पूंजीपतियों की चौकीदारी करने लगा देश का चौकीदार -राजेश कुमार
रेलकर्मियों ने दर्शाई निगमीकरण के विरोध में लंबी लड़ाई लड़ने की तैयारी
प्रधानमंत्री/केंद्रीय मंत्रियों को चूड़ियां भेजेंगी डीएलडब्ल्यू की महिला कर्मचारी
निगमीकरण के विरोध में लगातार चौथे दिन डीरेका कर्मियों का धरना-प्रदर्शन
वाराणसी : डीजल रेल इंजन कारखाना (डीरेका) में रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) द्वारा 100 दिनों में डीरेका सहित भारतीय रेल की सभी सातों उत्पादन इकाईयों और रेलवे के सभी कारखानों के निगमित करने का जो तुगलकी आदेश निर्गत किया गया है, उसके विरोध में डीरेका कर्मियों ने बुधवार, 26 जून को लगातार चौथे दिन भी कारखाने के पूर्वी द्वार से विशाल जुलूस निकाला. कारखाने के सायरन बजते ही हजारों की संख्या में डीरेका कर्मी पूर्वी गेट पर एकत्रित हुए, जिसमें सैकड़ों की संख्या में महिला कर्मी भी मौजूद थीं. जुलूस में सभी कर्मचारी हाथों में काला झंडा एवं निगमीकरण के विरोध में तख्तियां लेकर सरकार विरोधी एवं निगमीकरण के विरोध में नारेबाजी करते हुए चल रहे थे. यह जुलूस प्रशासन भवन के सामने पहुंचकर प्रदर्शन सभा में बदल गया.
इस मौके पर डीएलडब्ल्यू मेंस कांग्रेस के महामंत्री राजेश कुमार ने कहा कि देश का चौकीदार तो चौकीदारी करते-करते पूजीवादियों की चौकीदारी करने लगा है. इससे कर्मचारियों में घोर निराशा का माहौल है. यूनियन किसी भी कीमत पर इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. सभा को संबोधित करते हुए हिंद मजदूर सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन के डॉ. प्रदीप शर्मा ने कहा कि यह पूरी तरह से पूंजीवादी समर्थित सरकार है, जो किसी भी कीमत पर आम कर्मचारियों के हित में कभी भी काम नहीं कर सकती. जिस देश के प्रधानमंत्री की कथनी और करनी में अंतर हो, देश का इससे बड़ा दुर्भाग्य और कुछ नहीं हो सकता. लेकिन भारत सरकार के निगमीकरण के प्रयासों को एआईआरएफ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा. यदि आगे जरूरत पड़ी तो रेल का चक्का जाम करने से भी फेडरेशन पीछे नहीं रहेगी.
सभा को संबोधित करते हुए डीएलडब्ल्यू मेंस यूनियन के अमित यादव ने कहा कि जिस प्रकार से सरकार तानाशाही रवैया अपनाए हुए है, उसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जरूरत पड़ी तो घर-घर से महिलाएं और बच्चे भी सड़क पर उतरेंगे. सभा में बोलते हुए डी. एम. भट्ट ने कहा कि डीरेका बनारस की शान है, जिसे किसी भी कीमत पर खत्म नहीं होने दिया जाएगा. मेंस कांग्रेस के उपाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो वादा किया था कि डीरेका का निगमीकरण नहीं किया जाएगा, अगर वह उसका अनुपालन नहीं कर पाते हैं, तो कर्मचारियों की पत्नियां उन्हें चूड़ी भेजकर सम्मानित करेंगी.
रेल मजदूर यूनियन के कोषाध्यक्ष सुशील कुमार सिंह ने कहा कि भारत सरकार जिस प्रकार से सरकारी संपत्तियों को पूंजीवादियों के हाथों में सौंप रही है, वह निराशाजनक है. इसे श्रमिक वर्ग हम कभी बर्दाश्त नहीं करेगा. डीएलडब्लू मजदूर संघ के दीपेश पांडे ने कहा कि रेल कारखाने के निगमीकरण के मुद्दे को लेकर कर्मचारी बहुत दुखी और मर्माहत हैं. डीएलडब्ल्यू मजदूर संघ के अखिलेश राय ने रेल चक्का जाम करने की चेतावनी देते हुए कर्मचारियों का आह्वान किया कि यदि कर्मचारियों की मांगों को अनसुना किया गया, तो दिल्ली में बैठे मंत्रियों/नेताओं को यहां की औरतें चूड़ियां भेजेंगी.
एससी/एसटी एसोसिएशन के अध्यक्ष रूप सिंह मीणा ने कहा कि सरकार के निगमीकरण का फैसला समाज के दलित पिछड़े वर्ग के अधिकारों पर कुठाराघात है. ओबीसी एसोसिएशन के महामंत्री हरिशंकर यादव ने सरकार के फैसले का पुरजोर विरोध किया. सभा को प्रमुख रूप से डीएलडब्ल्यू मेंस यूनियन, मेंस कांग्रेस ऑफ डीएलडब्ल्यू, डीएलडब्ल्यू मजदूर संघ, रेल मजदूर यूनियन, एससी/एसटी एसोसिएशन, ओबीसी एसोसिएशन के पदाधिकारीयों ने संबोधित किया.
अंत में संयुक्त सचिव कर्मचारी परिषद वी. डी. दुबे ने सरकार के निगमीकरण के फैसले के विरोध में लंबी लड़ाई लड़ने का आह्वान किया और उन क्षेत्रीय लोगों से भी इस आंदोलन से जुड़ने का आग्रह किया, जिनकी रोजी-रोटी डीरेका से जुड़ी है. महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर रही श्रीमती दुर्गा ने कहा कि भारत सरकार महिलाओं को दुर्गारूप में आने की चुनौती न दे. मंच का संचालन कर्मचारी परिषद के सदस्य नवीन सिन्हा ने किया. मंच पर विनोद सिंह, प्रदीप यादव, आलोक वर्मा, कृष्ण मोहन तिवारी, राजेंद्र पाल, विजय सिंह, अजय कुमार, अविनाश पाठक, अखिलेश राय, शशांक मिश्रा, राधा बल्लभ त्रिपाठी, रवि सिंह, नरेंद्र भंडारी और अरविंद प्रधान उपस्थित थे.