June 28, 2024

कल्याण रेल अस्पताल में लगी आग, केतली से लगी नहीं हो सकती!

मेडिसिन स्टोर में केतली का कोई काम ही नहीं होता, वह केवल मेडिसिन और सर्जिकल आइटम रखने की जगह है, तब वहाँ आग कैसे लगी?

कल्याण: मंडल रेल चिकित्सालय कल्याण के मेडिसिन स्टोर में 24 जून 2024 को सुबह 5:30 बजे के लगभग अचानक आग लग जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण तथा जोखिम भरा विषय रहा। पहले यह बताया गया था कि मेडिसिन स्टोर में रखी पानी गरम करने की केतली का स्विच ऑन रह जाने के कारण आग लग गई थी। परंतु जानकारों ने इस संभावना को सिरे से नकार दिया है। उनका कहना है कि मेडिसिन/सर्जिकल स्टोर में केतली होने का कोई प्रश्न ही नहीं है, और सामान्य व्यक्ति या किसी मरीज का उक्त प्रतिबंधित क्षेत्र में जाने की सख्त मनाही है। तब ऐसे सुरक्षित क्षेत्र में आग कैसे लगी?

उन्होंने कहा कि इस बात की सघन जांच होना अत्यावश्यक है, क्योंकि कल्याण रेलवे अस्पताल लगभग 120 बिस्तरों वाला एक बड़ा अस्पताल है। इस अस्पताल में हर तरह की बीमारियों से संबंधित मरीज अपनी बीमारी का इलाज करा रहे होते हैं। कई मरीज इतने अशक्त होते हैं कि विषम परिस्थिति आने पर भी बिना सहारे के अपने बिस्तर से उठने में समर्थ नहीं होते। ऐसी स्थिति में भगदड़ के चलते कई मरीजों की जान जा सकती है।

उन्होंने कहा कि वैसे तो अस्पताल में किसी भी तरह की लापरवाहीपूर्ण हरकत कदापि मान्य नहीं है‌। यह तो ईश्वर की बड़ी कृपा रही कि आग केवल मेडिकल स्टोर में ही लगी, क्योंकि मेडिकल स्टोर एकदम अलग क्षेत्र होता है। इसलिए किसी भी तरह की कैजुअल्टी नहीं हुई। लेकिन इतना सोचकर संतोष कर लेना बेहद मूर्खतापूर्ण होगा।

Medical & Surgical Store of #DRH-Kalyan

आइए, अब हम मेडिकल स्टोर पर नजर डालते हैं जहां कि आग लगी थी। यह मेडिकल स्टोर अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर में सीएमएस के केबिन से कुछ आगे जाकर बना हुआ है। यहाँ पर कई कमरे मेडिकल स्टोर के रूप में उपयोग में लाए जाते हैं। इन सारे कमरों तक पहुँचने से पहले गैलरी में एक बड़ा कोलेप्सिबल डोर भी लगा हुआ है। यानि यहां आम व्यक्ति या मरीजों का बिना इजाजत प्रवेश निषेध है।

इस मेडिकल स्टोर के कार्य के घंटे सुबह 9:00 बजे से शाम को 4:00 बजे तक के रहते हैं। इस पीरियड में ही यह खुलता है और इससे संबंधित फार्मासिस्ट वहां कार्यरत होते हैं या फिर जिन्हें स्टोर हमाल कहा जाता है, जो दवाएँ लाने-ले जाने का काम करते हैं, वे लोग उपस्थित रहते हैं।

आग लगने के बाद बाहरी शेल्टर में मरीज

मेडिकल स्टोर के प्रत्येक कमरे को शाम 4:00 बजे ताला लगाकर सील किया जाता है और इसके बाद गैलरी में लगे हुए कोलेप्सिबल डोर में भी ताला लगाकर उसे भी सील कर दिया जाता है। 22 जून को शनिवार था, चूंकि शनिवार को हाफ डे वर्किंग होती है, इसीलिए 1:00 बजे मेडिकल स्टोर को सील कर दिया गया और सोमवार को सुबह 9:00 बजे इस स्टोर को खोला जाना था।

परंतु अचानक सोमवार की सुबह 5:30 बजे उसके एक कमरे में से धुंआ निकालने लगा। आग की संभावना को देखते हुए फायर ब्रिगेड को बुलाया गया। फायर ब्रिगेड ने आकर आग पर तो काबू कर लिया लेकिन स्टोर में रखी हुई लाखों रुपये की दवाईयाँ और सर्जिकल आइटम पूरी तरह नष्ट हो गए।

