रेलवे बोर्ड के कर्मचारी विरोधी रवैये पर दोनों लेबर फेडरेशन क्षुब्ध

दोनों लेबर फेडरेशनों द्वारा रेलवे बोर्ड के साथ डीसी-जेसीएम मीटिंग का बहिष्कार

आंदोलन की तैयारी को लेकर एआईआरएफ ने संबद्ध जोनल संगठनों को लिखा पत्र

16 मार्च से 30 मार्च तक बड़े पैमाने पर धरना-मोर्चा और रैलियों का होगा आयोजन

नई दिल्ली : रेलवे बोर्ड (रेल मंत्रालय) के कर्मचारी विरोधी रवैये को लेकर रेलवे के दोनों मान्यताप्राप्त लेबर फेडरेशनों (एआईआरएफ एवं एनएफआईआर) ने भारी असंतोष व्यक्त किया है. क्षुब्ध फेडरेशनों ने विशेष रूप से सेफ्टी कैटेगरी के 4200 एवं आगे के ग्रेड-पे वाले सीनियर सबार्डिनेट सुपरवाइजरों को ट्रेड यूनियनों से अलग किए जाने के 30 जनवरी 2017 के रेलवे बोर्ड के आदेश का विरोध करते हुए कहा है कि यह ट्रेड यूनियनों के कार्य में रेल प्रशासन का सीधा हस्तक्षेप है. इसके लिए उन्होंने रेलवे बोर्ड के साथ मंगलवार, 7 मार्च 2017 को होने वाली डिपार्टमेंटल काउंसिल-जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (डीसी-जेसीएम) की मीटिंग का भी बहिष्कार कर दिया है. यह जानकारी एआईआरएफ के महामंत्री कॉम. शिवगोपाल मिश्रा द्वारा 7 मार्च 2017 को अपने सभी संबद्ध जोनल संगठनों के महामंत्रियों को लिखे और ‘रेलवे समाचार’ को भेजे गए पत्र में दी गई है.

इसके साथ ही कॉम. शिवगोपाल मिश्रा ने रेल मंत्रालय के रवैये पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए यह भी कहा कि जिन मुद्दों पर रेलवे बोर्ड के साथ पहले ही दोनों फेडरेशनों की सहमति या समझौता हो चुका है, उन मुद्दों पर अमल के लिए भी रेलवे बोर्ड ने अब तक उचित दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं, जबकि इन मुद्दों पर सहमति हुए काफी समय बीत चुका है. उन्होंने मुद्दों का उल्लेख करते हुए कहा कि सीनियर सबार्डिनेट सुपरवाइजरों को ग्रुप ‘सी’ से ग्रुप ‘बी’ में अपग्रेडेशन देने पर वर्षों पहले सहमति हो चुकी है, परंतु रेलवे बोर्ड ने अपनी मनमानी करते हुए आज तक इस अपग्रेडेशन को लागू नहीं किया है. इससे मान्यताप्राप्त संगठनों के प्रति सुपरवाइजरों में गलत संदेश जा रहा है. इस प्रकार रेलवे बोर्ड जानबूझकर श्रमिक संगठनों की छवि धूमिल कर रहा है.

उन्होंने कहा कि कई महीनों पहले सीनियर सुपरवाइजरों को 4600 ग्रेड-पे के स्थान पर 4800 ग्रेड-पे दिए जाने पर सहमति हुई थी, मगर रेलवे बोर्ड ने अब तक इसे भी लागू किए जाने के निर्देश जारी नहीं किए हैं. इसके साथ ट्रैकमैन को 10:20:20:50 के औसत में पदोन्नति दिए जाने के ढ़ांचे पर सहमति बन गई थी, मगर रेलवे बोर्ड इस पर भी अब तक अपनी टांग अड़ाए बैठा है. जबकि लोको इंस्पेक्टर्स के वेतनमान बढ़ाए जाने और रनिंग स्टाफ के मुद्दों, जिन पर फास्ट ट्रैक कमेटी में पहले ही सहमति हो चुकी है, पर अब तक रेलवे बोर्ड ने चुप्पी साध रखी है. उन्होंने कहा कि एमएसीपीएस के तहत वित्तीय अपग्रेडेशन और रेगुलर प्रमोशन पर सातवें वेतन आयोग के पहले के, यानि वर्तमान बेंच-मार्क जारी रखने पर सहमति हुई थी, उसे भी बोर्ड ने लागू नहीं किया है. इसके साथ ही रेल कारखानों से प्रशिक्षित और कोर्ष पूरा किए हुए एक्ट अप्रेंटिस को रेगुलर नहीं किया जा रहा है, जबकि इस मुद्दे पर सहमति हुई है.

उपरोक्त सभी मुद्दों पर रेलवे बोर्ड द्वारा कोई कारगर कदम नहीं उठाए जाने पर रेल मंत्रालय के प्रति भारी असंतोष व्यक्त करते हुए कॉम. शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि रेलवे बोर्ड आदेशात्मक निर्देश जारी करके यूनियनों के कार्य में सीधे हस्तक्षेप कर रहा है, जिसे दोनों लेबर फेडरेशन और इनसे संबद्ध जोनल संगठन कतई बर्दास्त नहीं करेंगे. इसीलिए दोनों लेबर फेडरेशनों ने रेलवे बोर्ड के साथ होने वाली डीसी-जेसीएम की बैठक का बहिष्कार किया है. उन्होंने कहा कि उपरोक्त सहमतिपूर्ण मुद्दों पर रेलवे बोर्ड द्वारा शीघ्र कार्यवाही किए जाने के लिए दोनों मान्यताप्राप्त लेबर फेडरेशनों (एआईआरएफ एवं एनएफआईआर) ने संयुक्त रूप से यह निर्णय लिया है कि आने वाले दिनों में पूरी भारतीय रेल पर धरना, मोर्चा और आंदोलन किया जाएगा.

महीने भर तक चलने वाले उपरोक्त धरना, मोर्चा, आंदोलन कार्यक्रम के संबंध में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि 16 मार्च को शाखा और डिपो स्तर पर तथा 23 मार्च को मंडल स्तर पर और 30 मार्च को जोनल मुख्यालयों पर बड़े पैमाने पर धरना, मोर्चा, आंदोलन और रैलियों का आयोजन किया जाएगा. इस मौके पर रेलमंत्री के नाम एक ज्ञापन भी संबंधित जोनल महाप्रबंधकों को सौंपा जाएगा. उन्होंने कहा कि यदि इसके बाद भी रेल मंत्रालय के रवैये में कोई सुधार नहीं होता है और वह उपरोक्त मुद्दों पर अविलंब अमल सुनिश्चित नहीं करता है, तो उसे लाखों संगठित श्रमिकों द्वारा की जाने वाली सीधी कार्रवाई के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस भावी श्रमिक अशांति की संपूर्ण जिम्मेदारी रेल प्रशासन की होगी.