राष्ट्रीय पर्व के दिन मुंबई की लोकल ट्रेनों को अस्त-व्यस्त करने का मूढ़ षड़यंत्र
मुंबई मंडल, मध्य रेलवे में 15 अगस्त, राष्ट्रीय पर्व और आजादी के अमृत महोत्सव – 75वें स्वंतत्रता दिवस – के अवसर पर मुंबई की लोकल ट्रेनों के अस्त व्यस्त होने से लाखों उपनगरीय यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि अधकचरे अधिकारियों ने इसकी संभावना स्वयं पैदा की है!
मोटरमैन से लोको पायलट मेल में जाने की समस्या मुंबई मंडल में सुरसा की तरह मुंह फाड़कर खड़ी है। पिछले लगभग 10 वर्षों से भी अधिक होने को है, पर मंडल प्रशासन ने अभी तक इस समस्या का कोई सकारात्मक हल ढूंढने का कोई प्रयास नहीं किया। गलती दोनों तरफ से बराबर चल रही है। स्टाफ साइड से मोटरमेन मेल पर जाना नहीं चाहते हैं, क्योंकि उनको समान ग्रेड पे में मेल चालक बनने में रुचि नहीं है। वे अपने संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए अपने प्रमोशन को नकार रहे हैं।
मोटरमैनों का कहना है कि मंडल प्रशासन का यह दायित्व बनता है कि संवैधानिक रूप से सभी पहलुओं पर विचार करते हुए यह प्रयास करे कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। उनका कहना है कि इसके कुछ समाधान स्टाफ साइड से तथा मान्यताप्राप्त संगठनों की तरफ से भी बताए जा रहे हैं। पर लगता है कि प्रशासन को समस्या का समाधान करने के बजाय रायता फैलाने में ज्यादा रुचि महसूस हो रही है।
उन्होंने कहा कि यह चीज इसी बात से समझ में आती है कि मंडल प्रशासन द्वारा 9 अगस्त की शाम को 6:00 बजे एक लेटर निकाला जाता है कि 10 तारीख से भुसावल में 40 मोटरमैन, मेल चालक की ट्रेनिंग शुरू करेंगे, जबकि उस दिन 40 में से लगभग 50% मोटरमैन डबल ड्यूटी पर थे। यानि कि आज शाम को अपनी ड्यूटी शुरू कर 10 तारीख को सुबह खत्म करने वाले थे, तो फिर इनके पास कब निकलते? यात्रा करके भुसावल कब पहुंचते? लगता है कि प्रशासन केवल अफरा तफरी फैलाने में ज्यादा रुचि रख रहा है।
उन्होंने कहा कि जब 10 तारीख से ट्रेनिंग शुरू होना संभव ही नहीं था, तो ट्रेनिंग शुरू नहीं हो पाई। पुनः मंडल प्रशासन द्वारा 10 तारीख को एक और लेटर निकाला गया कि 16 तारीख से भुसावल में उपरोक्त 40 मोटरमैनों की ट्रेनिंग शुरू की जाएगी। इसका मतलब था कि 15 तारीख को लोग अपना पास लेकर रिजर्वेशन कराएं और यात्रा करके भुसावल पहुंचें।
अर्थात राष्ट्रीय पर्व, जिसे कि स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के रूप में विशेष तौर पर सारे राष्ट्र में बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है, और मुंबई मंडल प्रशासन का भी यह दायित्व बनता था कि इस उत्साह को दोगुना करते हुए संपूर्ण मुंबई मंडल में जगह जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करता, तिरंगा यात्राएं निकालता, मगर प्रशासन ने अपने स्टाफ में और उसके पारिवारिक सदस्यों में राष्ट्रप्रेम और अपने दायित्व के प्रति एक विशेष उत्साह जागृत करने की जगह एक ऐसी अफरा-तफरी फैलाने का षड्यंत्र रचा कि वे मोटरमैनों, जिन्होंने अपने प्रमोशन को पहले ही रिफ्यूजल दिया हुआ है, को बलात लोको पायलट मेल की ट्रेनिंग में भेजने और मुंबई की लोकल ट्रेनों को अस्त-व्यस्त करने का षड़यंत्र रचा। जिससे कि उनमें तथा बाकी सभी मोटरमैनों में तथा उनके परिवारों में एक राष्ट्रीय पर्व के दिन एक मानसिक तनाव का वातावरण व्याप्त हो।
विडंबना यह है कि हर अधिकारी जनरल मैनेजर मध्य रेल तक इस बात से अवगत है कि यह निर्णय कर्मचारियों की इच्छा के विरुद्ध जाने वाला है, जिसका कि प्रतिकूल असर मुंबई की लोकल ट्रेनों के संचालन पर पड़ सकता है। तथापि मंडल रेल प्रबंधक दिल्ली में हैं और सीनियर डीईई परिचालन इतना जूनियर और अक्ल का दुश्मन अधिकारी है कि सारे दिन एक मूढ़ की भांति परिचालन लाबी में बैठकर उस डिटेल को ऐसे देखता है जो कि कभी उसकी समझ में नहीं सकता। तथापि उन डिटेल को अपनी उपस्थिति का भय दिखाकर मैनेज कर सुगम संचालन का असफल प्रयास करने में लगा है।
मोटरमैनों का कहना है कि सीनियर डीईई परिचालन द्वारा मुख्यालय के अधिकारियों को इस अति संवेदनशील मामले से अवगत कराने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। यह बात मुख्यालय के अधिकारियों द्वारा स्पष्ट तौर पर कही जा रही है कि मुंबई मंडल की तरफ से उन्हें इस बारे में, कि संचालन पर कोई प्रतिकूल असर होने की संभावना है, इसकी कोई सूचना नहीं दी जा रही है।
अब परिस्थिति ऐसी है कि कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक सबको पता है कि 15 अगस्त राष्ट्रीय पर्व के दिन मुंबई सबर्बन में लोकल ट्रेनों के संचालन की क्या स्थिति हो सकती है। लेकिन न तो कोई इसके प्रति सीरियस है और न ही कोई जिम्मेदारी पूर्वक इस समस्या के हल के लिए आगे आ रहा है। ऐसी भी कहीं कोई आपातस्थिति नहीं थी कि यह ट्रेनिंग 16 अगस्त से ही चालू करनी हो।
जानकारों का कहना है कि सबसे पहले मंडल प्रशासन को इस बात को ध्यान रखना था कि जहां पहले ही मोटरमैनों की कमी के चलते हर महीने मोटा ओवरटाइम हो रहा है, ऐसे में जब इतना बड़ा बैच, जो कि संभवत पहली बार 40 लोग एक साथ मोटरमैन से मेल चालक बनाए जा रहे हैं, जब ट्रेनिंग पर जाएगा, तो लोकल ट्रेनों के संचालन में कुछ न कुछ समस्या आनी स्वाभाविक है। फिर भी राष्ट्रीय पर्व के दिन इस तरह का निर्णय लेना इनकी राष्ट्र के प्रति दरिद्र मानसिकता को ही दर्शाता है!