द.पू.म.रे.: कदाचारी अधिकारियों को जीएम का संरक्षण?
तीन महीने बाद भी सीनि. डीईई/ऑपरेशन के ट्रांसफर आर्डर पर अमल नहीं
उच्च स्तरीय आदेशों का पालन करने में आनाकानी करते हैं कई जोनल जीएम
आदेशों को दरकिनार करवाकर रेलवे बोर्ड को मुंह चिढ़ा रहे हैं कई भ्रष्ट अधिकारी
बिलासपुर : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में प्रशासनिक अनियमितताओं, भ्रष्टाचार और कदाचार को भरपूर संरक्षण मिल रहा है. इसके लिए सबसे ज्यादा कमाऊ यह जोनल रेलवे पर्याप्त रूप से सुर्खियों में रही है. जानकारों का मानना है कि यहां कई कदाचारी अधिकारियों को निहितस्वार्थी जीएम का पूरा संरक्षण मिला हुआ है. उल्लेखनीय है कि जनवरी में चेयरमैन, रेलवे बोर्ड (सीआरबी) के दौरे के समय पूर्व प्रिंसिपल सीसीएम सहित ऐसे ही कई कदाचारी अधिकारियों के बारे में रनिंग स्टाफ एवं अन्य कर्मचारियों सहित यूनियन पदाधिकारियों ने भी खुलेआम सीआरबी से शिकायतें की थीं, जिसके चलते पूर्व प्रिंसिपल सीसीएम का फौरन तबादला कर दिया गया था, उनको कार्यमुक्त करने के लिए जीएम द्वारा किस-किस तरह की तिकड़म करके सीआरबी को दिग्भ्रमित करने की कोशिश की गई थी, यह सर्वज्ञात है.
इसी क्रम में बिलासपुर मंडल के सीनियर डीईई/ऑपरेशन की कथित अनियमितताओं के बारे में भी तब स्टाफ द्वारा सीआरबी से की गई शिकायतों के चलते 27 मार्च को उनका तबादला भिलाई लोको शेड में कर दिया गया था. तथापि आज लगभग तीन महीने बाद भी उनको बिलासपुर से कार्यमुक्त करके उक्त ट्रांसफर आदेश पर जीएम द्वारा अमल सुनिश्चित नहीं करवाया गया है, जबकि उक्त ट्रांसफर आर्डर जीएम की संस्तुति से ही किया गया था. कई रनिंग कर्मचारियों का स्पष्ट रूप से कहना है कि सीनियर डीईई/ऑपरेशन जैसे कई कदाचारी अधिकारियों को जीएम का भरपूर संरक्षण प्राप्त है, यही कारण है कि खुद के ट्रांसफर आदेश पर जीएम ने अब तक अमल करने की जरूरत नहीं समझी है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार संबंधित अधिकारी की जुलाई 2016 में प्रमोशन पर भिलाई लोको शेड से बिलासपुर मंडल मुख्यालय में पोस्टिंग की गई थी. जानकारों का कहना है कि इस अधिकारी की पैदाइश और पढ़ाई-लिखाई सब कुछ इसी मंडल के अंतर्गत शहडोल में हुई है. कर्मचारियों का कहना है कि स्थानीय होने के कारण इस अधिकारी का स्वभाव शुरू से ही भ्रष्ट और दबंग रहा है. बताते हैं कि बिलासपुर में पोस्टिंग होते ही सबसे पहले इस अधिकारी ने अपने बंगले पर एक ड्राइवर बी. के. झा सहित खलासी बैलून, सुमन बाई, महेंद्र कुमार, चमेली विश्वकर्मा, अलीमुन, भीसन यादव को निजी कार्य हेतु लगाया, जो अब तक उनके बंगले पर काम कर रहे थे, हाल ही में उन्हें सीआरबी के डर से हटाया गया है. तथापि अब भी चोरी-छिपे बुलाकर उनसे बंगले में काम करवाया जाता है.
बताते हैं कि इलेक्ट्रिक जनरल एवं इलेक्ट्रिक टीआरडी के ब्रांच अधिकारी का वित्तीय अधिकार छिन जाने के कारण तीनों ब्रांच के टेंडर्स का जिम्मा इसी अधिकारी पर है. सूत्रों का कहना है कि इससे ठेकेदारों से जमकर कमीशनखोरी की गई, जिससे ठेकेदार भी अब बुरी तरह तंग आ चुके हैं. उनका कहना है कि कमीशन देने में जिस ठेकेदार ने थोड़ी सी भी आनाकानी की, उसका टेंडर टाइम-बार कर निरस्त करा दिया गया. ऐसा ज्यादातर इलेक्ट्रिक जनरल वाले टेंडर्स में हुआ है. इसके साथ ही कर्मचारियों की ट्रांसफर, पोस्टिंग एवं अनुशासनिक दंड देने के मामलों में भी उक्त अधिकारी ने कथित रूप से जमकर मनमानी और सौदेबाजी की है. कर्मचारियों का कहना है कि इन सब मामलों की जांच करवाकर सच्चाई का पता लगाया जा सकता है.
