रोटेशन: कठोर प्रशासनिक नीति अपनाएँ – स्थानांतरण स्वीकारें या नौकरी छोड़ें!
नवनियुक्त #CRB श्रीमती जया वर्मा सिन्हा ने 1. संरक्षा सर्वोपरि, 2. ईमानदारी, 3. निवेश कार्यान्वयन, 4. राजस्व सृजन एवं 5. ग्राहक सुविधाएँ और अनुभव को बेहतर करना, ये पांच प्रण के रूप में पांच उद्देश्य रेलकर्मियों और अधिकारियों के लिए तय किए हैं। उनके ये सभी पाँचों प्रण बहुत अच्छे-आदर्शपूर्ण हैं और उद्देश्य भी बहुत नेक है!
हालाँकि ये पाँचों प्रण या उद्देश्य नए नहीं हैं, बल्कि ये सदैव भारतीय रेल की घोषित प्राथमिकताएँ रही हैं। परंतु ये फलदाई और पुख्ता तौर पर अचीव अब तक इसलिए नहीं हो पाई हैं, क्योंकि निरपेक्ष भाव से हर स्तर पर #Rotation लागू नहीं किए जाने से ‘दीमकों’ ने पूरे रेल सिस्टम को भीतर से खोखला कर दिया है!
अगर #CRB को अपने उक्त पाँचों प्रण पुख्ता तौर पर अचीव करना है तो सर्वप्रथम उन्हें अपने मातहत रेलवे बोर्ड #Vigilance में #रोटेशन सुनिश्चित करना होगा! तत्पश्चात प्रमुख कार्यकारी निदेशक/विजिलेंस (#PED/Vig), सभी कार्यकारी निदेशक/विजिलेंस (#ED/Vig), सभी निदेशक/विजिलेंस (#Dir/Vig) और सभी जोनल वरिष्ठ उपमहाप्रबंधकों / मुख्य सतर्कता अधिकारियों (#SDGMs/CVOs), सभी उप-मुख्य सतर्कता अधिकारियों (#DyCVOs) को 6 महीने तक केवल रोटेशन मॉनिटरिंग पर लगाएँ! हर अधिकारी/सुपरवाइजर की नई पोस्टिंग करते समय उनकी सभी विगत पोस्टिंग प्रोफाइल भी देखी जाएं!
https://x.com/railwhispers/status/1700981569966821470?s=48
#Rotation का यह मतलब कतई नहीं होना चाहिए कि एक अधिकारी को महत्वपूर्ण पोस्ट से उठाकर दूसरी महत्वपूर्ण पोस्ट पर बैठा दिया जाए। और दूसरे अधिकारी, जो आपके व्यक्तिगत एजेंडे में फिट नहीं बैठता हो उसे गैर-महत्वपूर्ण पोस्ट से दूसरी गैर-महत्वपूर्ण पोस्ट पर घुमाते रहें। रोटेशन का अर्थ यह भी नहीं है कि एक ही जगह एक ही सेक्शन और एक ही शहर में केवल कुर्सियों की अगला-बदली कर दी जाए। वास्तव में अब तक यही तो खेला हो रहा है। बहुत जगहों पर #Rotation तो दिखेगा, लेकिन केवल कुछ चहेतों, तिकड़मियों और भ्रष्ट लोगों के बीच ही ये म्यूजिकल चेयर का खेल हो रहा होता है। #Rotation का मतलब यही सुनिश्चित करना है कि कोई भी विभाग प्रमुख (#PHOD) और ब्रांच ऑफिसर (#BO) अपने मनमाने तरीके से पोस्टिंग न करे, बल्कि उसके हर पोस्टिंग ऑर्डर में पारदर्शिता हो और स्थापित न्यायपूर्ण तर्क से सबको समान अवसर देने के सिद्धांत पर और वरिष्ठता, अनुभव को ध्यान में रखकर ही कोई भी पोस्टिंग की जाए।
हालाकि जोनों और मंडलों में अधिकारियों की पोस्टिंग में अधिकांश जोनों में #PHODs पूरी निरंकुशता से यह काम कर रहे हैं। जिसके कारण चंद महाशातिर और भ्रष्ट अधिकारियों की चांडाल चौकड़ी घूम-फिरकर सभी महत्वपूर्ण पोस्ट्स पर काबिज रहती है और बाकी लोग हासिये पर होते हैं। यही कारण है कि रेलवे में अधिकांश सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड, सेलेक्शन ग्रेड, जूनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड, सीनियर स्केल और जूनियर स्केल अधिकारियों में भयंकर असंतोष है, और यह असंतोष अथवा क्षोभ लगातार बढ़ता चला जा रहा है। यही कारण है कि अधिकांश अधिकारी फ्रस्ट्रेट होकर इधर-उधर प्रतिनियुक्ति (#deputation) में निकलने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि सैकड़ों अधिकारी वीआरएस ले चुके हैं, और सैकड़ों ने वीआरएस अप्लाई किया हुआ है तथा सैकड़ों इसकी तैयारी में अपना मन बना रहे हैं!
https://www.kooapp.com/koo/RailSamachar/09779726-3e88-4955-8e1a-df3aba7923bc
रेल की त्रासदी का भी यही कारण है। #RailSamachar को फील्ड से जो फीडबैक मिल रहा है उसमें अधिकांश अधिकारियों को सीआरबी से और अपने विभाग प्रमुखों से न्याय की बहुत उम्मीद रहती है, मगर उनकी यह अपेक्षा कभी पूरी नहीं होती, क्योंकि विभाग प्रमुखों का रवैया अपने सभी मातहतों के साथ कभी-भी समान भाव वाला नहीं पाया जाता! जबकि सीआरबी पर या तो काम का इतना दबाव रहता है, या फिर इस पद पर बैठने के बाद उसकी प्राथमिकताएँ कुछ और ही हो जाती हैं!
