परशुराम के धर्म का निर्वाह करें – परशुराम को जयकारे का लोभ नहीं है मान्यवर वैष्णव जी!
मान्यवर अश्विनी वैष्णव जी ने जयपुर में आयोजित ब्राह्मण महापंचायत में “चिरंजीवी भगवान परशुराम का जयकारा” लगाया और कहा कि राजस्थान में 82 विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशनों का निर्माण होगा।
पता नहीं मान्यवर आपने भगवान परशुराम की कहानी पढ़ी है कि नहीं! फिर भी थोड़ा हम आपको बता देते हैं- (साभार, अमर चित्र कथा)
राष्ट्रकवि दिनकर की “परशुराम की प्रतीक्षा“ आज के #KMG ग्रसित रेल व्यवस्था को दर्पण दिखलाती है – तनिक ध्यान से पढ़ें-
विष्णु के छठवें अवतार भगवान परशुराम, उन अधर्मियों के नाश के लिए अवतरित होते हैं, जो अपना राज-धर्म भूल गए थे। परशुराम आज भी हैं, उन्होंने शास्त्र उठाए धरती पर बोझ बने उन दुष्टों का समूल नाश करने के लिए जो राज-धर्म भूल अपनी जानता का ही शोषण करने लगे थे, और उनके अनुयाई हमने अपना परशु (कलम) उठाया है रेल सिस्टम पर हावी उन दुष्ट #KMG के समूल नाश के लिए, जिन्होंने लंबे समय से अपनी दुष्टतापूर्ण कुटिल गतिविधियों से पूरी रेल व्यवस्था को अपनी जकड़न में ले रखा है!
देखें, राष्ट्रकवि दिनकर जी क्या लिख गए हैं-
हे वीर बन्धु ! दायी है कौन विपद का?
हम दोषी किसको कहें तुम्हारे वध का?
यह गहन प्रश्न; कैसे रहस्य समझायें?
दस-बीस अधिक हों तो हम नाम गिनायें।
पर, कदम-कदम पर यहां खड़ा पातक है,
हर तरफ लगाये घात खड़ा घातक है।
घातक है, जो देवता-सदृश दिखता है,
लेकिन, कमरे में गलत हुक्म लिखता है।
जिस पापी को गुण नहीं; गोत्र प्यारा है,
समझो, उसने ही हमें यहां मारा है।
जो सत्य जानकर भी न सत्य कहता है,
या किसी लोभ के विवश मूक रहता है।
उस कुटिल राजतंत्री कदर्य को धिक् है,
यह मूक सत्यहंता कम नहीं वधिक है।
चोरों के हैं जो हितू, ठगों के बल हैं,
जिनके प्रताप से पलते पाप सकल हैं।
जो छल-प्रपंच, सब को प्रश्रय देते हैं,
या चाटुकार जन से सेवा लेते हैं।
यह पाप उन्हीं का हमको मार गया है,
भारत अपने घर में ही हार गया है।
मान्यवर, आपके जयकारे के मर्म में कितनी श्रद्धा और विश्वास था या है, यह तो आप जानें, लेकिन हम भगवान परशुराम के भक्त और आचार्य चाणक्य के अनुयाई हैं। स्मरण रहे कि, “जब ब्राह्मण अपनी शिखा खोल धर्म रक्षा के लिए शस्त्र उठा लेता है तो दुनिया की कोई शक्ति उसे नहीं रोक पाती है!”
हमारा परशु (फरसा) हमारी कलम है और यह उठा है आतंकी और आतताई #KMG के समूल नाश के लिए! वे रेल अधिकारी जो अपना धर्म भूल अपने स्वयं के स्वार्थपरक हितों के साधन में व्यवस्था का दोहन ‘कार्तवीर्य’ की तरह कर रहे हैं, जिनको उन्हें सुरक्षा प्रदान करनी है, उन्हीं का शोषण आज #KMG कर रहा है – उनका समूल नाश हमारा संकल्प है। और क्षमा करें मान्यवर, हमारे चेताने के बाद भी इन्हें आपका संरक्षण मिल रहा है। कृपया ध्यान रखें, “अगर पापियों को पालेंगे तो उनके पाप के भागीदार आप भी बनेंगे और परशुराम का परशु, आपके राजनैतिक भविष्य को भी नहीं बख्शेगा!”
हम इतना कड़वा लिखना नहीं चाहते, लेकिन आप हमारे आराध्य भगवान परशुराम का नाम ले रहे हैं, तो उनके आदर्शों पर चलें, भगवान का नाम राजनैतिक लाभ के लिए नहीं है। आप भगवान परशुराम के आदर्श, चरित्र, कृतित्व को नहीं मानते, तो भी कोई बात नहीं, लेकिन फिर उनका आव्हान न करें। और अगर आप अपने आव्हान में विश्वास रखते हैं तो स्मरण रहे, आपके परशु में इस गरीब ब्राह्मण के परशु (कलम) से अधिक शक्ति है, उससे रेल में व्याप्त अराजकता को समाप्त करें, तभी आपका कल्याण होगा! अंग्रेजी में कहें तो, walk your talk.. हिंदी में.. जैसा कहें, वैसा करें!