मुंबई मंडल, मध्य रेलवे: महिला खिलाड़ी के उत्पीड़न पर रेल प्रशासन की अनदेखी
मुंबई डिवीजन, मध्य रेलवे के एक हेड टिकट एग्जामिनर, जो कि स्वयं भी एक खिलाड़ी है, ने अपनी सहकर्मी महिला खिलाड़ी और मुख्य टिकट इंस्पेक्टर (#CTI) का शारीरिक/मानसिक उत्पीड़न किया। इसके विरुद्ध महिला खिलाड़ी ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस जीआरपी में 19.04.2024 को एफआईआर (नं. 0334/2024) दर्ज कराई, जिस पर पहले 509/506 धाराएँ लगाई गईं। बाद में महिला खिलाड़ी द्वारा यह पूछे जाने पर कि इसमें उसके विरुद्ध जो जातिवादी अपशब्दों का प्रयोग किया गया, उस पर एट्रोसिटी एक्ट की धाराएँ क्यों नहीं लगाई गईं? तब जीआरपी ने धारा 354 के साथ 3(2)(5-a), 3(1)(r), 3(1)(s), 3(1)(w)(i), 3(1)(w)(ii) उप-धाराएँ भी लगाई।
इसके साथ ही महिला खिलाड़ी ने संबंधित विभागीय अधिकारी को भी लिखित शिकायत दी थी। परंतु जीआरपी ने, और संबंधित अधिकारियों ने अब तक आरोपी कर्मचारी के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की। विशाखा कमेटी की रिपोर्ट पर भी मंडल प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है।
बताते हैं कि मुंबई डिवीजन, सेंट्रल रेलवे का ये खिलाड़ी हेड टिकट एग्जामिनर (#HTE) जगदीश कृष्णा उर्फ जग्गू, जिसके खिलाफ मामला दर्ज है, अन्य सहकर्मियों और खिलाड़ियों को डराने-धमकाने की हरकतें कई बार कर चुका है। सूत्रों का कहना है कि रेलवे ग्राउंड परेल में अन्य खिलाड़ियों और स्टाफ से भी दुर्व्यवहार इसलिए करता है कि एक कर्मचारी यूनियन का सक्रिय सदस्य है और बड़े यूनियन नेताओं का इसे वरदहस्त प्राप्त है।
कर्मचारियों का कहना है कि हालाँकि यूनियन नेताओं को इसका सारा सच पता है, परंतु उनका मौन समर्थन इसकी उद्दंडता को बढ़ावा देता है। अन्य खिलाड़ियों और स्टाफ ने इसकी ऐसी हरकतों को कई बार इन कर्मचारी नेताओं को बताया, लेकिन वे इस पर ध्यान नहीं देते हैं। ये लंबी-चौड़ी कद-काठी का है तो ये नेताजी इन्हें अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा में तैनात रखते है, जिसका यह गैरवाजिब फायदा उठाता है।
उनका कहना है कि यह गंभीर बात है और यूनियन नेताओं को भी इस पर गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए कि ऐसे लोग उन्हें क्यों अच्छे लगते हैं, जिनका व्यवहार और चरित्र खराब है। इससे उनकी भी छवि खराब हो रही है। ठीक वैसे ही जैसे इन नेताजी के एक और करीबी थे, जिनके आचरण के बारे में लोगों ने इन्हें पहले ही चेताया था, लेकिन इन्होंने परवाह नहीं की थी। बाद में इनके वही करीबी रेलवे कैश की चोरी में गिरफ्तार हो गए थे।
महिला खिलाड़ी के मामले में आश्चर्य की बात ये है कि ढ़ाई महीने पहले #FIR दर्ज होने पर भी #GRP ने कोई कारवाई नहीं की। मंडल प्रशासन आंख बंद किए बैठा रहा। ऐसे में इस महिला खिलाड़ी के साथ क्या गुजरी होगी, किस मानसिक संताप से उसे गुजरना पड़ रहा होगा, कोई कल्पना नहीं कर सकता। और ऐसी हरकतें करने वालों के खिलाफ प्रशासन द्वारा कोई एक्शन नहीं लेने से क्या महिलाओं के प्रति अपराध नहीं बढ़ेंगे? क्या ऐसे पावरफुल उथले चरित्र के मुस्टंडों का मनोबल और नहीं बढ़ेगा?
