राजधानी एक्स. में स्टाफ की सतर्कता और तत्परता से चोरी होने से बचा यात्रियों का सामान
पकड़ में आया एक मोबाइल चोर, यात्रियों का सामान भी सुरक्षित बच गया
ट्रेन नं. 22221 छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस- निजामुद्दीन राजधानी एक्सप्रेस में शनिवार, 19 फरवरी 2022 को टिकट चेकिंग स्टाफ की सजगता से एक चोर रंगे हाथ पकड़ा गया। इस तरह निजामुद्दीन पहुंचने वाली राजधानी एक्सप्रेस में ऑन बोर्ड टिकट चेकिंग स्टाफ की सतर्कता और तत्परता से यात्रियों का सामान चोरी होने से बच गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार चोरी की पहली घटना ट्रेन के कोच नं. बी-1 में बर्थ नं. 52 पर यात्रा कर रही एक महिला यात्री के साथ घटी। उसका पूरा सामान, किसी ने भोपाल आने के पहले ही दरवाजे पर ले जाकर रख दिया था। पैंट्री वेंडर्स ने ऑन ड्यूटी, टीटीई स्टाफ अरुण राय और संजीव कुमार दुबे को इसकी जानकारी दी, साथ ही साथ आरपीएफ स्टाफ को भी सूचित किया।
टिकट चेकिंग स्टाफ की तत्परता से उक्त महिला का बैग पुनः उसके पास पहुंचा दिया गया। साथ ही दो और यात्रियों का सामान, जो बाहर दरवाजे के पास चोरी के इरादे से रखा गया था, उनका सामान भी चोरी होने से बच गया।
बताते हैं कि फोन चोरी की दूसरी घटना कोच नं. बी-10 में बर्थ नं. 49 पर यात्रा कर रहे यात्री दीपक यादव के साथ घटी। झांसी स्टेशन आने के पहले उसका महंगा आई-फोन मिल नहीं रहा था। यह खबर टीटीई मनोज सिन्हा को मिली। उन्होंने अपने सभी सहकर्मियों के साथ पूरी गाड़ी खंगाल दी। तभी ड्राइवर साइड की पावर कार से ऑन ड्यूटी मैकेनिक ने टीटीई मनोज सिन्हा को फोन किया कि उसे किसी ने पावर कार में बाहर से बंद कर दिया है।
टीटीई सिन्हा तत्परता से तुरंत पावर कार में पहुंचे, वहां उन्हें एक लड़का मिला। तब तक पावर कार के कर्मचारी भी अंदर से दरवाजा खोल चुके थे। सिन्हा ने उस लड़के के पास से उन रेल कर्मचारियों के पर्स और मोबाइल बरामद किए तथा उसे झांसी आरपीएफ के एएसआई गौतम को सुपुर्द किया।
झांसी के आरपीएफ स्टाफ ने उस लड़के के पास से एक और मोबाइल बरामद किया, जो कि यात्री दीपक यादव का था। टीटीई मनोज सिन्हा ने यात्री दीपक यादव को उनका फोन सुरक्षित होने की जानकारी दी और उन्हें झांसी जाकर अपना फोन लेने को कहा।
इस प्रकार राजधानी एक्सप्रेस में यात्रियों का सामान और मोबाइल चोरी करने वाला चोर, टिकट चेकिंग स्टाफ की तत्परता से आरपीएफ की पकड़ में आ गया। ऑनबोर्ड टिकट चेकिंग स्टाफ मनोज सिन्हा, पी. आर. मीणा, अरुण राय और संजीव कुमार दुबे की यह सतर्कता और तत्परता वास्तव में सराहनीय है।