भारतीय रेल ने किया 1107.1 मिलियन टन समग्र लदान

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को गति प्रदान कर रहा मालभाड़ा परिवहन

अब तक का सर्वश्रेष्‍ठ कोयला, लौह अयस्‍क एवं स्‍टील का लदान

डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर, बनेगा भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था का ग्रोथ सेंटर

नई दिल्ली : भारतीय रेल राष्ट्र का प्राथमिक परिवहन का साधन है. इसके नेटवर्क पर यात्री परिवहनके साथ-साथ मालभाड़ा परिवहन का भी कार्य प्रभावी तरीके से किया जा रहा है. भारतीय रेल का मालभाड़ा परिवहन न सिर्फ इस संगठन के लिए आय का सबसे बड़ा स्रोत है, बल्कि इसके माध्यम से माल यातायात द्वारा संपूर्ण राष्ट्र को एक एकीकृत इकाई के रूप में संगठित करने का प्रयास कर रही है. परंपरागत रूप से मध्य एवं दक्षिण भारत की खदानों से कोयला, लोहा आदि खनिज एवं उत्तर भारत से खाद्यान्न का परिवहन किया जा रहा है. किंतु मांग और आपूर्ति में भारी अंतर है और ग्राहकों को भी कई बार समय से वैगन उपलब्ध कराने में कठिनाई होती है. आधारतभूत संरचना की कमी से भारतीय रेल जहां एक तरफ अपने ग्राहकों को समय से ढुलाई के लिए वैगन उपलब्ध नहीं करा पा रही थी, वहीं दूसरी तरफ रेल को सड़क एवं अन्य माध्यमों से सामानांतर चुनौतियां भी मिल रही हैं.

इसके दृष्टिगत पिछले दो वर्षों से भारतीय रेल अपने आधारभूत ढ़ांचे को सुदृढ़ करने के लिए पूरी क्षमता से प्रयासरत है. इकहरी लाइनों का आवश्‍यकता के अनुसार एवं व्‍यस्‍तता के दृष्टिगत दोहरीकरण, तिहरीकरण तथा चौथी लाइन में विस्तार किया जा रहा है. इसके साथ ही कई नई लाइनों के निर्माण से नए स्‍थानों को भी रेल नेटवर्क में लाया जा रहा है. माल यातायात को सुचारू बनाने के लिए एवं वर्तमान लाइनों को डीकंजेस्‍ट करने के उद्देश्‍य से भारतीय रेल डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर के कार्यों को तीव्र गति से करने की दिशा में वर्ष 2015-16 में 24 हजार करोड़ रु. के ठेके आवंटित किए गए, जबकि वर्ष 2009-2014 के बीच प्रतिवर्ष औसतन लगभग केवल 26 सौ करोड़ रु. के ठेके आवंटित किए जाते थे. पूर्वी एवं पश्चिमी दोनों डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर को वर्ष 2019 तक निर्माण करने का लक्ष्य रखा गया है. इनके बन जाने से उम्मीद है कि यह भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को सुदृढ़ बनाने और उसके ग्रोथ सेंटर के रूप में उभरेगा. इसके माध्‍यम से बंदरगाहों से शेष भारत का सीधा जुड़ाव हो सकेगा, जिससे आयातित एवं निर्यातित माल की ढुलाई में सुगमता होगी.

इसी क्रम में ‘मिशन रफ्तार’ के तहत गाड़ियों की औसत गति को बढ़ाते हुए इससे अतिरिक्त क्षमता बनाकर निपटने का प्रयास किया जा रहा है. भारतीय रेल ने मालगाड़ियों की औसत गति 50 किमी. प्रति घंटा करने का लक्ष्य रखा है, जिससे और अधिक गाड़ियों को चलाना संभव होगा. मालभाड़े की ढुलाई में भारतीय रेल का हिस्सा बढ़ाने की दिशा में पिछले दो वर्षों में कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं. पहली बार मालभाड़े में घटत की गई है. पोर्ट कंसेशन चार्जेज एवं व्यस्त सीजन सरचार्ज घटाए गए हैं. लोहे की ढुलाई के लिए दोहरी प्राइसिंग पालिसी समाप्त की गई. मल्टी प्वाइंट लोडिंग प्रारम्भ की गई और साइडिंग नीति का सरलीकरण किया गया है.