विभागीय कर्मचारियों का कहना है कि भ्रष्टाचार का सूत्र-संचालन सही ढंग से चलता रहे, इसके लिए उक्त अधिकारी ने बिलासपुर में एक ऐसे ड्राइवर को मुख्य क्रू-नियंत्रक बनाकर बैठा दिया, जो कि इस पद के लिए हाल में ही विभागीय परीक्षा में फेल हो चुका है. यही नहीं, उनका यह भी कहना है कि इस अधिकारी के मौखिक आदेश पर एक सवारी गाड़ी चालक को यात्री गाड़ियों के संचालन का सुपरवाइजर बनाया गया है, जबकि यह चालक एक बार सिग्नल ओवर शूटिंग में बर्खास्त हो चुका है और दूसरी बार जनवरी 2018 में फिर गोंडवाना एक्सप्रेस का सिग्नल ओवर शूट कर चुका है, जिसकी जांच अभी चल ही रही है. उनका कहना है कि इस अधिकारी ने अपने एक पूर्व क्लासफेलो रहे ड्राइवर को लोको इंस्पेक्टर का एडवांस प्रश्न-पत्र देकर परीक्षा में टॉप करवाकर उसे अपने पास ही पोस्टिंग करके बैठा लिया है. उनका कहना है कि उक्त परीक्षा का प्रश्न-पत्र इसी अधिकारी ने बनाया था.
कर्मचारियों का कहना है कि उक्त अधिकारी द्वारा शहडोल के लोको इंस्पेक्टर्स से किसी न किसी बहाने से खूब चंदा उगाही की गई है. उनका कहना था कि वहां प्रशासन का भय दिखाकर ऐसा माहौल बना दिया गया था कि चंदा देने से किसी लोको इंस्पेक्टर की मना करने की मजाल नहीं हो सकती थी. उन्होंने बताया कि अधिकारी का यह रवैया देखकर कई कर्मचारी भी इसके दलाल और खास सहयोगी बनकर कमाई में हाथ बटाने लगे. कई बार ऐसा भी मौका आया कि इसके दलाल ही कर्मचारियों से पैसा लेकर उसे खुद ही डकार गए.
इस समस्त कदाचार के चलते यह अधिकारी इतना अधिक बदनाम हो गया कि 8 जनवरी 2018 को बिलासपुर दौरे के समय रनिंग स्टाफ के कर्मचारियों ने सीआरबी से इसके खिलाफ यह कहते हुए लिखित और मौखिक शिकायत की थी कि इसके मातहत कोई भी कार्य बिना पैसा दिए नहीं हो रहा है और पैसा देकर इस अधिकारी से कुछ भी करवाया जा सकता है. कर्मचारी बताते हैं कि सीआरबी से शिकायत के बाद यह अधिकारी बदले की भावना से चुन-चुनकर रनिंग स्टाफ को परेशान और दंडित करने लगा. उसका यह क्रम आज भी अपने कुछ गुर्गों के माध्यम से जारी है, जिनकी शिनाख्त पर जिस-जिस पर शक हो रहा है, उसको प्रताड़ित किया जा रहा है. इसी क्रम में इसके गुर्गे कुछ कर्मचारियों से अपनी व्यक्तिगत खुन्नस भी निकाल रहे हैं. कर्मचारियों ने इसकी भी शिकायत सीआरबी से की है.
कर्मचारियों का कहना है कि उनकी उक्त शिकायत के मद्देनजर और सीआरबी के निर्देश पर ही इस अधिकारी का तबादला तुरंत प्रभाव से किया गया था. उनका कहना है कि इस अधिकारी के कहने पर ही इसके दलालों ने तबादले के अगले ही दिन 28 मार्च को प्रिंसिपल सीईई का घेराव कर तबादला निरस्त करने का दबाव बनाया था. कर्मचारियों ने बताया कि दलालों द्वारा 2 अप्रैल को भी यही प्रहसन प्रायोजित किया गया था. उनका कहना है कि उक्त दोनों प्रहसनों में जिन-जिन कर्मचारियों ने भाग नहीं लिया था, उन्हें बाद में प्रताड़ित किया गया. विभागीय सूत्रों ने बताया कि इसी दरम्यान, पैसा खाने की नीयत से जिन पांच लोको इंस्पेक्टरों का तबादला बिलासपुर से बाहर विभिन्न जगहों के लिए कर रखा था, उनसे सौदेबाजी हो जाने पर उनका तबादला निरस्त करने का पत्र हाल ही में जारी कर दिया गया है.
