‘जीरो टॉलरेंस ऑन करप्शन’ का रेलवे में ‘हंड्रेड परसेंट डिस्ऑनर’
एमसीएफ के एक सीडीएमएस, एक वार्ड ऑफिसर और एक लाइजनर को सीबीआई ने ऑनलाइन रिश्वतखोरी में पकड़ा
मॉडर्न कोच फैक्ट्री (#एमसीएफ), लालगंज, रायबरेली के स्टोर्स डिपार्टमेंट के एक चीफ डिपो मटीरियल सुपरिंटेंडेंट (सीडीएमएस) रंजीत कुमार और एक वार्ड ऑफिसर अरविंद कुमार को एक मटीरियल सप्लायर से रिश्वत मांगने और ऑनलाइन रिश्वत लेने के आरोप में शनिवार, 5 अक्टूबर को सीबीआई/मुंबई की टीम ने पकड़ा। सीबीआई टीम ने उनके आवासों और कार्यालय की तलाशी भी ली और उक्त दोनों आरोपी कर्मचारियों के साथ सप्लाई फर्म के लाइजनर रिंकू कुमार को भी साथ लेकर गई।
सीबीआई की एफआईआर (नंबर RC0262024AO041, दिनांक 04.10.2024) के अनुसार राधा मेडिटेक, लोखंडवाला, अंधेरी, मुंबई के प्रोप्राइटर सुधीर सानुगले ने गुरुवार, 3 अक्टूबर 2024 को सीबीआई/मुंबई को लिखित शिकायत दी थी कि उन्हें एमसीएफ से दो तरह के सेफ्टी स्पेक्टेकल्स टाइप गॉगल्स की सप्लाई का ऑर्डर 5 जून को मिला था। उन्होंने इसका सैंपल 11 जून को एमसीएफ को भेजा था, जो कि 1 जुलाई को अप्रूव्ड हो गया, जिसके आधार पर उन्होंने 16 जुलाई को पूरा मटीरियल एमसीएफ को भेज दिया था।
शिकायत में यह भी कहा गया कि जून से ही एमसीएफ के तीन कर्मचारी – सीडीएमएस रंजीत कुमार, वार्ड ऑफिसर अरविंद कुमार और एस. पी. विश्वकर्मा कारपेंटरी एंड टेस्टिंग डिपार्टमेंट – शिकायतकर्ता को लगातार फोन कर रहे थे और मटीरियल पास कराने में मदद करने के नाम पर उससे ₹30,000 की मांग कर रहे थे। उनकी मांग न मानने पर उसका मटीरियल रिजेक्ट कर दिया गया। दिनांक 28.08.2024 को रिजेक्शन लेटर मिलने के बाद भी उक्त तीनों कर्मचारी मटीरियल पास कराने के नाम पर उसे लगातार फोन कर रहे थे और जी-पे/ऑनलाइन पेमेंट करने पर जोर दे रहे थे।
सीबीआई की एफआईआर के अनुसार, वेरिफिकेशन में उक्त शिकायत सही पाई गई। तत्पश्चात् उक्त तीनों आरोपी कर्मचारियों के विरुद्ध रेगुलर केस दर्ज किया गया है। हालाँकि सीबीआई की एफआईआर में दोनों आरोपी कर्मचारियों द्वारा फर्म से कितना पैसा ऑनलाइन लिया गया, इसका उल्लेख नहीं है, मगर यह कहा गया है कि रिंकू कुमार और जितेंद्र कुमार के बैंक खातों में फर्म से ट्रांजेक्शन होने की पुष्टि हुई है। लाइजनर रिंकू कुमार ने अपने बैंक खाते में पैसा मँगाया जो बाद में वार्ड ऑफिसर अरविंद कुमार को दिया, जबकि ऐसा समझा जाता है कि सीडीएमएस रंजीत कुमार ने अपनी रिश्वत की राशि काँट्रेक्ट लेबर जितेंद्र कुमार के बैंक खाते में मँगाई।
एमसीएफ के हमारे सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कर्मचारियों द्वारा फर्म से कुल लगभग 3500 रुपये ऑनलाइन लिए गए। सूत्रों ने यह भी बताया कि राधा मेडिटेक को कुल सप्लाई ऑर्डर ₹1.40 लाख का था, जिसमें ₹30,000 की रिश्वत दे पाना उसके लिए संभव नहीं था।
उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते ही आरडीएसओ, लखनऊ में दो अकाउंट्स असिस्टेंट और एक सीनियर एएफए सहित एसएसई कार्यालय/कैथल, उत्तर रेलवे के एक ऑफिस सुपरिंटेंडेंट को भी ऑनलाइन रिश्वतखोरी के आरोप में सीबीआई ने पकड़ा है। इसके अलावा, वाराणसी मंडल, पूर्वोत्तर रेलवे के एक सीनियर डीईएन को भी पिछले हफ्ते ही सीबीआई ने दो लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा है, जिसके पास तो बीसों करोड़ रुपये की संपत्ति होने का पता चला है। ऐसे मामलों की रेलवे में कमी नहीं है।
जानकारों का कहना है कि पीएम मोदी जी के ‘जीरो टॉलरेंस ऑन करप्शन’ का रेलवे में ‘हंड्रेड परसेंट डिस्ऑनर’ हो रहा है! उनका कहना था कि पीएम मोदी जी के डिजिटल रिफॉर्म से सर्वाधिक आसानी भ्रष्टाचारियों और रिश्वतखोरों को हुई है।