मंडल कार्मिक विभाग, प्रयागराज में अवैध उगाही का धंधा जोरों पर
आवश्यक है कि लंबे समय तक एक ही जगह टिक कर धंधेबाज बन चुके कर्मचारियों और अधिकारियों का अविलंब अन्यत्र स्थानांतरण सुनिश्चित किया जाए!
उमेश शर्मा, प्रयागराज ब्यूरो: मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय प्रयागराज मंडल के कार्मिक विभाग के अधिकारियों की नाक के नीचे अवैध उगाही का रैकेट चल रहा है। इस रैकेट में शामिल कई दिग्गज लोग लंबे समय से यहां जमे हुए हैं। रेल प्रशासन की ऐसी क्या मजबूरी है कि उनको हटाने का नाम नहीं ले रहा है? यह सवाल मंडल मुख्यालय प्रयागराज में कर्मचारियों के बीच चर्चा का विषय है।
उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज मंडल में गत माह सितंबर 2021 में गार्ड, टीटीई आदि की विभागीय परीक्षाओं में जो टारगेट दिया गया था उसका खुला रेट एक से ढेड़ लाख रुपये के बीच रहा है। जानकारों का कहना है कि इसकी जिम्मेदारी वेलफेयर इंस्पेक्टरों को दी गई है। बताते हैं कि कर्मचारियों से संपर्क कर सेटिंग बनाकर वसूली करने का टारगेट दिया गया है। जबकि नियमानुसार इनका असली कार्य रेलकर्मियों के हित में कार्य करना होता है, जिसका इन्हें भरपूर टीए मिलता है।
वर्तमान में सहायक लोको पायलट के चार हजार पदों पर चयन हो जाने के पश्चात पोस्टिंग का रेट खोला गया है। उसमें कानपुर, प्रयागराज में पोस्टिंग का रेट पांच हजार रुपये प्रति कंडीडेट रखा गया है।यह सुविधा शुल्क न दे पाने वालों को टुंडला आदि दूर-दराज जगहों पर भेजा जा रहा है। यह चर्चा कंडीडेट सार्वजनिक स्थानों पर और रेलगाड़ियों में बैठकर आपस में कर रहे हैं।
इस प्रकार प्रयागराज मंडल में लाखों-करोड़ों रुपयों का यह अवैध वसूली रैकेट इसलिए फल-फूल रहा है, क्योंकि ओएस, चीफ ओएस, डीलिंग क्लर्क इत्यादि मिनिस्ट्रियल स्टाफ वर्षों से यहां एक ही जगह जमा हुआ है।
एक महिला सहित तीन ऐसे तीन-चार वसूली एजेंट्स वाली इस “वसूली कंपनी” के डायरेक्टर एक मिसरा जी हैं, जिन्हें उच्च स्तर से संरक्षण प्राप्त है। मिसरा जी की पहली पत्नी ने दूसरी शादी करने की शिकायत राष्ट्रपति सहित सभी संबंधित रेल अधिकारियों को भेजी है।
स्थानीय मीडिया में भी इसकी चर्चा जोर-शोर से चलाई जा चुकी है। लेकिन रेल प्रशासन ने इस पर मौन धारण किया हुआ है।
इस पर चर्चा यह है कि यदि एक आम कर्मचारी ऐसा करता तो उसकी सेवा समाप्त कर दी जाती।लेकिन इन मिसरा जी को किसी की भी छूने की हिम्मत नहीं है, क्योंकि वसूली की बंदरबांट के कर्ताधर्ता वही हैं।
इससे कामिक विभाग के उच्च अधिकारियों की संलिप्तता साफ नजर आ रही है। रेल हित में इसकी एक केंद्रीय जांच कमेटी गठित कर जांच सुनिश्चित की जाए।
उल्लेखनीय है कि इसी प्रकार का अवैध वसूली रैकेट कुछ समय पहले झांसी मंडल में भी बड़ी चर्चा का विषय बना था, जिसकी कई ऑडियो रिकॉर्डिंग सबूत के तौर पर पेश की गई थीं। यह धंधा बंद हो, योग्य कर्मचारियों के साथ न्याय हो, उनका उचित हक मिले, इसके लिए आवश्यक है कि लंबे समय तक एक ही जगह टिक कर धंधेबाज बन चुके कर्मचारियों और अधिकारियों का अविलंब अन्यत्र स्थानांतरण सुनिश्चित किया जाए।
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