सतर्क ड्राइवर की सजगता से “एक और खतौली हादसा” टला
केसरी-बराड़ा सेक्शन में बिना ब्लाक लिए काम कर रहा था अंबाला मंडल का इंजीनियरिंग स्टाफ
कब तक ऐसे भ्रष्ट, कदाचारी और घोर लापरवाह स्टाफ को मिलता रहेगा यूनियनों का संरक्षण?
लापरवाह उच्च रेल अधिकारियों को ऐसी लापरवाही में हटाने के लिए क्या पहले सैंकड़ों निर्दोष रेलयात्रियों का मरना जरूरी है?
सुरेश त्रिपाठी
शुक्रवार, 11 सितंबर को एक ड्राइवर की तत्परता के चलते अंबाला डिवीजन, उत्तर रेलवे में एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया, जिससे एक और खतौली जैसी बड़ी भीषण रेल दुर्घटना होने से बच गई।
Another #Khatauli: A big blunder of #safety in #Ambala Division
अंबाला मंडल, उत्तर रेलवे के केसरी और बराड़ा सेक्शन के बीच में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के पी-वे कर्मचारी बिना किसी ब्लॉक के काम कर रहे थे। एक तरफ की पूरी पटरी जब उखड़ी पड़ी थी और सारे पेंड्राल क्लिप्स तथा पैकिंग रबर (ईआरसी) ट्रैक पर बिखरे पड़े हुए थे, तभी एक पार्सल स्पेशल ट्रेन सेक्शन में आ गई।
वह तो गनीमत यह रही कि सतर्क ट्रेन ड्राइवर ने कमाल की सजगता दिखाते हुए तुरंत इमरजेंसी ब्रेक लगाकर खुले पड़े ट्रैक से कुछ दूर पहले ही ट्रेन को रोक लिया।
इंजीनियरिंग विभाग के कर्मचारियों ने नियमानुसार कार्यस्थल (घटनास्थल) के दोनों छोर पर कोई भी चेतावनी चिन्ह (सेफ्टी फ्लैग) नहीं लगा रखा था। यह उनकी एक और बड़ी लापरवाही थी।
Major safety violation between Kesari & Barada section of #Ambala Division #NorthernRailway
यह घोर आश्चर्य का विषय है कि जब शत-प्रतिशत और पूरी तरह ट्रेनों का संचालन नहीं किया जा रहा है, मुश्किल से कुछ ही ट्रेनें चलाई जा रही हैं, ब्लाक देने और मिलने में भी कोई परेशानी या रुकावट नहीं है, तब ऐसी अक्षम्य लापरवाही बरती जा रही है!
ऐसे में इंजीनियरिंग विभाग और उसके अधिकांश घोर कदाचारी अधिकारी अब यह बहाना नहीं बना सकते कि उन्हें ट्रैक मेंटीनेंस के लिए प्रॉपर ब्लाक नहीं दिया जाता। उल्लेखनीय है कि खतौली हादसे के बाद उन्होंने अपने और अपने विभाग के बचाव में यही सबसे बड़ी एलीबी बनाई थी।
उल्लेखनीय है कि खतौली हादसे के समय ब्लॉक लिए बिना काम करते हुए तत्कालीन जीएम/उत्तर रेलवे का स्थानांतरण तब दक्षिण रेलवे में किया गया था। इससे पहले जीएम/उ.रे. और डीआरएम/दिल्ली मंडल दोनों को जबरन छुट्टी पर भेजा गया था।
तो क्या अंबाला डिवीजन में भी वैसी ही लापरवाही को अंजाम देने पर वर्तमान डीआरएम को तत्काल घर नहीं भेज दिया जाना चाहिए?
और वर्तमान जीएम/उ.रे. राजीव चौधरी को कम से कम उत्तर रेलवे के अतिरिक्त कार्यभार से अविलंब नहीं हटा ही दिया जाना चाहिए?
या फिर यह समझा जाए कि रेलवे में ऐसे लापरवाह और कदाचारी उच्च अधिकारियों को ऐसी लापरवाही में हटाने के लिए पहले सैंकड़ों निर्दोष रेलयात्रियों का मरना जरूरी है?
ज्ञातव्य है कि खतौली हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया इंजीनियरिंग स्टाफ यूनियनों के हस्तक्षेप से पुनः नौकरी पर पूर्ववत बहाल हो चुका है।
इसके अलावा तत्कालीन जीएम दक्षिण रेलवे से सुखरूप रिटायर हो चुके हैं और डीआरएम बाकायदा ड्यूटीरत हैं। किसी को भी मरने वाले सैकड़ों रेलयात्रियों का कोई दोष नहीं लगा!
रेलवे में जब तक इस तरह का ढ़ुलमुल प्रशासनिक रवैया अपनाया जाता रहेगा, तब तक न तो शत-प्रतिशत संरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी, और न ही स्टाफ को जिम्मेदार बनाया जा सकता है। तो क्या यह समझा जाना चाहिए कि यहां मरने के लिए ही लोग इफरात में पैदा होते हैं?
क्या यह समझा जाए कि उच्च रेल अधिकारियों का “शत-प्रतिशत संरक्षा” सुनिश्चित करने का जुबानी जमा-खर्च इसी तरह चलता रहेगा, निर्दोष रेलयात्री मरते रहेंगे और इस सब के लिए कोई जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा?
घटनास्थल का विवरण:
Train No. 00466
(Parcel Special, ASR-GHY),
Loco no. 30346/TKD
LP Sh.Rakesh Singh, HQ-LDH
ALP Sh. S. Vardhan, HQ-LDH
Guard Sh. R. K. Sharma, HQ-ASR,
CLI Sh. Mithai Lal, HQ-LDH
CLI footplate Sh. Mithai Lal, HQ-LDH
CLI reported at 13:03 hrs that between KES-RAA, km no. 245/18, Engineering staff were working on track without block.
Train stopped by emergency brake 10 meter before at site and found pendrol clips were open.
No any caution order issued officially and no any Engineering board or safety flags put at site on both ends.