बीमाधारकों के लिए फलीभूत हो रही बीमा लोकपाल की व्यवस्था
अपनी पारदर्शिता और सीमाबद्धता से बीमा लोकपाल की व्यवस्था मजबूती से उभर कर सामने आई है। इस व्यवस्था पर पॉलिसीधारकों में भरोसा उत्पन्न हो रहा है कि यह प्रणाली उनके लिए निष्पक्ष है और वे इस व्यवस्था से एक निश्चित समयावधि में लाभ उठा सकते हैं!
नए वर्ष का आगाज हो गया है। नए साल में कई नवाचार किए जाएंगे। साथ ही जब हम 2047 में आजादी की 100वीं स्वर्ण जयन्ती मना रहे होंगे, तब तक देश के प्रत्येक नागरिक को बीमा के दायरे में लाने का लक्ष्य है। वर्ष 2024 के अंत तक देश की हर ग्राम पंचायत में बीमा वाहक नियुक्त किए जाने का भी सुझाव है। सर्वमान्य तथ्य है कि बीमा कराने वाला बीमा कंपनी पर विश्वास रखता है कि समय आने पर उसके दावे का सम्मान किया जाएगा, तो दूसरी ओर बीमा कंपनियों के मूल उद्देश्यों में से एक जरूरत के समय बीमित व्यक्तियों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। हालांकि, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि बीमा कंपनियां लाभ कमाने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ काम करती हैं। ऐसे में यह सुनिश्चित करना आवश्यक हो जाता है कि बुनियादी और नैतिक स्तर पर पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा की जाए और उनका आत्मविश्वास बनाए रखा जाए।
भारत सरकार ने पॉलिसीधारकों के लिए उनकी शिकायतों को कम लागत और कम समय पर और निष्पक्षता से अदालतों के बाहर निपटाने के लिए बीमा लोकपाल संगठन बनाया है। अपनी पारदर्शिता और समय की निश्चित सीमाबद्धता से बीमा लोकपाल की व्यवस्था मजबूती से उभर कर सामने आई है। इस व्यवस्था से लोगों में यह भरोसा उत्पन्न होता है कि यह प्रणाली उनके लिए निष्पक्ष है और वे इससे लाभ उठा सकते हैं। बीमा क्षेत्र में भी अधिकतम वृद्धि होती है, इसलिए यह सभी के लिए फायदे की स्थिति है। राजस्थान में बीमा लोकपाल वर्ष 2014 से कार्य कर रहे हैं। वर्तमान में देश भर में 17 बीमा लोकपाल कार्यालय हैं। 18वां बीमा लोकपाल कार्यालय महाराष्ट्र के ठाणे में शीघ्र ही आरंभ किया जाने वाला है।
उल्लेखनीय है कि बीमा लोकपाल पॉलिसीधारक और बीमा कम्पनी के बीच मध्यस्थ के रूप में काम करते हैं। किसी व्यक्ति ने किसी बीमा कम्पनी में अपना या परिवार का बीमा कराया है और सम्बन्धित बीमा कम्पनी उसकी किसी समस्या का निवारण नहीं कर रही है, अथवा बीमा कम्पनी के फैसले से सम्बन्धित व्यक्ति संतुष्ट नहीं है, तो वह व्यक्ति बीमा कम्पनी के विरुद्ध बीमा लोकपाल कार्यालय में निःशुल्क शिकायत दर्ज करा सकता है। इसमें किसी वकील या मध्यस्थ को लाने की जरूरत नहीं होती है। यहां तक कि यहां कोई फीस भी नहीं लगती है।
स्वास्थ्य बीमा से जुड़ी शिकायतें बढ़ीं
राजस्थान की बात की जाए तो जयपुर केन्द्र को पिछले दो वर्षों में बीमा लोकपाल को जितनी शिकायतें मिली थीं, उनका 60 दिन के भीतर सौ प्रतिशत निस्तारण कर दिया गया है, जबकि शिकायतों की निस्तारण अवधि 90 दिन रखी गई है। विशेष बात तो यह है कि इन शिकायतों का निस्तारण एक ही सुनवाई में किया गया है। यानि तारीख पर तारीख का कोई झमेला नहीं।
राजस्थान में बीमा लोकपाल के यहां आने वाली शिकायतें भी बढ़ी हैं। वर्ष 2022-23 में जीवन बीमा की 679, सामान्य बीमा की 295 और स्वास्थ्य बीमा की 937 शिकायतों समेत कुल 1911 शिकायतें आई थीं, जबकि वर्ष 2021-22 में जीवन बीमा की 516, सामान्य बीमा की 229 और स्वास्थ्य बीमा की 661, कुल 1,406 शिकायतें आई थीं। प्रतिशत में देखा जाए तो शिकायतों में लगभग 36% की वृद्धि हुई है और पिछले वर्ष उनका निपटारा भी किया गया।
