October 20, 2019

मध्य रेलवे, वाणिज्य मुख्यालय का तुगलकी फरमान

Central Railway Head Quarters at Chhatrapati Shivaji Maharaj Terminus (CSMT), Mumbai.

दोहरा टीए देकर रेल राजस्व को चूना लगाने का लिया निर्णय

टीसी स्टाफ की ‘वर्किंग’ को ‘डिवीजन लिमिट’ तक सीमित किया जाए

सभी गाड़ियों और कोचों को मैन्ड करने का सर्वाधिक लाभ यात्रियों को मिलेगा

सुरेश त्रिपाठी

मध्य रेलवे वाणिज्य मुख्यालय ने त्योहारी सीजन में भुसावल मंडल के टिकट चेकिंग स्टाफ को मुंबई तक चेक करने की अनुमति दी है. रेलवे राजस्व की बचत करने और किफायती कार्य-प्रणाली अपनाने के बजाय रेल अधिकारी रेलवे को चूना लगाने का कोई भी अवसर नहीं चूकते हैं।

यदि यह निर्णय मुंबई से छूटने वाली सभी ट्रेनों के सभी कोच मैन्ड करने के लिए लिया गया होता, तो भी कुछ हद तक सही होता, परंतु यह निर्णय सिर्फ सामान्य यात्रियों को लूटने (रसीद बनाने) के लिए लिया गया है, जबकि इसके लिए मुंबई मंडल का चेकिंग स्टाफ ही पर्याप्त है।

इसके साथ ही भुसावल मंडल के ओपन डिटेल/स्क्वॉड/अमेनिटी स्टाफ को मुंबई तक वर्किंग करने की अनुमति देने का अर्थ है कि उसे इसके लिए दोहरा टीए देना पड़ेगा। यह किसकी जेब से दिया जाएगा? सवाल यह है कि यही सुविधा मुंबई मंडल के स्टाफ को क्यों नहीं दी जानी चाहिए? यदि मुंबई मंडल के स्टाफ को यह सुविधा नहीं दी जा सकती है, तो वह इस त्योहारी सीजन में बैठकर क्या करेगा?

जानकारों का तो यह मानना है कि रेल राजस्व की बचत के लिए होना तो यह चाहिए कि लोको पाइलट्स की ही तरह सभी मंडलों के टिकट चेकिंग स्टाफ की ‘वर्किंग’ को ‘डिवीजन लिमिट’ तक सीमित कर दिया जाए। इससे एक तरफ रेल राजस्व की भारी बचत होगी, तो दूसरी तरफ़ स्टाफ को सभी गाड़ियों और कोचों को मैन्ड करने के लिए बेहतर यूटिलाइज किया जा सकेगा। इसके अलावा स्टाफ को तो पर्याप्त आराम दिया ही जा सकेगा, बल्कि इसका सर्वाधिक लाभ यात्रियों को मिलेगा।

इसकी मांग भी काफी समय से स्टाफ द्वारा की जाती रही है। ‘रेलसमाचार’ ने भी इस मुद्दे को रेल प्रशासन के समक्ष कई बार उठा चुका है। सीनियर टिकट चेकिंग स्टाफ सहित कई वरिष्ठ रेल अधिकारियों का भी यह मानना है कि रेल प्रशासन को पूरी भारतीय रेल के सभी ६८ मंडलों में इस ‘वर्किंग लिमिट’ को अविलंब लागू करना चाहिए।

बहरहाल, मुंबई मंडल का टिकट चेकिंग स्टाफ मध्य रेलवे प्रशासन के उपरोक्त तुगलकी फरमान से अत्यंत उद्वेलित है. इसके अलावा यह गलत परंपरा भी डाली जा रही है। अतः मध्य रेलवे प्रशासन को इस गलत परंपरा पर पुनर्विचार करना चाहिए!