February 4, 2023

मोदीजी, रेलवे के धनकुबेरों का सिंडीकेट तोड़ने का एकमात्र उपाय है – ‘पंचारिष्ट’ पर अमल!

Narendra Modi, PM/India

प्रधानमंत्री जी, रेलवे के धनकुबेरों को पहचानने हेतु आपकी CBI/ED/IT/CVC के लिए प्रस्तुत हैं पांच सबसे आसान टिप्स!

प्रधानमंत्री जी, अगर रेलवे की सेहत ठीक करनी है, तो आपकी एजेंसियों को इस “पंचारिष्ट” पर काम करना ही होगा!

आदरणीय प्रधानमंत्री जी,

महोदय, आप लगातार व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात हर फोरम से कह रहे हैं। आप इस मुद्दे पर लगातार जन-जागरूकता फैलाने का अथक प्रयास भी कर रहे हैं। जनसाधारण द्वारा इस विषय पर आपके प्रयासों का न केवल उल्लेख किया जाता है, चर्चा होती है, बल्कि आपके आदर्श और प्रयासों की प्रशंसा भी हो रही है। परंतु बड़ी निराशा तब होती है जब आपके इन प्रयासों का कोई असर व्यवस्था में बैठे लोगों पर होता हुआ दिखाई नहीं देता!

अगर रेल की बात करें, तो यहां 20/25/30 सालों से लोग एक ही जगह एक ही शहर एक ही रेलवे में बैठे हैं। उत्पादन इकाईयों में तो तृतीय/चतुर्थ श्रेणी से भर्ती होकर वरिष्ठ प्रशासनिक वेतनमान (SAG) तक प्रमोशन लेकर पूरी सर्विस वहीं एक ही यूनिट में कर रहे हैं। इस तरह उनके अपने विशिष्ट स्थानीय नेटवर्क बने हुए हैं। रेल का मामूली सुपरवाइजर भी करोड़पति है, कुछेक अपवादों को छोड़कर, क्योंकि उसका स्थान/शहर पूरी सर्विस में कभी नहीं बदलता। यही हाल अधिकतर अधिकारियों का भी है। इस व्यवस्था में सबसे अधिक लाभांवित होने वालों में विभागीय पदोन्नति से अधिकारी बनने वाले सबसे आगे हैं।

महोदय, यहां कुछ सबसे आसान टिप्स के सुझाव हैं रेलवे के धनकुबेरों को पहचानने हेतु आपकी #IT, #CBI, #ED, #CVC जैसी एजेंसियों के लिए–

रेलवे के धनकुबेरों की पहचान के आसान तरीके:

1. पोस्टिंग प्रोफाइल के अनुसार 80/90% केवल  महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुका अधिकारी

2. सीवीसी के पीरियोडिकल ट्रांसफर की गाइडलाइंस/एडवाइजरी में निर्धारित समय सीमा – 3-4 साल – से ज्यादा समय तक एक ही पोस्ट पर  काम करने वाला अधिकारी

3. उसी गाइडलाइंस के हिसाब से निर्धारित समय 3-4 साल से ज्यादा लंबे समय तक एक ही स्थान/शहर में कई पदों पर रहने वाला अधिकारी, पद का नाम बदलकर वही काम करने वाला अधिकारी

(#JAG, #SAG और #HAG, इन तीन स्टेज में  कंफर्म प्रमोशन होने पर बिना किसी भेदभाव और अपवाद के अधिकारियों का जोन चेंज होना चाहिए!

अगर पति/पत्नी दोनों वर्किंग हों तो दोनों का स्थान चेंज होना चाहिए। दोनों को एक-दूसरे का बहाना बनाकर एक ही जगह एक ही शहर में लंबे समय तक रहने का मौका न दिया जाए और कोई भी शहर अधिकतम दो बार ही पोस्टिंग के लिए मिले।)

4. #DRM और #GM पद पर काम कर चुका अधिकारी – इनके और पत्नी के पैन से इंवेस्टमेंट की जांच से पता चल जाएगा कि ‘ऊपर’ की कमाई की व्यवस्था क्या है

5. रेलवे बोर्ड/जोनल रेलों में उच्चतम पदों पर बैठे अधिकारी, जिनके हाथ में ट्रांसफर/पोस्टिंग करने, पॉलिसी बनाने और निर्धारित करने की शक्ति है

(और जो या तो अपने कार्यकाल के 80/90% समय तक महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं, या फिर एक ही जगह अपने कैरियर का 80/90% समय बिताया, और फिर रेलवे बोर्ड के उच्च एवं महत्वपूर्ण पदों पर भी काबिज हो गए)

मोदी जी, अगर रेलवे की सेहत ठीक करनी है, तो आपकी जांच एजेंसियों को उपरोक्त “पंचारिष्ट” पर काम करना ही होगा, तभी आपका घोषित उद्देश्य पूरा हो पाएगा।

इसमें आपको अपवाद के तौर पर ही कोई अपवाद मिल सकते हैं, जो हमेशा हर काल में रहेगा।

इन्हीं पांच टिप्स अर्थात “पंचारिष्ट” पर काम शुरू और अमल करना आसान भी है और रेलवे की लाइलाज हो चुकी बीमारी का शत-प्रतिशत शर्तिया इलाज की गारंटी भी है।

प्रधानमंत्री जी, भ्रष्टाचार को समाप्त करने की आपकी प्रतिबद्धता को इससे तब और शक्ति मिल जाएगी जब ट्रांसफर/पोस्टिंग भी एक कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के माध्यम से होनी शुरू हो जाएगी। जिसमें अधिकारी की गोपनीय प्रविष्टि भी हो और उसकी कार्यप्रणाली एवं व्यवहार से संबंधित अन्य सभी डिटेल्स भी हों।

रेलवे में तो यह बिल्कुल सम्भव भी है, क्योंकि इसमें सेना जैसी पदस्थापना को लेकर कोई संवेदनशील मसला नहीं होता।

इससे व्यवस्था में पारदर्शिता भी आएगी, पक्षपात की गुंजाइश भी नगण्य हो जाएगी, और सबसे बड़ी बात होगी कि नवधनाढ्यों/भ्रष्टों का सिंडीकेट भी टूट जाएगा।

मोदीजी रेल में नौकरियों की बहुत बड़ी संभावनाएं हैं – लेकिन ठेके की चाशनी ने सिस्टम को मधुमेह से सराबोर कर दिया है।

मोदी जी, अगर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह ‘पंचारिष्ट’ नामक महत्वपूर्ण सुधार करा देंगे, तो केवल रेलवे में ही नहीं, सर्वत्र आपकी जय-जयकार हो जाएगी, और बाकी विभागों के लिए भी आपका यह कदम एक अनुकरणीय उदाहरण बन जाएगा।

सादर/धन्यवाद
आपका शुभाकांक्षी
सुरेश त्रिपाठी
संपादक
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