त्रिची मंडल के 13 टीटीई निलंबित, चार टीटीई का इंटर डिवीजन ट्रांसफर

रेल प्रशासन ने नहीं माना सदर्न रेलवे मजदूर यूनियन का दबाव

डीआरएम ने यूनियन पदाधिकारियों को बचाने की भरसक कोशिश की

तिरुचिरापल्ली : दक्षिण रेलवे प्रशासन ने सदर्न रेलवे मजदूर यूनियन (एसआरएमयू) का कोई दबाव न मानते हुए तिरुचिरापल्ली (त्रिची) मंडल के 13 चल टिकट परीक्षकों (टीटीई) को तत्काल प्रभाव से 5 नवंबर को निलंबित कर दिया. इनमें से एक सीटीआई/त्रिची स्टेशन एस. वीराशेखरन, एसआरएमयू का सहायक महामंत्री और दूसरा टीटीआई/स्क्वाड/त्रिची पी. अन्थोनीसामी, एसआरएमयू, त्रिची मंडल का सहायक मंडल मंत्री है. इसके अलावा टीटीआई/स्टेशन, वेलुपुरम एफ. एम. ए. जयराज, सीटीआई/एसएल/तंजावुर एम. थमारी सेल्वन, टीटीआई/स्टेशन/वेलुपुरम एम. राजा, टीटीआई/स्टेशन/त्रिची ई. मनोहरन, टीटीआई/स्टेशन/त्रिची एच. अब्दुल सिराजुद्दीन, टीटीआई/स्टेशन/वेलुपुरम ए. पेरियानन, सीटीआई/स्टेशन/तंजावुर एस. दुराईराज, सीटीआई/एसएल/त्रिची ए. नजीर अहमद, सीटीआई/एसएल/त्रिची आर. रवि और सीटीआई/एसएल/त्रिची जेरमिया मेल्विन को भी निलंबित किया गया है. इनमें से ज्यादातर स्टाफ एसआरएमयू के पदाधिकारी हैं.

प्राप्त अधिकारिक जानकारी के अनुसार उपरोक्त टीटीई स्टाफ बिना एक दिन भी ड्यूटी किए अथवा ट्रेन में गए घर बैठे महीने भर का यात्रा भत्ता (ट्रेवलिंग अलाउंस-टीए) क्लेम कर रहा था. यह भी बताया गया है कि उपरोक्त सभी 13 टीटीई सप्ताह में सिर्फ पांच दिन ही काम कर (दिखा) रहे थे, मगर महीने में कुल 27 दिन का टीए क्लेम कर रहे थे. अधिकारियों का कहना है कि इससे न सिर्फ रेलवे को लाखों रुपए का भारी नुकसान हुआ, बल्कि अनारक्षित यात्री, जो आरक्षित कोचों में अनधिकृत यात्रा कर रहे थे, उनकी वजह से आरक्षित यात्रियों को भी बड़ी परेशानी और असुविधा का सामना करना पड़ा.

बताते हैं कि इनमें से प्रत्येक टीटीई ने प्रतिमाह 15,000 रुपए से लेकर 20,000 रुपए तक टीए क्लेम किया है. अधिकारियों का कहना है कि इसका मतलब यह हुआ कि एक-एक टीटीई ने साल में रेलवे को कम से कम 15 लाख रुपए के राजस्व का भारी चूना लगाया है, जो कि सिर्फ एकाध साल तक ही सीमित नहीं रहा है, बल्कि कई-कई सालों तक चलता रहा है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि रेलवे को यह नुकसान कई करोड़ रुपए तक का हो सकता है. उल्लेखनीय है कि उपरोक्त लगभग सभी स्टाफ गत लम्बे समय से सिक लीव पर चल रहा है, मगर यूनियन की सभी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग भी लेता रहा है.

बताते हैं कि बिना प्रॉपर ड्यूटी किए हजारों रुपए का प्रतिमाह टीए क्लेम करने का यह रैकेट वास्तव में कई सालों से चल रहा था और संबंधित वाणिज्य अधिकारी भी आंख बंद करके इन चल टिकट परीक्षकों का टीए पास करते रहे, क्योंकि इनमें से ज्यादातर आरोपी स्टाफ एसआरएमयू के या तो पदाधिकारी हैं अथवा तथाकथित सक्रिय कार्यकर्ता हैं. यह तमाम रैकेट तब खुलकर सामने आया, जब पिछले महीने दक्षिण रेलवे के मुख्य वाणिज्य प्रबंधक (सीसीएम) अजीत सक्सेना ने सभी मंडलों के प्रत्येक टिकट चेकिंग स्टाफ के कार्य, ड्यूटी रोस्टर और उनके द्वारा क्लेम किए गए टीए आदि की विस्तृत जांच करने का आदेश दिया था.

