धीमी क्यों हो रही है भारतीय रेल की गति?
भारतीय रेल की गति इसके बावजूद धीमी हो रही है-
- डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का चालू हो चुका है।
- भीड़ कम करने और विस्तार के लिए भारतीय रेल ने पिछले कुछ वर्षों में अपने नेटवर्क में सालाना 4000 किमी. से अधिक ट्रैक का निर्माण किया है।
- वंदे भारत और एलएचबी जैसे हाई स्पीड कोच का अधिक निर्माण किया और उन्हें ट्रैक पर उतारा है।
- आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली की स्थापना हुई है।
- 100% विद्युतीकरण भी पूरा होने जा रहा है।
तेजी से बढ़ती #अर्थव्यवस्था से जुड़ी समस्याओं के अलावा गति धीमी होने के अन्य कारण हैं-
- अंतर्निहित ब्रेक समस्याओं को सुधारने के बजाय मालगाड़ियों की गति धीमी करने का रेलवे बोर्ड का निर्देश।
- पांच हजार से अधिक स्थायी गति प्रतिबंधों के अलावा इससे भी अधिक संख्या में अस्थायी गति प्रतिबंध।
- पन्द्रह हजार से अधिक रोड लेवल क्रासिंग्स।
- चालक दल की कमी।
- लगातार हो रही दुर्घटनाओं के कारण भय का माहौल।
- पिछले कुछ वर्षों से #इंजीनियर्स की भर्ती न किया जाना।
- पदोन्नति की नई प्रणाली के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में वरिष्ठ अधिकारियों को बाइपास कर दिया गया, जो रेल में अपनी सेवानिवृत्ति तक एक निश्चित स्तर तक पहुँचने के लिए पूरी निष्ठा से काम करते हैं, वह टूटे हुए मनोबल के साथ हतोत्साहित स्थिति में वरिष्ठ पदों पर बने हुए हैं।
- बड़ी संख्या में बुनियादी ढ़ांचे के उन्नयन, जैसे गति बढ़ाने, कवच स्थापित करने, दोहरीकरण इत्यादि कार्यों के लिए आवश्यक ब्लॉक नहीं मिल पाना।
- गतिशक्ति योजना के तहत सभी प्रोजेक्ट वर्क्स को डिवीजनों में स्थानांतरित किया जाना भी एक गलत निर्णय है। डिवीजनल अधिकारी, जिन्हें मुख्य रूप से परिचालन, संरक्षा, सुरक्षा और समयपालन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है, वे अब प्रोजेक्ट कार्यों में व्यस्त हैं।
- सवारी गाड़ियों और विशेष ट्रेनों को फिर से शुरू न करना, जिन्हें कोविड के दौरान निलंबित कर दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप भीड़भाड़ बढ़ी है।
- रेगुलर ट्रेनों में स्लीपर क्लास और जनरल क्लास कोचों को बढ़ाने के बजाय इनमें कमी कर दिए जाने के साथ त्यौहारी सीजन एवं पीक सीजन में विशेष ट्रेनें तथा जनसाधारण ट्रेनें चलाने की समयोचित प्लानिंग नहीं किया जाना उपरोक्त सभी कारणों में न केवल सर्वोपरि है बल्कि बोर्ड स्तर पर मॉनिटरिंग और जोनल स्तर पर अक्षमता का प्रमाण है!