‘नायर’ में घरेलू इस्तेमाल के सामान किराए पर लेने की नई लूट शुरू
रेलवे के पैसे से किराए पर लिए जा रहे हैं फर्नीचर, चादर, तकिये, पलंग, अलमारी, कुर्सी, कम्बल, सोफा, क्लॉथ स्टैंड इत्यादि निजी घरेलू इस्तेमाल के सामान
वड़ोदरा : भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी (नायर), वड़ोदरा में महानिदेशक और सभी प्रोफेसर/ऑफिसर्स द्वारा अपने घरेलू/निजी इस्तेमाल के लिए रेलवे के पैसे से फर्नीचर, चादर, तकिये, पलंग, अलमारी, कुर्सी, कम्बल, सोफा, क्लॉथ स्टैंड इत्यादि सामान किराए पर लेकर एक नई तरह की लूट का मामला सामने आया है. इस घोटाले को भी अन्य घोटालों की ही तरह योजनाबद्ध ढ़ंग से लागू किया गया है.
भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी, वड़ोदरा में भारतीय रेल के सभी रेल अधिकारियों को रेलवे के नियमों का पालन करने का प्रशिक्षण दिया जाता है, लेकिन यहीं पर महानिदेशक और सभी प्रोफेसर/ऑफिसर्स द्वारा रेलवे के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है, बल्कि रेलवे के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है.
रेलवे के नियमानुसार भारतीय रेल में जो सामान रेलवे के ऑफिस रजिस्टर में दर्ज हो और उस सामान (फर्नीचर, चादर, तकिये, पलंग, अलमारी, कुर्सी, कम्बल, गद्दे, सोफा, क्लॉथ स्टैंड इत्यादि) को ‘नायर’ के महानिदेशक और सभी प्रोफेसर/ऑफिसर्स को किराए पर लेने का कोई नियम नहीं है, लेकिन इस मद में ‘नायर’ में रेलवे के नियमों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है.
तथापि भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी, वड़ोदरा में उलटी गंगा बह रही है. भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी, वड़ोदरा में सभी प्रोफेसर/ऑफिसर्स को उपरोक्त प्रकार के सभी सामान किराए पर लेने का लोकल नियम बनाकर जेब भरने का कार्यक्रम बनाया गया है और इस तरह जनता के टैक्स के पैसे की खुली चोरी/लूट की जा रही है.
यह तमाम जानकारी मिलने पर सर्वप्रथम तो ‘रेल समाचार’ को इस बात का भरोसा नहीं हुआ, लेकिन नीचे पत्र से इस बात के पुष्टि होती है. आम तौर पर एक दिन का एक कुर्सी का किराया 5 रुपया होता है. परंतु इस पत्र के क्रम संख्या 11 को देखें, तो पता चलता है, कि यहां पर एक महीने का किराया 2 रुपया है.
भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी, वड़ोदरा में महानिदेशक और सभी प्रोफेसर/ऑफिसर्स आदि का मासिक वेतन 2.50 लाख से 3 लाख रुपये मासिक है. फिर भी इन सबका जमीर मर गया है, जो जनता के टैक्स के पैसे की चोरी कर शर्म महसूस नहीं हो रही है. रेलवे बोर्ड को अविलंब इस मामले में संज्ञान लेकर इस लूट का रोकना चाहिए.
‘नायर’ के एकाउंट्स प्रोफेसर्स को नहीं है एकाउंट्स फंक्शन चेक लिस्ट की समझ?
भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी नायर) में सभी तीनों एकाउंट्स प्रोफेसर/ऑफिसर्स को चेक लिस्ट ऑफ एकाउंट्स फंक्शन का ज्ञान या समझ नहीं है, यह सवाल इस लिए उठ रहा है, क्योंकि यदि ऐसा नहीं होता, तो इसके लिए बाहरी विजिटिंग लेक्चरर को नहीं बुलाया जाता?
यही बात ‘नायर’ के डीन, फैकल्टी ऑफ फाइनेंस, जो यहां लेखा विभाग के हायर प्रशासनिक ग्रेड के प्रोफेसर हैं, पर भी लागू होती है. नायर के समस्त एकाउंट्स स्टाफ एवं अन्य कर्मचारियों का कहना है कि यहां के निकम्मे और नासमझ एकाउंट्स प्रोफेसर/ऑफिसर्स से रेलवे को मुक्ति कब मिलेगी? क्योंकि इनको चेक लिस्ट ऑफ एकाउंट्स फंक्शन की समझ ही नहीं है.
विश्वसनीय सूत्रों से ‘रेल समाचार’ को प्राप्त जानकारी के अनुसार नायर में उपरोक्त कथित प्रोफेसर/ऑफिसर्स द्वारा रेलवे नियमों का खुला उल्लंघन करके आगंतुक व्याख्याता (विजिटिंग लेक्चरर) द्वारा 12 जून को चेक लिस्ट ऑफ एकाउंट्स फंक्शन का लेक्चर आयोजित किया गया. तथापि जो ऑफिसियल प्रोग्राम जारी किया गया, उसमें विजिटिंग लेक्चरर का नाम भी नहीं दिया गया.
भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी, वड़ोदरा में सभी प्रोफेसर/ऑफिसर्स द्वारा रेलवे नियमों का खुला उल्लंघन करके विजिटिंग लेक्चरर द्वारा कोर्स आयोजित करके रेलवे को लाखों रुपये का चूना लगाया जा रहा है और इस तरह जनता की मेहनत की कमाई की खुलेआम लूट की जा रही है.
कोर्स नंबर एफएम 4/19, जिसके पाठ्यक्रम निदेशक डीन फैकल्टी ऑफ फाइनेंस/प्रोफेसर लेखा प्रबंधक हैं, में 15 व्याख्यान में से 9 व्याख्यान, कुल 60% व्याख्यान, तो विजिटिंग लेक्चरर द्वारा कोर्स किया जा रहा है. ऐसे में लेखा विभाग के तीन प्रोफेसर के यहां होने का औचित्य क्या है? ज्ञातव्य है कि यहां लेखा विभाग के हायर प्रशासनिक ग्रेड के का प्रोफेसर है, फिर भी जूनियर स्केल से विजिटिंग लेक्चरर द्वारा कोर्स किया जा रहा है.
रेलवे बोर्ड के पत्र आरबीई 193/09 के अनुसार एक कोर्स में कुल व्याख्यान के 15% विजिटिंग लेक्चरर बुलाए जा सकते हैं, लेकिन ‘नायर’ में सभी प्रोफेसर/ऑफिसर्स द्वारा रेलवे नियमों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है और कुल व्याख्यान के 15% से ज्यादा विजिटिंग लेक्चरर बुलाए जा रहे हैं. इन विजिटिंग लेक्चरर को न केवल मानदेय का भुगतान किया जा रहा है, बल्कि रेलवे नियमों का खुला उल्लंघन करके हवाई यात्रा भी उपलब्ध कराई जा रही है.
रेलवे बोर्ड के पत्र आरबीई 61/2018 के अनुसार दिल्ली से मुंबई तक अत्यंत सुविधाजनक रेल यात्रा उपलब्ध है. अतः हवाई यात्रा उपलब्ध कराए जाने का कोई औचित्य नहीं है. इसके बावजूद विजिटिंग लेक्चरर को रेलवे नियमों का खुला उल्लंघन करके हवाई यात्रा उपलब्ध कराई जा रही है.
इसके अलावा सभी प्रोफेसर/ऑफिसर्स को भी वड़ोदरा से दिल्ली हवाई यात्रा उपलब्ध कराए जाने का भी कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि रात्रि ट्रेन सुविधा उपलब्ध है. लेकिन इन सभी प्रोफेसर्स को रेलवे में सर्विस करने के बावजूद रेलवे की राजधानी ट्रेन की यात्रा रास नहीं आती है और रेलवे नियमों का खुला उल्लंघन करके इन सभी प्रोफेसर/ऑफिसर्स को महानिदेशक द्वारा हवाई यात्रा उपलब्ध कराई जा रही है.
भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी, वड़ोदरा में लगभग पांच कोर्स रोज चलते हैं और दो घंटे का एक लेक्चर होता है. इस तरह यहां कुल पंद्रह लेक्चर रोज होते हैं. ऐसे में यहां 25 प्रोफेसर के होने का औचित्य समझ से बाहर है. रोज एक प्रोफेसर का एक लेक्चर भी नहीं होता है और ज्यादातर कोर्स तो विजिटिंग लेक्चरर से चलाए जा रहे हैं. ऐसे में यहां 25 प्रोफेसरों के पदों की समीक्षा किए जाने की जरुरत है.
यहां एक-एक विभाग के तीन से चार प्रोफेसर हैं. जैसे लेखा विभाग के तीन प्रोफेसर हैं. कार्मिक विभाग के चार, यांत्रिक विभाग के चार और यातायात विभाग के तीन प्रोफेसर हैं. इसी प्रकार से अन्य विभागों के तीन से चार प्रोफेसर हैं. इस प्रकार एक विभाग के तीन से चार प्रोफेसर होने का कोई औचित्य नहीं है. यहां के 25 प्रोफेसर के पदों की समीक्षा की तुरंत जरुरत है.
उपरोक्त से सिद्ध होता है कि नायर में सभी प्रोफेसर/ऑफिसर्स द्वारा रेलवे को हर महीने लाखों रुपये का चूना लगाया जा रहा है. जनता के राजस्व की मेहनत की कमाई की लूट खुलेआम की जा रही है. सवाल यह है कि कब बंद होगी यह लूट?
ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि क्या यह सब जानबूझकर रेलमंत्री की जानकारी के बिना किया जा रहा है अथवा इसमें भी रेलवे बोर्ड की कोई साजिश है?