बताते हैं कि फर्जी टीए क्लेम करने और अनधिकृत रूप से ड्यूटी से गैर-हाजिर रहने तथा अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ मारपीट, गाली-गलौज करने सहित ऐसी ही अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल रहने के लिए त्रिची मंडल के उपरोक्त में से ज्यादातर स्टाफ के इंटर डिवीजन ट्रांसफर की सिफारिश वाणिज्य विभाग द्वारा की गई थी. यह सूची पहले तो डीआरएम ने ही कई हप्तों तक अपने पास दबाए रखी, मगर मीडिया रिपोर्ट्स के दबाव में आखिर उन्हें अपनी सिफारिश के साथ उक्त सूची मुख्यालय को भेजनी पड़ी. बताते हैं कि मुख्यालय में भी यूनियन के दबाव में करीब दो हप्ते तक इस सूची पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका, परंतु जैसे ही सीबीआई ने चेन्नई मंडल के अन्य 41 टीटीई को इंटर डिवीजन ट्रांसफर किए जाने की सिफारिश एसडीजीएम/द.रे. के पास भेजी, वैसे ही त्रिची मंडल की सूची पर तत्काल निर्णय ले लिया गया.

प्राप्त जानकारी के अनुसार डीआरएम ने सूची में से कुल चार लोगों को ही इंटर डिवीजन ट्रांसफर किए जाने की सिफारिश मुख्यालय को भेजी, जबकि सबसे ज्यादा बदमाशी और बदतमीजी करने वाले सीटीआई/त्रिची एवं मंडल मंत्री वीराशेखरन एवं सीटीआई/स्क्वाड/त्रिची एवं सहायक मंडल मंत्री पी. अन्थोनीसामी को इंटर डिवीज़न ट्रांसफर किए जाने की सिफारिश डिवीजन की तरफ से नहीं की गई. परिणामस्वरूप यह दोनों सबसे ज्यादा मुफ्तखोर ट्रांसफर से बच गए हैं.

इंटर डिवीजन ट्रांसफर किए गए लोगों में सीपीसी/सीपीएसआर/ओ/त्रिची एफ. एक्स. इसाक जॉनसन को मदुरै मंडल, सीटीआई/स्टेशन/त्रिची एम. थमारी सेल्वन को सालेम मंडल, टीटीआई/स्टेशन/मालावरम बी. जयचंद्रन को चेन्नई मंडल और सीएंडआरएस/त्रिची एस. जेड. सैय्यद ताजुद्दीन को मदुरै मंडल ट्रांसफर किया गया है. मुख्यालय से यह आदेश 11 नवंबर को जारी किया गया है. प्राप्त ताजा जानकारी के अनुसार उपरोक्त चारों स्टाफ ने ट्रांसफर ऑर्डर स्वीकार नहीं किया है. इसलिए प्रशासन की तरफ से मस्टर से उनका नाम हटा दिया गया है और उनके ट्रांसफर ऑर्डर उनके घरों में चिपका दिए गए हैं. तथापि, बताते हैं कि उक्त चारों में से किसी ने भी अब तक नई जगह पर ज्वाइन नहीं किया है और त्रिची में ही घूम रहे हैं.

विपक्षी संगठन दक्षिण रेलवे एम्प्लाइज यूनियन (डीआरईयू) के कार्याध्यक्ष ए. जानकीरामन का कहना है कि सीटीआई/त्रिची वीराशेखरन हमेशा एसआरएमयू कार्यालय में उपस्थित रहता है. इसके अलावा वह गार्डन रॉक वर्कशॉप में भी अक्सर पहुंच जाता है. उनका कहना है कि विगत दिनों डोनेशन को लेकर वर्कशॉप के एक टेक्नीशियन के साथ हुई मारपीट में भी वीराशेखरन शामिल था. ऐसे में उसे बतौर सीटीआई अपनी ड्यूटी करने का समय कब और कैसे मिलता है? उन्होंने यह भी कहा कि इसी तरह का रैकेट चेन्नई मंडल में भी गत वर्ष हुआ है, जहां पचासों टीसियों ने अपनी जगह कुलियों अथवा पार्सल पोर्टर्स या ऐसे ही अन्य छद्म लोगों को गाड़ियों और स्टेशनों पर यात्रियों के टिकट चेक करने तथा बेटिकट यात्रियों से पेनाल्टी वसूल करने में लगा रखा था. इनकी सीबीआई जांच चल रही है और ऐसे 41 टीसियों को इंटर डिवीज़न ट्रांसफर किए जाने की सिफारिश सीबीआई ने की है.