स्वास्थ्य बीमा की शिकायतों में 41.75 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अकेले स्वास्थ्य बीमा की जितनी कुल शिकायतें मिली हैं उसका प्रतिशत 49 है। अकेले वर्ष 2023 में 01 अप्रैल से 15 नवम्बर तक जीवन बीमा की 348, सामान्य बीमा की 199 और स्वास्थ्य बीमा की 701, कुल 1,248 शिकायतों का निपटारा किया गया। समग्र रूप से शिकायतों में 18% की वृद्धि देखी गई। इस बीच जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा की शिकायतों में क्रमशः 15% एवं 31.5% की वृद्धि हुई। कुल शिकायतों में स्वास्थ्य बीमा की हिस्सेदारी 54.85% रही।
ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने की भी सुविधा
कोविड के बाद पॉलिसीधारकों की शिकायतों में काफी इजाफा हुआ है। पॉलिसीधारकों में अपनी शिकायतों को लेकर जागरुकता भी बढ़ी है। बीमा लोकपाल के यहां आने वाली सभी शिकायतों का कुशल, निष्पक्ष, सुसंगत और पारदर्शी तरीके से निष्पक्ष निपटान किया जाता है।
अक्सर यह सवाल उठता है कि लोकपाल के यहां किस तरह की शिकायतें दर्ज कराई जा सकती हैं। बीमा कम्पनी द्वारा पॉलिसीधारक के दावे को आंशिक या पूरी तरह इंकार करने, पॉलिसी को शर्तों के विपरीत जारी न करने समेत अनेक मुद्दों पर शिकायतकर्ता सीधे ही यहां अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं। पॉलिसीधारक की अन्य शिकायतें भी हो सकती हैं, जैसे-भुगतान किए गए या देय प्रीमियम पर विवाद या असहमति, ऐसी पॉलिसी जारी कर देना जो पॉलिसीधारक द्वारा चुनी गई पॉलिसी से भिन्न हो तथा प्रीमियम भुगतान के बाद भी बीमा जारी न होना आदि।
यह भी देखा जाता है कि बीमा एजेंट अपने ग्राहकों को पॉलिसी लाभों को बढ़-चढ़कर बता देते हैं। जब पॉलिसी उनके घर पर आती है तो उन लाभों का उसमें कोई उल्लेख ही नहीं होता। इसकी शिकायत भी बीमा लोकपाल के पास दर्ज कराई जा सकती है। शिकायतें ऑनलाइन भी दर्ज कराई जा सकती हैं, परंतु उसकी हार्डकॉपी भेजना आवश्यक होता है।
हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं पॉलिसीधारक
यहां यह जान लेना आवश्यक है कि लोकपाल के यहां आने से पहले बीमाधारक को संबंधित कम्पनी में लिखित शिकायत करनी होती है। अगर बीमा कम्पनी 30 दिन के भीतर कोई जवाब नहीं देती है, उसके बाद ही लोकपाल कार्यालय में शिकायत की जा सकती है। लोकपाल को शिकायत का निपटारा 90 दिन में करना आवश्यक है। बीमा कम्पनी यदि दावा खारिज कर देती है, तो एक साल के अंदर शिकायत दर्ज करना भी आवश्यक है। यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि बीमा कम्पनी से जवाब मिले अगर एक वर्ष निकल गया है तो लोकपाल को शिकायत नहीं की जा सकती। ऐसी शिकायतों को अवधि-पार मान लिया जाता है।
बीमा लोकपाल कंज्यूमर कोर्ट या किसी न्यायालय में विचाराधीन मामलों की सुनवाई भी नहीं करता है। यह व्यवस्था इसलिए की गई है कि कोई पॉलिसीधारक दो जगह अपना केस न दर्ज करा सके। एक बड़ा सवाल यह उठता हो कि क्या बीमा लोकपाल के फैसले को मानने के लिए पॉलिसीधारक या बीमा कम्पनियां बाध्य हैं? ऐसा नहीं है। पॉलिसीधारक लोकपाल के निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। हालाँकि बीमा कम्पीनियों के लिए लोकपाल का निर्णय बाध्य हैं𑅁
50 लाख तक के दावों को निपटाने का अधिकार
केंद्र सरकार ने अभी हाल ही में पॉलिसीधारकों को राहत देने के लिए बड़ी पहल की है। अब बीमा लोकपाल 50 लाख रुपये तक के दावों का निपटान कर सकेंगे। अभी तीस लाख से अधिक राशि के दावे के निपटान के लिए पॉलिसीधारक को उपभोक्ता अदालत जाना पड़ता था। इसमें शिकायतों के निपटारे में एक से दो वर्ष का समय लग जाता था, परंतु अब उनकी शिकायतों का निपटारा तीन महीने में ही हो जाएगा।