हमने रेलकर्मियों के हित की लड़ाई लड़ने वाला एक नेता खो दिया -शिवगोपाल मिश्रा

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एनआरएमयू के सहायक महामंत्री डी. एन. चौबे के निधन पर शोकसभा का आयोजन

नई दिल्ली : ऑल इंडिया रेलेवेमेंस फेडरेशन के जोनल सचिव एवं नार्दर्न रेलवे मेंस यूनियन के सहायक महामंत्री डी. एन. चौबे के निधन पर 3 अप्रैल को नार्दन रेलवे मेंस यूनियन के केंद्रीय कार्यालय में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. सभा में उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक टी. पी. सिंह सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की. सभा में नार्दन रेलवे मेंस यूनियन के सभी केंद्रीय और मंडल पदाधिकारियों के साथ ही सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने उपस्थित होकर स्व. चौबे को याद किया और अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित किए. किडनी की समस्या से परेशान रहे श्री चौबे का निधन 28 मार्च को मुरादाबाद के एक निजी अस्पताल में हो गया था. इस मौके पर सभी वक्ताओं ने कहा कि उनके रिक्त स्थान की भरपाई करना संभव नहीं है.

इस अवसर पर स्व. डी. एन. चौबे को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एआईआरएफ और एनआरएमयू के महामंत्री कॉम. शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि हमने यूनियन की मजबूती के लिए संघर्ष करने के साथ ही कर्मचारियों के हित की लड़ाई लड़ने वाला एक लड़ाका नेता खो दिया है. उनका आसामयिक निधन हमारे संगठन के लिए एक अपूर्णीय क्षति है. उनके जीवन के बारे में संक्षिप्त चर्चा करते हुए महामंत्री कॉम. मिश्रा ने कहा कि स्व. चौबे ने मुरादाबाद में 1977 में भारतीय रेल में आए थे. तीन वर्ष बाद ही रेलकर्मियों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ संघर्ष के लिए उन्होंने नार्दर्न रेलवे मेंस यूनियन की सदस्यता ले ली. 1985 में उन्होंने शाखा में सहायक शाखामंत्री का पदभार संभाला. इस पद पर उन्होंने रेलकर्मियों के उत्थान और उनकी समस्याओं के निदान के लिए लड़ाईयां लड़ी और कई महत्वपूर्ण कार्य किए, जिससे दो साल बाद ही 1988 में उन्हें मंडल की टीम में सहायक मंडलमंत्री बना दिया गया.

महामंत्री कॉम. शिव गोपाल मिश्रा ने आगे कहा कि उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वर्ष 1988 में वह कोऑपरेटिव बैंक का चुनाव जीतकर डायरेक्टर भी बने और 1991 में मुरादाबाद मंडल के मंडलमंत्री बन गए. वर्ष 2012 सेवानिवृत्ति तक इस पद पर रहे. 21 वर्षों तक मंडलमंत्री रहने के दौरान उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया तथा रेलकर्मियों के उत्थान और उनके कैरियर प्रोग्रेसन के लिए दिन-रात सेवा की. वे श्रमिकों के लिए जेल भी गए तथा कई प्रदर्शनों का नेतृत्व भी किया. वे ऐसे नेता थे जो रेलकर्मियों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रशासन से भी टकराने से नहीं हिचकते थे. आज हमारे बीच से उनके चले जाने से जैसे संगठन का एक स्तम्भ गिर गया ऐसा प्रतीत होता है.

महामंत्री ने आगे कहा कि ऐसे व्यक्ति के चले जाने से संगठन के साथ-साथ मुझे व्यक्तिगत रूप से भारी क्षति हुई है. स्व. चौबे का संघर्ष बेकार नहीं जाएगा. यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष एस. के. त्यागी ने स्व. चौबे को याद करते हुए कहा कि स्व. चौबे ने छात्र जीवन से ही अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष की शुरूआत कर दी थी. उन्होंने कहा कि कुशीनगर जिले के साखोपार गांव में जन्मे स्व. चौबे की स्कूली शिक्षा गांव के ही किसान इंटर कालेज में हुई थी और बाद में उन्होंने केजीके से कानून की पढ़ाई की थी. कॉम. त्यागी ने कहा कि स्व. चौबे छात्र संध के चुनाव में छात्र संघ के महामंत्री भी निर्वाचित हुए थे. उनकी कमी को कोई पूरा नहीं कर सकता. वे हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे.

इस अवसर पर खासतौर पर उपस्थित उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक टी. पी. सिंह ने स्व. चौबे को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि स्व. चौबे ने रेलकर्मियों की सेवा के लिए प्रशासनिक स्तर पर विभिन्न बैठकों के माध्यम से सराहनीय कार्य कराए, जिसकी वजह से रेल कर्मचारियों के दिलों में वे हमेशा बने रहेंगे.

इस मौके पर एनडब्ल्यूआरईयू के महामंत्री मुकेश माथुर, नार्दर्न रेलवे मेंस यूनियन के विभिन्न मंडलों से आए तमाम केंद्रीय और मंडल पदाधिकारियों के साथ-साथ शाखा पदाधिकारियों, आईटीएफ के साथियों तथा उत्तर रेलवे मुख्यालय के अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने स्व. चौबे को याद करते हुए उनको श्रद्धांजलि अर्पित की.