रेलकर्मियों की समस्याओं पर शिवगोपाल मिश्रा ने की रेलमंत्री से मुलाकात
सरकार के पुराने रिकार्ड को देखते हुए फेडरेशन फिलहाल कोई दावा करने की स्थिति में नहीं
नई दिल्ली : ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने 30 जुलाई 2018 को रेलमंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की और उन्हें कर्मचारियों से जुड़ी समस्याओं का एक पत्र सौंपा. पत्र में उन्होंने भारतीय रेल के प्रत्येक कैडर के कर्मचारियों की समस्याओं को गिनाया है. महामंत्री कॉम. मिश्रा ने पत्र में कहा है कि ट्रैकमैन के मामले में एक फैसला हुआ था, पर उसे लागू करने में बेवजह देरी की जा रही है.
इसी प्रकार एक्ट अप्रेंटिस का मामला भी लटकाया जा रहा है. लारजेस को लेकर कई दौर की बात हो चुकी है, फिर भी ये मामला जहां का तहां अटका पड़ा है. कॉम. मिश्रा ने कहा कि सरकार और रेल प्रशासन के स्तर पर किसी भी बातचीत को उसके समाधान तक नहीं पहुंचाया जा रहा है, यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है.
उन्होंने कहा कि रनिंग स्टाफ की मुश्किल किसी से छिपी नहीं है. रेलवे के अधिकारी भी मानते हैं कि रनिंग स्टाफ के साथ कई दिक्कतें हैं, फिर भी उनकी समस्याओं के समाधान को लेकर संबंधित अधिकारीगण गंभीर नहीं हैं. उनके काम के घंटों को लेकर हमेशा बात होती है. यह चर्चा भी लगातार होती है कि रेलकर्मियों के काम के घंटे तय होने ही चाहिए, फिर भी आज तक उनसे 12 घंटे काम लिया जा रहा है.
कॉम. मिश्रा ने कहा कि रनिंग स्टाफ की रेस्ट की समस्या पर भी काफी चर्चा के बाद एक फैसला हुआ है. सभी जोनल महाप्रबंधकों को इस फैसले की जानकारी दी गई है, अब देखना यह है कि जोनल महाप्रबंधकों के स्तर पर इसका कितना अनुपालन किया जाता है.
बहरहाल, कॉम. मिश्रा ने कहा कि रेलमंत्री पीयूष गोयल के साथ काफी देर तक चली इस मुलाकात के बाद हो सकता है कि अब चीजे कुछ बदलें. इसके बावजूद वह इस वार्ता को लेकर बहुत ज्यादा आश्वस्त नहीं हैं. उनका कहना है कि सरकार के पुराने रिकार्ड को देखते हुए फिलहाल कोई भी दावा करना ठीक नहीं है.
उन्होंने कहा कि सबको पता है कि पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर एनसीजेसीए ने केंद्र सरकार को स्पष्ट कर दिया है कि अगर उन की मांगे 7 अगस्त तक पूरी न हुईं, तो आगे वह कोई भी कड़ा फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होंगे. कॉम. मिश्रा ने स्पष्ट किया है कि रेलकर्मियों की लंबित मांगों को पूरा करने का जुलाई 2016 में ही सरकार द्वारा भरोसा दिया गया था, लेकिन ये बात भी आगे नहीं बढ़ी.