वर्ष 2016-17 में 750 पुराने पुलों को रि-हैबिलिटेट कर अब तक की सर्वाधिक संख्या में पुलों का अनुरक्षण किया गया है. इसके साथ ही स्टेशनों पर पैदल ऊपरी पुलों का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है, ताकि यात्रियों को स्टेशनों पर आवागमन के दौरान सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके.
रेल प्रशासन द्वारा विभिन्न माध्यमों से रेल यात्रियों एवं सर्वसामान्य को संरक्षा के प्रति जागरूक भी किया जाता है. इसके साथ ही रेलकर्मियों के मध्य जागरूकता अभियान चलाकर उनके ज्ञान एवं सतर्कता की जांच करना और यथोचित प्रशिक्षण देना भी सुनिश्चित किया जाता है.
रेल प्रशासन अपने सम्मानित यात्रियों से अनुरोध करता है कि रेल समपारों को पार करते समय सावधानी बरतें एवं उचित नियमों का पालन करें. रेल यात्रा में ज्वलनशील पदार्थ लेकर यात्रा न करें एवं रेलगाड़ी की छत और फुटबोर्ड पर यात्रा करना खतरनाक है.