अस्पताल में आग से बचाव के लिए सड़क पर मरीज

इस कमरे या स्टोर को सर्जिकल मेडिकल स्टोर के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि सर्जिकल से रिलेटेड आइटम इसी में रखे जाते हैं, जैसे कि पट्टी, कॉटन के बंडल, गाज, मास्क, गले के पट्टे, हाथ को होल्ड करने वाले पट्टे, कमर के पट्टे, सीरप, हैंड ग्लब्स इत्यादि के साथ मेडिसिन भी इसमें रखी होती हैं।

अब विचार यह आता है कि कोई भी इलेक्ट्रिकल उपकरण जैसे कि इंडक्शन हीटर, सादा हीटर या पानी गरम करने अथवा चाय बनाने वाली केतली के उपयोग की इस कमरे में किसी भी तरह की संभावना ही नहीं है, क्योंकि इस कमरे का ताला या तो केवल सर्जिकल आइटम और दवाईयाँ रखने या निकालने के लिए ही खुलता है, और काम होने के तुरंत बाद उसे बंद कर दिया जाता है। तो इस कमरे में छोटी-मोटी कैंटीन या किचन या लोकल बेस पर जैसे कि कर्मचारी अपनी चाय बना लेते हैं या मरीजों के लिए पानी गर्म करने जैसी किसी भी तरह का ऐसा कार्य होने की कोई संभावना ही नहीं है।

मान लो कि यदि इसके अंदर केतली या किसी तरह का विद्युत उपकरण चालू हालत में रखकर छोड़ दिया गया हो, या छूट गया हो, दोनों ही स्थिति में जब मेडिकल स्टोर शनिवार 22 तारीख को दिन के 1:00 बजे बंद कर दिया गया था, तो वह इलेक्ट्रिकल उपकरण सोमवार की सुबह तक जलने की प्रतीक्षा क्यों करता रहा? उसे यदि जलना ही होता, तो घंटे-आधे घंटे के अंदर ही जल चुका होता। इसीलिए इस बात की तो कोई संभावना होने का प्रश्न ही नहीं उठता।

जिस भी बुद्धिमान व्यक्ति ने अस्पताल में लगी इस आग का दोष केतली पर मढ़ा है, उसका बौद्धिक स्तर अत्यंत तेज है, क्योंकि इस तरह उसने अस्पताल के सीएमएस सहित सभी जिम्मेदारों को बाइज्जत बचा लिया। अब यदि यह मान लिया जाए कि किसी व्यक्ति ने वहाँ बीड़ी-सिगरेट पी होगी, माचिस जलाई होगी, वह भी आग लगने का एक कारण हो सकता है। तो चूंकि वह मेडिकल स्टोर पूरी तरह बंद था तो इस तरह की संभावना का प्रश्न ही नहीं उठता है।

केवल एक परिस्थिति पर ध्यान जाता है कि एक विद्युत फिटिंग ही ऐसी चीज उस कमरे में बचती है कि जिसमें किसी कारणवश शॉर्ट सर्किट हुआ हो और उसकी चिंगारियां से नीचे रखे सर्जिकल आइटम, रुई या कॉटन की पट्टी इत्यादि ने आग पकड़ ली हो। एक ऐसी भी संभावना हो सकती है कि वहाँ चोरी की घटना हो रही हो और इस दौरान किसी परिस्थिति जन्य आग का प्रयोग हुआ हो? जैसे माचिस इत्यादि का प्रयोग हुआ हो? और आग लग गई हो? लेकिन ऐसा भी नहीं था। जब फायर ब्रिगेड आया और संबंधित कर्मचारियों ने वहां प्रवेश किया तो, न तो ताला खुला हुआ था, और न ही चोरी से संबंधित किसी तरह के साक्ष्य पाए गए।

बहरहाल, जो भी हो, अस्पताल में आग लगने की यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण थी। इसकी गंभीरता से जांच होना अत्यंत आवश्यक है, जिससे भविष्य में अस्पताल के किसी भी कोने में किसी भी तरह की लापरवाही न हो, इस पर प्रतिबंध लगाना भी आवश्यक है। नहीं तो इस तरह की लापरवाही के बेहद गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।