परंपरागत गति से खाली गाड़ी चलाने की दिशा में ऑटोमेटिक मालभाड़े में छूट की योजना चालू की गई. पहली बार समय-सारणी के अनुसार मालभाड़ा सेवा प्रारम्भ की गई. कंटेनर सेक्टर को और अधिक वस्तुओं हेतु खोला गया. वर्ष 2016-17 के दौरान विभिन्न माल गोदामों की आधारभूत संरचना में सुधार किया गया है. रेल बजट 2016 में घोषित ‘मिशन 100’ के तहत नई साइडिंगों का निर्माण किया गया. मालभाड़ा यातायात में सुधार के लिए संबंधित प्रमुख मालभाड़ा ग्राहकों से निरंतर संपर्क बनाए रखते हुए उनके सुझावों पर लगातार कार्यवाही की जा रही है.

इसके साथ ही मांग के अनुरुप मालगाड़ियों के रेक की उपलब्धता भी बनाए रखी गई और समयबद्धता के साथ माल की अनलोडिंग और लोडिंग अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों द्वारा निरंतर मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जा रही है. मार्च, 2017 में अब तक सबसे अधिक कंटेनर लोडिंग 4.47 मिलियन टन प्राप्त किया गया है. इससे पूर्व जनवरी, 2015 में 4.29 मिलियन टन कंटेनर लोडिंग की गई थी. मालभाड़ा टर्मिनलों को कंटेनर हेतु खोला गया है. ग्राहकों की सुविधा हेतु रोड रेलर एवं रोल-ऑन-रोल-ऑफ पर भी जोर दिया गया है. माल ढुलाई हेतु मांगों का इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण और रेलवे रसीदों का इलेक्ट्रॉनिक प्रेषण प्रारम्भ किया गया है.

मालभाड़ा यातायात के क्षेत्र में किए प्रयत्नों के कारण वर्ष 2016-17 में अब तक सर्वश्रेष्ठ समग्र लदान 1107.1 मिलियन टन दर्ज किया गया. इसके पूर्व 2015-16 में 1104.2 मिलियन टन माल लदान दर्ज किया गया था. वर्ष के दौरान 137.2 मिलियन टन ‘आयरन ओर’ का लदान कर अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. स्टील का लदान भी कुल 48.3 मिलियन टन रहा, जो अब तक का सर्वश्रेष्ठ है.

इसी प्रकार इस्पात संयंत्रों हेतु कच्चा माल 21.1 मिलियन टन और अन्य मालभाड़ा 79.9 मिलियन टन अब तक की सर्वश्रेष्ठ है. कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा वर्ष 2016-17 में कोयले का सर्वाधिक लदान 223 रेक प्रतिदिन रहा है. वर्ष 2015-16 में 212.8 रेक प्रतिदिन लोड किए गए थे. अन्य मालभाड़ा लोडिंग के क्षेत्र में भी वर्ष 2016-17 में अब तक की सबसे अधिक 79.9 मिलियन टन का लदान हुआ, जो पूर्व के सर्वश्रेष्ठ वर्ष 2015-16 में लोड किए गए 78.05 मिलियन टन से अधिक है.

परंपरागत मालभाड़े के साथ-साथ नए ट्रैफिक के लिए भी रेलवे प्रयासरत है, जिसके तहत ह्वाइट गुड्स, एफएमसीजी, ऑटो इत्यादि के क्षेत्र में प्रयास किए जा रहे हैं. इसके साथ ही ग्राहकों के साथ रेलवे द्वारा लंबी अवधि के अनुबंध करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है. वर्ष 2016-17 में 44 प्राइवेट टर्मिनल का निर्माण किया गया है. इनमें से 29 प्राइवेट साइडिंग और 15 प्राइवेट फ्रेट टर्मिनल सम्मिलित रूप से बनाए गए हैं. रेलवे ने अगले 5 वर्षों हेतु प्रति वर्ष न्यूनतम 50 साइडिंग/फ्रेट टर्मिनल स्थापित करने का लक्ष्य रखा है.