सेटेलाइट से रेल संपत्तियों की निगरानी
आपदा प्रबंधन करने और बचाव योजनाएं बनाने के अलावा रेलवे ब्रिजेज, टनल्स, लेवल क्रासिंग, सिग्नल एंड टेलीकॉम नेटवर्किंग, ट्रैक्शन डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क तथा यार्डों एवं उनके आसपास एनक्रोचमेंट्स के बारे में भौगोलिक सूचना मैपिंग प्रणाली से ताजा जानकारी उपलब्ध होगी
भारतीय रेल के पास बड़ी मात्रा में भू-संपत्ति है। रेलवे द्वारा अपनी इस अकूत अचल संपत्ति की निगरानी, प्रबंधन एवं रखरखाव के लिए भौगोलिक सूचना मानचित्रण प्रणाली (जियोग्राफिकल इंफॉर्मेशन मैपिंग सिस्टम) का उपयोग किया जा रहा है।
इसके लिए रेलवे द्वारा जियोग्राफिकल इन्फर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) पोर्टल विकसित किया गया है। यह जीपीएस आधारित मैपिंग भारतीय रेल के सेंटर फॉर रेलवे इन्फर्मेशन सिस्टम (क्रिस) ने विकसित किया है।
यह सिस्टम पूरी तरह से सेटेलाइट पर आधारित है। इस अप्लीकेशन पर रेलवे का भूमि प्रबंधन, योजनाएं और विभिन्न प्रकार के मानचित्र एवं फोटोग्राफ देखने के लिए उपलब्ध होंगे।
भारतीय रेल ने जीआईएस पोर्टल पर पूरी भू-संपत्ति को ऑन ट्रैक और ऑफ ट्रैक असेट मैपिंग करने में सफलता हासिल कर ली है। नई लाइन, दोहरी और तिहरी लाइन सहित ट्रैक कैपेसिटी बढ़ाने तथा यातायात सुविधाओं में वृद्धि की योजनाओं को रेलवे द्वारा अब और अधिक कुशलता से अमल में लाया जा सकेगा।
इस पोर्टल को इसरो की सहायता से उन्नत करके सेटेलाइट पद्धति से जोड़ा गया है। जिससे स्टेशनों और अन्य क्षेत्रों के आसपास चल रही रेल परियोजनाओं की गतिविधियों और उनकी प्रगति का आकलन करने में मदद मिलेगी।
भौगोलिक सूचना मैपिंग प्रणाली से आपदा प्रबंधन और राहत एवं बचाव योजनाएं बनाने तथा उन पर अमल करने में भी पर्याप्त सहायता मिलेगी।
इसके अलावा रेलवे ब्रिजेज, टनल्स, लेवल क्रासिंग, सिग्नल एंड टेलीकॉम नेटवर्किंग, ट्रैक्शन डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क तथा स्टेशनों/यार्डों एवं उनके आसपास एनक्रोचमेंट्स के बारे में रेल प्रशासन को ताजा जानकारी मिल सकेगी, जिससे इन संपत्तियों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करने, सुरक्षित रखने और यातायात को सुगम बनाने में मदद करेगा।
जीआईएस अप्लीकेशन से ट्रेन की लाइव लोकेशन का पता चल सकेगा। इससे रेलवे स्टेशनों की थ्री डी मैपिंग की जा सकेगी। इसके माध्यम से यात्रियों को स्टेशनों पर अपने वांछित स्थानों को खोजने तथा गूगल मैप पर देखने में काफी सुविधा हो जाएगी।
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