इस घटना के लिए रेलवे पूर्णतः दोषी है!

इस दुखद घटना के लिए #रेलवे पूर्णतः #दोषी है। कोविड के बाद वीसी का नया कल्चर भी रेलवे के लिए नासूर बन गया है, क्योंकि वातानुकूलित चैंबरों में बैठकर चाय की चुस्की लेते हुए डिजास्टर मैनेजमेंट को लेकर बड़ी-बड़ी बातें हाँकने वाला रेलवे बोर्ड का उच्च प्रबंधन बड़े-बड़े प्रवचन देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता है।

महाकुंभ में मची भगदड़ से भी कोई सबक नहीं लिया गया, देश की राजधानी में जहां रेलवे का सारा पावर सेंटर है, इतना बड़ा हादसा हो गया, लेकिन प्रबंधन तो शुरू में इसे महज अफवाह बताने में लगा रहा। #NorthernRailway के अधिकारी तो इसे केवल अफवाह बता रहे थे। रेलवे के उच्च अधिकारी ग्राउंड पर नहीं उतरते, केवल हवा-हवाई प्लान बनाते हैं।

इन लोगों का अमृत भारत योजना की प्रगति पर, बड़े-बड़े टेंडर के फाइनल होने पर ज्यादा फोकस है, अब क्यों फोकस है? ये बताने की जरूरत नहीं है! 18 निर्दोष यात्री बेमौत मर गए और 25 बुरी तरह घायल और अंग-भंग हो गए, इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता! खतौली के बाद अब इस घटना के लिए भी दिल्ली मंडल को याद किया जाएगा! मगर जिस तरह खतौली के सभी जिम्मेदारों को बचाकर उन्हें पदोन्नति दी गई, उसी के अनुरूप इस हादसे के भी जिम्मेदारों को बचाने का उपाय कर लिया गया है, कम से कम जांच कमेटी में नामित अधिकारियों को देखकर तो ऐसा ही प्रतीत हो रहा है!

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि उन लोगों ने अपने जीवन में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ऐसी भीड़ नहीं देखी, फिर प्रश्न ये है कि रेलवे सुरक्षा बल (#RPF) और राजकीय रेल पुलिस (#GRP) कहां थी? इनकी ड्यूटी क्या है? इनके उच्चाधिकारियों की भी जवाबदेही तय करनी चाहिए!

केवल उच्च स्तरीय जांच बैठा देने से समस्या का हल नहीं निकलेगा! कहाँ गए क्राउड मैनेजमेंट को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाले? आखिर इस भगदड़ में जिन लोगों की घुटकर मौत हुई है, उन लोगों का दोष क्या था? और इनके दोषी कौन हैं? मुआवजा किसी की जिंदगी वापस नहीं ला सकता है।

रेलवे के सारे अधिकारी घटना को दबाने में लगे रहे।अब देखना है कि जांच में क्या निष्कर्ष निकल कर आता है, लेकिन रेलमंत्री से इतना अनुरोध है कि इस घटना में उच्चस्तर से लेकर स्टेशन प्रबंधन तक सब दोषी हैं, इसलिए किसी के प्रति नरमी नहीं दिखाई जाए, सबको जवाबदेही के अनुसार कड़ी सजा मिलनी चाहिए। -एक रेल कर्मचारी