कोरोना काल में खत्म किए गए सभी स्टापेज तुरंत रिस्टोर किए जाएं, लाखों यात्रियों की मांग!
मोदी सरकार को अलोकप्रिय बनाने पर आमादा हैं रेल अधिकारी
रेलमंत्री को अधिकारियों को नियंत्रित करने की फुर्सत नहीं
अधिकारियों की ट्रांसफर/पोस्टिंग कराने में व्यस्त हैं रेल राज्यमंत्री!
रेलवे को प्रतिदिन करोड़ों रुपये की आमदनी का हो रहा है नुकसान
कोराना काल में सैकड़ों रेलवे स्टेशनों पर यात्री गाड़ियों का स्टापेज बंद कर दिया गया था। इन स्टेशनों में वह तमाम स्टेशन भी शामिल हैं जो न केवल अति व्यस्त माने जाते हैं, बल्कि इनसे रोजाना लाखों यात्रियों का आवागमन होता है। कोरोना काल के सारे नियम सरकार ने शिथिल कर दिए हैं और रेल संचालन भी लगभग सामान्य गति में आ गया है। तथापि कोरोना काल में बंद किए स्टापेज अब तक रिस्टोर नहीं किए जाने से जहां एक तरफ लाखों यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ रेलवे को भी रोजाना करोड़ों रुपये के राजस्व अर्जन का नुकसान हो रहा है।
इन्हीं बंद किए गए स्टापेज में से पश्चिम रेलवे के अहमदाबाद डिवीजन का मालिया मियाना रेलवे स्टेशन भी है। यह स्टेशन गांधीधाम-अहमदाबाद मेनलाइन पर गुजरात के मोरबी जिले में मालिया मियाना-वांकानेर सेक्शन पर एक अति व्यस्त रेलवे स्टेशन माना जाता है। यहां पर करोना काल में मेल/एक्सप्रेस गाड़ियों का स्टापेज बंद कर दिया गया था जो कि अभी तक बंद है।
इससे यहां पर आने-जाने वाले लाखों यात्रियों सहित सैकड़ों रेलकर्मियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन रेलवे के अधिकारियों को उनकी इस परेशानी से किसी प्रकार का कोई लेना देना नहीं है, क्योंकि आने-जाने में परेशान तो नीचे के स्टाफ और लाखों यात्री हो रहे हैं।
इस बारे में कई रेलकर्मियों का कहना है कि जब अधिकारियों से इस संबंध में पूछा जाता है कि कब से यहां गाड़ियों का स्टाप शुरू होगा, तो उनका जवाब होता है कि यहां पर इस बारे में कोई लिखित सूचना नहीं है, जबकि यहां पर डेली तीन रेक नमक के लोड होते हैं और दो रेक कंटेनर के निकलते हैं। फिर भी यहां एक भी सवारी गाड़ी इस समय नहीं रुक रही है। जबकि स्टेशन भी अच्छा बनकर तैयार हो गया है।
उनका कहना है कि यहां से प्रतिदिन चार से पांच लाख रुपये की आय है, फिर भी किसी भी सवारी गाड़ी को यहां रोका नहीं जा रहा है। इस तरह रेल प्रशासन एक बड़ी आमदनी गंवा रहा है। परंतु कोई देखने सुनने वाला नहीं है।
उधर जिन तमाम रेलवे स्टेशनों पर यात्री गाड़ियों को नहीं रोका जा रहा है, वहां के भी लाखों लोग रोज सोशल मीडिया के माध्यम से रेल प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि उनके स्टेशनों पर यात्री गाड़ियों का ठहराव पूर्ववत किया जाए, परंतु रेल प्रशासन के कानों में जूं नहीं रेंग रही है। आखिर रेल राजस्व को इस तरह गंवाकर रेल प्रशासन रेलवे को क्यों डुबा रहा है और लाखों उपभोक्ताओं को परेशानी में क्यों डाला जा रहा है, यह समझ से परे है।
रोज अप-डाउन करने वाले यात्रियों का स्पष्ट कहना है कि रेल प्रशासन इस तरह केंद्र सरकार को ही अलोकप्रिय बनाने पर आमादा है। रेल प्रशासन के इस बहरेपन अर्थात अनदेखी और अनसुनी के कारण मोदी सरकार के प्रति लोगों का विश्वास लगातार कम होता जा रहा है, जिसका नतीजा आने वाले समय में दिखाई देगा और तब मोदी सरकार को डुबाने के लिए यह रेल अधिकारी और रेल प्रशासन ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार होगा।