अगर उनकी तरफ से सारे #GMs और #PHODs को स्पष्ट मैसेज चला जाए कि #Rotation शत-प्रतिशत सुनिश्चित करें! इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि कोई अधिकारी एक महत्वपूर्ण पोस्ट से उठाकर दूसरी महत्वपूर्ण पोस्ट पर तो नहीं बैठाया जा रहा है। बिना अपवाद एक महत्वपूर्ण पोस्ट पर पदस्थापित अधिकारी की पोस्टिंग गैर-महत्वपूर्ण पोस्ट पर की जाए और गैर-महत्वपूर्ण पोस्ट पर बैठे अधिकारी की पोस्टिंग महत्वपूर्ण पोस्ट पर की जाए, अगर उस पर कोई #Vigilance या #CBI केस न हो तो! अगर विजिलेंस और सीबीआई केस नहीं है तो PHOD अपनी व्यक्तिगत पसंद और नापसंद के आधार पर किसी को महत्वपूर्ण पोस्ट से वंचित न करें।
वैसे भी अगर PHOD खुद तिकड़मी, शातिर और भ्रष्ट नहीं होगा तो वह अपनी व्यक्तिगत पसंद-नापसंद की जगह न्यायपूर्ण तरीके से सबको बराबर का अवसर देगा, जिससे आपके “पाँच प्रण” गंभीरता से और ईमानदारी से पूरे किए जा सकते हैं।
कई जगहों पर GM, सामान्यतः PHODs के निर्णयों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं, यह तब तक ठीक है जब तक उनका PHODs के निर्णय पारदर्शी, न्यायपूर्ण और पक्षपात के बिना हैं। लेकिन इस पर हर GM को पैनी नजर रखनी चाहिए और जब कोई विसंगति या यूनिफॉर्मिटी का अभाव नजर आए तो वहाँ उन्हें सख्त मैसेज PHODs को दे देना चाहिए, क्योंकि किसी भी बड़े अधिकारी का चाहे #GM हो या #Member या #CRB, सबसे महत्वपूर्ण काम यही है कि उसके सभी अधिकारियों की समग्र ग्रूमिंग हो और सबको सभी महत्वपूर्ण पोस्ट्स पर काम करने का समान अवसर मिले, जिससे उनका मनोबल ऊँचा रहे और बिना किसी भेदभाव का शिकार हुए वे अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे सकें।
जिस ऑर्गनाइजेशन का नेतृत्व अपने अधिकारियों और कर्मचारियों में यह विश्वास भरने में सफल हो जाता है कि उनके साथ बिना किसी भेदभाव के पारदर्शी तरीके से न्याय होगा वह ऑर्गनाइजेशन आसमान छू लेता है और जो यह सुनिश्चित नहीं कर पाता, वह ऑर्गनाइजेशन समाप्त हो जाता है।
#RailSamachar का #CRB मैडम को एक सुझाव है कि सारी चीजों को एक तरफ रखकर एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनवाएँ जिसके आधार पर अधिकारियों की #Transfer/#posting हो और उसमें किसी का भी व्यक्तिगत हस्तक्षेप अपवाद ही रह जाए, यह उनका रेल सिस्टम के सुधार में सबसे बड़ा योगदान होगा।
इसमें अधिकारियों से उनका ऑप्शन भी लेने का प्रावधान हो। जिस सॉफ्टवेयर में पोस्टिंग के लिए कंसीडर किए जाने वाले सारे लॉजिक हों, जिससे सॉफ्टवेयर अपने-आप वरिष्ठता, अनुभव, वर्तमान महत्वपूर्ण-गैर महत्वपूर्ण पद आदि को देखते हुए पदस्थापना करे।
#GMs, #Member और #CRB को समय-समय पर औचक महीने में कम से कम 20/30 बार बारी-बारी से सभी जोनों या पूरे देश भर में पदस्थ जूनियर अधिकारियों और कर्मचारियों से फोन घुमाकर बात कर लेने की परंपरा शुरू करनी चाहिए। इससे जो फायदा होगा वह वे खुद महसूस करेंगे और एक आत्म संतुष्टि भी होगी ठीक वैसी ही जैसी एक माँ-बाप को अपने सन्तान से बात करने पर होती है।
कम से कम पहली महिला #CRB होने के नाते वर्तमान #CRB से तो इसकी अपेक्षा सबको है कि वे एक न्यायपूर्ण व्यवस्था स्थापित करने की शुरुआत करेंगी, जिससे नीचे असंतोष, क्षोभ और हतोत्साहित करने वाला वातावरण बदलने में उनका महती योगदान होगा।
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी
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