सीबीआई ने 41 टिकट चेकिंग स्टाफ के खिलाफ दर्ज की एफआईआर
ड्यूटी में न रहते हुए भी इशू कराई ईएफटी और वसूल किया यात्रियों से जुर्माना
यूनियन के होश उड़े, रेलवे बोर्ड परेशान, सीसीएम को ट्रांसफर कराने का बनाया जा रहा है दबाव
चेन्नई : 11 जुलाई की रेल हड़ताल की भारी गहमागहमी के बीच पिछले हफ्ते सीबीआई, चेन्नई जोन की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई (एसीबी) ने चेन्नई मंडल, दक्षिण रेलवे के 41 टिकट चेकिंग स्टाफ (टीटीई) के खिलाफ आपराधिक साजिश, विश्वासघात, फोर्जरी और भ्रष्टाचार उन्मूलन कानून की कुल सात धाराओं के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की है. इसके चलते जहां सदर्न रेलवे मजदूर यूनियन (एसआरएमयू) के होश उड़ गए हैं, वहीं इससे रेलवे बोर्ड भी परेशान हो उठा है और अब इसकी वजह से रेलवे बोर्ड पर दक्षिण रेलवे के मुख्य वाणिज्य प्रबंधक (सीसीएम) को ट्रांसफर कराने का दबाव एसआरएमयू के महामंत्री और एआईआरएफ के शीर्ष नेतृत्व द्वारा बनाया जा रहा है. जबकि इसी मामले में ट्रांसफर हुए रेलकर्मियों और यूनियन को कैट में दायर याचिका सहित अन्य तमाम कोशिशों पर भी अब तक कोई सफलता नहीं मिल पाई है.
हालांकि सीबीआई, चेन्नई जोन ने यह एफआईआर किसकी शिकायत पर दर्ज की है, इस बात को गोपनीय रखा है, मगर जिन 41 टीटीई के विरुद्ध यह एफआईआर दर्ज की गई है, उनके नाम अवश्य उजागर कर दिए हैं. इन टीटियों पर आरोप है कि इन्होंने अपने अधिकार का बेजा इस्तेमाल करते हुए वर्ष 2015 के मध्य में दक्षिण रेलवे के चेन्नई और आसपास के स्टेशनों पर यात्रियों से पैसे की वसूली की थी. एक आतंरिक विभागीय जांच में ऐसी तमाम अनियमितताएं पाए जाने पर पिछले साल 1 जुलाई को वाणिज्य विभाग ने सभी टीटियों का पीरियोडिकल ट्रांसफर कर दिया था. मगर उनमें से इन 41 टीटियों ने कथित तौर पर यूनियन के कहने पर ट्रांसफर ऑर्डर्स को फॉलो नहीं किया था, बल्कि इसके चलते यूनियन ने सीनियर डीसीएम, चेन्नई मंडल वी. रविचंदर का ही ट्रांसफर करा दिया था, जिन्हें तब नव-नियुक्त सीसीएम ने उनकी जगह पर बहाल करवाया था. तथापि, इन सभी 41 टीटियों को बेटिकट यात्रियों से किसी प्रकार का जुर्माना वसूलने के अयोग्य ठहराया गया था, क्योंकि इन्होंने अपनी निर्धारित जगह पर अपनी ड्यूटी ज्वाइन नहीं की थी और ड्यूटी से लगातार अनुपस्थित रहे थे. तथापि, वह अनधिकृत रूप से ईएफटी इशू करवाकर यह कार्य कर रहे थे. इनमें से ज्यादातर टीटीई यूनियन के पदाधिकारी बताए गए हैं. इसके अलावा इन्हें ईएफटी जारी करने वाले ऑफिस स्टाफ भी यूनियन के पदाधिकारी बताए गए हैं.
बताते हैं कि इन टीटियों को जिन मेल/एक्स. ट्रेनों में ऑन बोर्ड ड्यूटी के लिए लगाया गया था, वह वहां अपनी ड्यूटी करने के बजाय विभागीय ऑर्डर को न मानते हुए चेन्नई सेंट्रल स्टेशन और आसपास के अन्य स्टेशनों पर बतौर स्क्वाड टीटीई अनधिकृत रूप से काम करके यात्रियों से पैसा (फाइन) वसूल कर रहे थे. इनका यह कृत्य रेलवे के नियमों के विरुद्ध था. इसी वजह से ऐसे सभी टीटीई सीबीआई की जांच के दायरे में आ गए हैं. अब सीबीआई इस बात की जांच कर रही है कि यह टीटीई यात्रियों से जुर्माना वसूलने के लिए वास्तविक ईएफटी (एक्स्ट्रा फेयर टिकट) बुक का इस्तेमाल कर रहे थे अथवा इसके लिए उन्होंने फर्जी या डुप्लीकेट ईएफटी बुक्स का उपयोग किया था. सूत्रों का कहना है कि सीबीआई को इनके द्वारा डुप्लीकेट ईएफटी के इस्तेमाल की भी जानकारी मिली है.
उल्लेखनीय है कि पिछली एक पीएनएम मीटिंग में यूनियन ने इस बात को मीटिंग के रिकॉर्ड में दर्ज करवाया था कि ‘इन 41 टीटीई ने बिना किसी प्रॉपर अथॉरिटी के यात्रियों से फाइन जमा किया था.’ यूनियन ने यह मांग करते हुए और लगभग दबाव डालकर रिकॉर्ड में यह भी दर्ज करवाया था कि ‘इन टीटियों ने जो फाइन जमा किया है, उसे संबंधित यात्रियों को वापस कर दिया जाए, क्योंकि यह अनुचित तरीके से जमा किया गया था.’ प्राप्त जानकारी के अनुसार उपरोक्त मामले के अलावा सीबीआई द्वारा अनधिकृत रूप से इमरजेंसी कोटा जारी किए जाने की भी जांच की जा रही है. पता चला है कि यूनियन पदाधिकारियों द्वारा अन्य तमाम विभागों के अधिकारियों को अपने प्रभाव में बनाए रखने के लिए अनधिकृत रूप से प्रतिदिन हजारों बर्थें इमरजेंसी कोटे के तहत दिलाई जा रही थीं. सीसीएम द्वारा इस पर लगाम लगाए जाने से अब प्रति दिन करीब तीन हजार सीटें/बर्थें सर्वसामान्य यात्रियों को उपलब्ध हो रही हैं.
उधर रेलवे बोर्ड के हमारे विश्वसनीय सूत्रों का का कहना है कि सीबीआई द्वारा दर्ज की गई इस एफआईआर की सूचना एसआरएमयू और एआईआरएफ के शीर्ष नेतृत्व ने जैसे ही रेलवे बोर्ड के संबंधित मेंबर को दी गई, वैसे ही सबसे पहले उसके मुंह से यही निकला कि ऐसा कैसे हो सकता है, किसने यह शिकायत सीबीआई को दी है? सूत्रों का कहना है कि इसके बाद इससे बचने के उपायों पर चर्चा हुई और इसके तहत किसी प्रकार सीसीएम, दक्षिण रेलवे को ट्रांसफर करने का रास्ता तलाशा जाने लगा है. सूत्रों ने यह भी बताया कि इस दरम्यान एसआरएमयू के महामंत्री को लेकर एआईआरएफ का शीर्ष नेतृत्व संबंधित बोर्ड मेंबर से दो-तीन बार मुलाकात कर चुका है. परंतु अब तक उन्हें सीसीएम को ट्रांसफर कराने में कामयाबी नहीं मिल पाई है.