मंडल अस्पताल में यूनियन पदाधिकारियों द्वारा डॉक्टरों के साथ मारपीट
पदाधिकारी के विरुद्ध एफआईआर, तबादला, मगर बर्खास्तगी पर अड़े डॉक्टर
गोरखपुर ब्यूरो : रेलवे में मान्यताप्राप्त संगठनों के कुछ निकम्मे और कामचोर पदाधिकारियों द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मारपीट और बदतमीजी करने के साथ ही धींगामस्ती तथा अनुशासनहीनता की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. ऐसी ही एक घटना की पुनरावृत्ति उत्तर रेलवे के चारबाग स्थित मंडल रेल चिकित्सालय में हुई है. पता चला है कि नार्दर्न रेलवे मेंस यूनियन (एनआरएमयू) लखनऊ मंडल के कुछ पदाधिकारियों ने किसी बात से नाराज होकर मंडल रेल चिकित्सालय, चारबाग के ऑन-ड्यूटी एसीएमएस डॉ. जगदीश चंद्रा के साथ मारपीट करने की है. यह गंभीर घटना शुक्रवार, 10 अगस्त को घटित हुई बताई जा रही है. बताते हैं कि उक्त मारपीट में डॉ. जगदीश चंद्रा को गंभीर चोटें आई हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार डॉ. चंद्रा ने संबंधित यूनियन पदाधिकारियों के विरुद्ध पुलिस में एफआईआर भी दर्ज करवाई है.
विश्वसनीय सूत्रों से ‘रेल समाचार’ को प्राप्त जानकारी के अनुसार यह मारपीट आलमबाग वर्कशॉप शाखा के यूनियन पदाधिकारी मणिकांत शुक्ला की अगुवाई में हुई है. शुक्ला आलमबाग वर्कशॉप में टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत बताया जाता है. सूत्रों का यह भी कहना है कि शुक्ला ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) के एक बड़े पदाधिकारी का नजदीकी भी है, इसीलिए उसका बहुत मन बढ़ा हुआ है और वह किसी भी अधिकारी के साथ कभी सीधे मुंह बात नहीं करता है. इसके चलते उसने लखनऊ में रेलकर्मियों और अधिकारियों के बीच एक दहशत का माहौल बना रखा है. ज्ञातव्य है कि इसी फेडरेशन से संबद्ध पूर्वोत्तर रेलवे के एक खलासी स्तर के यूनियन पदाधिकारी ने करीब दो साल पहले भंडार विभाग के एक अधिकारी के साथ मारपीट और बदतमीजी की थी.
सूत्रों के अनुसार डॉक्टरों के भारी विरोध को देखते हुए डीआरएम, लखनऊ मंडल, उत्तर रेलवे सतीश कुमार की पहल पर उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक विश्वेश चौबे ने मणिकांत शुक्ला का तत्काल तबादला बडगाम, जम्मू वर्कशॉप में कर दिया. परंतु डॉक्टरों ने प्रशासन के इस कदम को पूरी तरह अपर्याप्त माना है. उनका कहना है कि प्रशासन की ही परिभाषा में तबादला कोई दंड नहीं है, जबकि संबंधित यूनियन पदाधिकारी ने एचएजी स्तर के एक वरिष्ठ डॉक्टर के साथ मारपीट, बदतमीजी और गाली-गलौज जैसा अत्यंत गंभीर अपराध किया है. अतः जब तक प्रशासन उसे नियम 14/2 के तहत नौकरी से बर्खास्त करने की कार्रवाई नहीं करता है, तब तक डॉक्टर इस मामले पर शांत नहीं बैठेंगे.
प्राप्त जानकारी के अनुसार 10 अगस्त को डॉक्टरों ने मंडल चिकित्सालय, चारबाग में पूरा दिन कामकाज ठप कर दिया था. इसके अलावा सोमवार, 13 अगस्त को उत्तर रेलवे के सभी मंडलों और मुख्यालय में कार्यरत डॉक्टरों ने एक दिन की पेन-डाउन स्ट्राइक भी किया है. जिसके तहत वह किसी भी मरीज को दवाईयों का कोई पर्चा लिखकर नहीं दिए. उनका कहना है कि डॉक्टरों सहित हॉस्पिटल स्टाफ के साथ मारपीट, बदतमीजी और गाली-गलौज को किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं किया जाएगा, फिर वह चाहे कोई बड़ा यूनियन पदाधिकारी हो या किसी बड़े पदाधिकारी का नजदीकी ही क्यों न हो, इसकी छूट किसी को भी नहीं दी जा सकती है.
इस मुद्दे पर कई कर्मचारियों ने ‘रेल समाचार’ से अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि यदि इस जगह कोई सामान्य रेल कर्मचारी होता, तो रेल प्रशासन ने उसे तुरंत नौकरी से बर्खास्त करने की कार्रवाई को अंजाम दे दिया होता. मगर यहां चूंकि एक यूनियन पदाधिकारी, वह भी फेडरेशन के बड़े पदाधिकारी के नजदीकी ओहदेदार, का मामला है, इसलिए प्रशासन इस मामले में यूनियनबाजी से डरकर कोई उचित कदम नहीं उठा रहा है. उनका कहना था कि ऐसे में यदि रेल प्रशासन कोई सख्त कदम नहीं उठाता है, तो भविष्य में अधिकारियों को और ज्यादा पिटने के लिए तैयार रहना चाहिए.