सहकर्मियों का कहना है कि अगर कोई कर्मचारी यूनियन से जुड़ा है, तो उसका आचरण दूसरों की अपेक्षा कहीं ज्यादा अच्छा और शालीन होना चाहिए। यहां तो इसका उल्टा हो रहा है। जिस खिलाड़ी हेड टीसी जगदीश कृष्णा उर्फ “जग्गू” के खिलाफ मामला दर्ज है, बताते हैं कि वह कुर्ला से चेंबूर और कुर्ला से सायन के बीच खुलेआम यात्रियों से जबरन वसूली (लूटपाट कहें तो ज्यादा ठीक होगा) करता है। क्या विजिलेंस अधिकारियों ने उसे ऐसा करने की इसलिए खुली छूट दे रखी है कि वह यूनियन के एक नेता का बहुत करीबी है? महिला संरक्षण, महिला उत्थान के सारे नारे, भ्रष्टाचार मुक्त रेलवे के सारे दावे, यहां क्यों फेल हो रहे हैं?
एक बात यह भी है कि पिछले कुछ समय से सेंट्रल रेलवे के स्पोर्ट्स सेल में भी सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। कुछ खेलों की भर्ती में एक प्रदेश विशेष के लोगों को प्राथमिकता दिए जाने की भी अपुष्ट जानकारी मिली है। कोच नियुक्त होने से लेकर ट्रेनिंग में गड़बड़ी की भी जानकारी आई है। खिलाड़ियों को टाइम ऑफ और लंबी छुट्टी ट्रेनिंग के लिए दी जाती है, जबकि यहां मिलीभगत से खिलाड़ी वर्षों से अनुपस्थित हैं, और बाहर अपने प्राइवेट बिजनेस चला रहे हैं। क्या ट्रेनिंग सेंटर पर उनकी उपस्थिति दर्ज नहीं होनी चाहिए?
विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि विशाखा कमेटी ने जग्गू को मेजर पेनल्टी चार्जशीट देने की सिफारिश की है, मगर मंडल प्रशासन ऐसा लगता है कि यूनियन के दबाव में इस पर अब तक कुंडली मारकर बैठा है। उधर खबर है कि जातिवाचक अपशब्दों के प्रयोग के आरोप पर पहले ही एट्रोसिटी एक्ट की धाराएँ न लगाने वाली जीआरपी ने बजाय जग्गू को गिरफ्तार करने के, कोर्ट में जग्गू के विरुद्ध 18.06.2024 को चार्जशीट दाखिल कर दी है।
पता चला है कि यह कोर्ट केस महिला खिलाड़ी ने अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अपने पैरेंट्स की सलाह पर दाखिल किया था, जिस पर कोर्ट ने जग्गू को पिछले हफ्ते 25.06.2024 को अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया है। तथापि जीआरपी ने अब तक जग्गू को अरेस्ट नहीं किया है। हालाँकि इस पर #Railwhispers द्वारा की गई ट्विट से यह मामला अब पुलिस आयुक्त/जीआरपी, मुंबई के भी संज्ञान लाया गया है, और उन्हें भी मामले से संबंधित सभी आवश्यक कागजात उपलब्ध करा दिए गए हैं।
यह पूरा मामला मुंबई डिवीजन, सेंट्रल रेलवे के डीआरएम, सीनियर डीडीएम, सीनियर डीपीओ सहित महाप्रबंधक और स्पोर्ट्स अथॉरिटीज तक सभी के संज्ञान में है। अब देखना यह है कि यह सारे अधिकारी उक्त उत्पीड़ित महिला खिलाड़ी के साथ क्या न्याय करते हैं!
मामले से संबंधित सभी आवश्यक डॉक्यूमेंट “रेलसमाचार” के पास सुरक्षित हैं।