बताते हैं कि इसी दरम्यान एक अत्यंत विचित्र घटना यह हुई कि इस अधिकारी का एक खास दलाल, जो कि एक लोको पायलट है और नौकरी लगवाने, कम्पिटेंसी में पास करवाने, मेडिकल संबंधी कोई भी कार्य करवाने और कथित ‘आपूर्ति’ करने, इत्यादि कदाचारपूर्ण कार्यों के लिए जाना जाता है और इसी कारण कई बार जेल भी जा चुका है और ऐसे ही विभिन्न कार्यों के लिए अन्य बहुतों से अभी-भी पैसा ऐंठ रखा है, ने इस अधिकारी को भरोसा दिलाया कि वह दिल्ली जाकर उसका तबादला निरस्त करवा देगा, बशर्ते किसी महिला को उसकी पत्नी बनाकर वहां पेश करना होगा? सूत्रों का कहना है कि अधिकारी ने इसकी इजाजत दे दी. तत्पश्चात 19 अप्रैल को एक महिला को साहब की कथित पत्नी बनाकर दिल्ली ले जाया गया. लेकिन उक्त महिला अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभा पाई, जिसके चलते दिल्ली में उक्त दलाल द्वारा उसके साथ जमकर मारपीट की गई.
बताते हैं कि 25 अप्रैल को 12 बजे उत्कल एक्सप्रेस से बिलासपुर लौटकर उक्त महिला सीधे संबंधित अधिकारी के चैंबर में घुस गई और समस्त घटनाक्रम विस्तृत रूप से चिल्ला-चिल्लाकर बताया तथा उसे बुरी तरह से जलील करते हुए सबके सामने कहा कि उसने उसे अपनी पत्नी बनाकर क्यों भेजा? इस घटना को अपनी आंखों देखा और कानों से सुना विवरण बताते हुए कई कर्मचारियों ने ‘रेलवे समाचार’ को बताया कि इस मौके पर अधिकारी का उक्त दलाल भी वहीँ मौजूद था. उन्होंने बताया कि करीब तीन घंटे तक चैंबर में चले इस नाटक के बाद अधिकारी ने उक्त महिला को पर्याप्त पैसा देकर और समझा-बुझाकर मामले को रफा-दफा कर दिया. इस घृणित घटना की जानकारी फौरन स्थानीय मीडिया एवं अन्य अधिकारियों में आग की तरह फैल गई थी, परंतु रेलवे की बदनामी न हो, इसलिए प्रशासन ने पूरी तरह मामले को दबा दिया.
बताते हैं कि इस दलाल लोको पायलट पर उ.म.रे. इलाहबाद में पदस्थ एक वरिष्ठ वाणिज्य अधिकारी और हाल ही में द.पू.म.रे. बिलासपुर में पदस्थ हुए एक अन्य वरिष्ठ वाणिज्य अधिकारी सहित बिलासपुर से लगभग जबरन भगाए गए पूर्व प्रिंसिपल सीसीएम का भरपूर वरदहस्त है, जो कि इसको इसके हर कुकर्म से बचाने में काफी लंबे समय से इसकी मदद करते आ रहे हैं, जिसके कारण यह कभी अपनी ड्यूटी नहीं करता है और किसी की मजाल भी नहीं है कि इसको ड्यूटी करने के लिए कह सके, जबकि इसके सारे कुकर्मों से सभी छोटे-बड़े अधिकारी भली-भांति परिचित हैं और कुछ तो इसके साथ उनमें भागीदार भी हैं. इसीलिए यह उपरोक्त तमाम कुकर्मों में न सिर्फ लगातार लिप्त है और उपरोक्त कुछ चुनिंदा अधिकारी उसकी ‘आपूर्ति’ से उपकृत हो रहे हैं, बल्कि रेलवे से मुफ्त वेतन-भत्ते लेकर मौज कर रहा है.
कर्मचारियों का कहना है कि उपरोक्त तमाम अनियमितताओं और तिकड़मबाजी के चलते ही इस अधिकारी के तबादले पर अब तक अमल नहीं किया जा सका है, जिससे सभी मातहत कर्मचारी घबराए हुए हैं, क्योंकि फिर से लोको इंस्पेक्टरों, मुख्य क्रू-नियंत्रकों और चालकों की पदोन्नति की प्रक्रिया का नोटिफिकेशन निकला गया है. उनका कहना है कि यदि इस अधिकारी को तत्काल रिलीव नहीं किया गया, और इसके तमाम कदाचारों के विरुद्ध स्वतंत्र जांच नहीं बैठाई गई, तो कर्मचारियों की पदोन्नति एवं पोस्टिंग में जमकर धांधली होना निश्चित है, क्योंकि इसने अपने दलालों को मुर्गे पटाने के लिए सक्रीय कर दिया है. इस संदर्भ में तमाम प्रयासों के बावजूद ‘रेलवे समाचार’ द्वारा संबंधित अधिकारी से उसका पक्ष प्राप्त नहीं किया जा सका.