आतंकी तोड़फोड़ की कथित साजिश का पुलिस ने किया भंडाफोड़

रेलवे में नौकरी और पुरस्कृत किए जाने के लालच में वसंत यादव ने गढ़ी झूठी कहानी

महाराष्ट्र एटीएस और उत्तर प्रदेश एटीएस की लगातार 22 घंटे की पूछताछ में टूटा यादव

रेल अधिकारियों और उ.प्र.जीआरपी की मिलीभगत से गढ़ी गई आतंकी तोड़फोड़ की कहानी?

मुंबई : गाड़ी सं. 19321 इंदौर-राजेंद्रनगर पटना एक्सप्रेस की 20 नवंबर 2016 को कानपुर के निकट पुखरायां में हुई भीषण रेल दुर्घटना, जिसमें कुल 155 यात्रियों की मौत हुई थी और सैकड़ों अन्य घायल हुए थे, एक आतंकी तोड़फोड़ की घटना थी. अभी ऐसी और भी दुर्घटनाएं होंगी. इस बात का दावा करते हुए जौनपुर, उ.प्र. के एक 26 साल के युवक वसंत यादव ने 30 दिसंबर 2016 को कुर्ला, मुंबई स्थित भाजपा कार्यालय में पहुंचकर सभी जांच एजेंसियों सहित लाखों रेलयात्रियों और देशवासियों के होश उड़ा दिए.

इस बात का पता चलते ही भाजपा कार्यालय ने सबसे पहले यात्री संघ मुंबई के सुभाष गुप्ता को बुलाया था, जिन्होंने उक्त दावे और युवक के बारे में फौरन महाराष्ट्र पुलिस को सूचित किया. तत्पश्चात महाराष्ट्र पुलिस (एटीएस) ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उक्त युवक वसंत यादव को अपनी हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की और साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस (एटीएस) को भी इस बात की जानकारी दी और बाद में यादव को अगली कार्यवाही के लिए उ.प्र. एटीएस को सौंप दिया.

महाराष्ट्र एटीएस एवं उत्तर प्रदेश एटीएस की लगातार 22 घंटे की कड़ी पूछताछ के बाद यादव टूट गया. उसने पुलिस को बताया यह सारी झूठी योजना उसने रेलवे में नौकरी पाने और प्रधानमंत्री द्वारा पुरस्कृत किए जाने के लालच में खुद ही गढ़ी थी. उ.प्र. एटीएस ने उससे यह भी उगलवा लिया कि वह वास्तव में 30 दिसंबर को नहीं, बल्कि 26 दिसंबर को ही मुंबई पहुंच गया था. उसने यह भी बताया कि उसके रिश्तेदार जोगेश्वरी, मुंबई में रहते हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार 30 दिसंबर को सबसे पहले दादर स्टेशन मास्टर कार्यालय में जाकर उसने स्टेशन मास्टर को इस बात की जानकारी दी थी, मगर जब तक स्टेशन मास्टर की सूचना पर आरपीएफ वाले वहां पहुंचते, तब तक वह वहां से निकल गया था.

बताते हैं कि स्टेशन मास्टर कार्यालय से निकलकर वह सीधे कुर्ला स्थित भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में पहुंचा और वहां भी उसने उपरोक्त दावा किया. उसने पुलिस के सामने दावा किया कि उसे किसी सुरेश नामक व्यक्ति ने आतंकी गुट में शामिल किया था और वाराणसी के पास एक जगह पर रेलवे ट्रैक की क्लिप्स और प्लेट्स निकालने का प्रशिक्षण दिया गया था. उसने यह भी दावा किया कि प्रशिक्षण के दौरान वह लोग भी वहां उपस्थित थे, जिन्होंने वास्तव में ट्रैक में तोड़फोड़ करके इंदौर-पटना एक्स. की दुर्घटना कराई थी. उसने इसके साथ ही यह भी बताया कि इसके लिए उसे 70 हजार रु. भी दिए गए थे.

महाराष्ट्र एटीएस से यादव को अपनी हिरासत में लेकर उ.प्र. पुलिस उसके द्वारा वाराणसी के पास बताई गई कथित प्रशिक्षण की जगह सहित उसके जौनपुर स्थित घर भी गई थी. वहां पुलिस को इस बात का पता चला कि वह उस दिन तक अपने घर में ही था, जिस दिन उसने स्वयं को मुंबई जाने के रास्ते में होना बताया था. कथित प्रशिक्षण की जगह पर पहुंचने के बाद यादव ने, यह कहकर कि उक्त जगह यहीं कहीं आसपास थी, पुलिस को गुमराह करने की बहुत कोशिश की. अब उ.प्र. पुलिस उसका लाई डिटेक्टर टेस्ट करवाने और उसके विरुद्ध की जाने वाली अगली कार्रवाई के लिए कानूनी सलाह ले रही है.

‘रेलवे समाचार’ को अपने विश्वनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आतंकी तोड़फोड़ का यह सारा ड्रामा कुछ रेल अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के एक बड़े अधिकारी के साथ मिलकर रचा था? सूत्रों का यह भी कहना है कि उक्त पुलस अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर न सिर्फ पहले सुरक्षा निदेशालय, रेलवे बोर्ड में डीआईजी रह चुका है, बल्कि भविष्य में आरपीएफ का डीजी बनकर पुनः रेलवे में आने की मंशा रखता है. सूत्रों ने बताया कि न तो पुलिस को किसी प्रशिक्षण कैंप का पता चला है, और न ही वसंत यादव से पूछताछ में ऐसी किसी आतंकी तोड़फोड़ के हुए होने अथवा भविष्य में होने की कोई पुख्ता जानकारी मिली है.

बहरहाल, सूत्रों का कहना है कि यह तथाकथित सारी साजिश और कुत्सित योजना रेलवे के कुछ नालायक अधिकारियों और उ.प्र. जीआरपी की मिलीभगत का परिणाम है. इससे वह सरकार और देश की जनता का ध्यान अपनी अकर्मण्यता एवं लापरवाही से हटाना चाहते थे, जिसके फलस्वरूप जहां लगातार रेल दुर्घटनाएं हो रही हैं, वहीं कहीं गाड़ियों में आग लग रही है.

उ.प्र. एटीएस ने यादव से हुई पूछताछ की जानकारी केंद्रीय जांच एजेंसियों को दी है, जिससे कुछ नेताओं और मंत्रियों के बयान पर मीडिया में इसकी बड़ी सुर्खियां बनी. हालांकि सोशल मीडिया में इस बात को लेकर सरकार और रेल मंत्रालय का यह कहकर खूब मजाक उड़ाया गया कि यह अपनी नाकामियों का ठीकरा आतंकवाद पर फोड़ रहे हैं. तथापि उनके बयानों से भविष्य में यदि आतंकी ऐसी कार्रवाईयां करके साफ बचकर चले जाएं और बाद में उनका श्रेय मीडिया में बयान जारी करके लें, जैसी कि आतंकियों की परंपरा रही है, तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी.