जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश पर राज्य उपभोक्ता फोरम का स्थगनादेश
जिला उपभोक्ता फोरम, मथुरा ने 21 साल बाद रेलवे के विरुद्ध अधिक वसूले गए ₹20/- के लिए ₹15000/- वादी के पक्ष में हर्जाना अदा करने का दिया था आदेश
गोरखपुर ब्यूरो: रेलवे पर दावों (क्लेम्स) अथवा किराये की वापसी अथवा अन्य किसी रेल संबंधी वादों के निरस्तारण के लिए रेल दावा अधिकरण (रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल-आरसीटी) स्थापित किए गए हैं, जो ऐसे मामलों अथवा यात्री से संबंधित मामलों का त्वरित निस्तारण करते हैं। यह व्यवस्था विधि के अनुसार बनाई गई है।
एक मामले में वकील तुंगनाथ चतुर्वेदी सेे यात्रा हेतु रेलवे द्वारा त्रुटिवश ₹20/- अधिक चार्ज किए जाने पर ऐसे वादों के निपटारे हेतु बनाए गए रेल दावा अधिकरण के स्थान पर उन्होंने जिला उपभोक्ता फोरम, मथुरा के समक्ष वर्ष 2001 में वाद प्रस्तुत किया था।
लगभग 21 वर्ष पश्चात जिला उपभोक्ता फोरम, मथुरा द्वारा 5 अगस्त, 2022 को वाद का निस्तारण करते हुए रेलवे के विरुद्ध अधिक वसूले गए ₹20/- के अतिरिक्त ₹15000/- वादी के पक्ष में हर्जाना अदा किए जाने का आदेश दिया गया था।
रेलवे का कहना है कि इस आदेश के आलोक में सामान्यतः वादी तुंगनाथ चतुर्वेदी द्वारा रेलवे को आवेदन देकर किराये की वापसी नियमानुसार प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए था। जैसा कि रेलवे अपने यात्रियों को बहुत अल्प समय में इस प्रकार की सुविधा प्रदान करती है।
रेल प्रशासन द्वारा उक्त निर्णय के विरुद्व राज्य उपभोक्ता फोरम, लखनऊ में अपील किए जाने पर राज्य उपभोक्ता फोरम द्वारा 29 नवंबर, 2022 को प्रथम सुनवाई के दौरान ही तथ्यों एवं विधिक स्थिति को देखते हुए पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन के विरुद्व जिला उपभोक्ता आयोग, मथुरा द्वारा 5 अगस्त, 2022 को पारित आदेश पर स्थगन आदेश (स्टे आर्डर) देते हुए प्रतिवादी तुंगनाथ चतुर्वेदी को नोटिस जारी किया गया है।